
kargil vijay diwas 2019: शहीद पति की वीर गाथाएं सुना वीरांगना ने पिता बन बच्चों को दिलाई उच्च शिक्षा, गांव के स्कूल में प्रतिदिन बच्चों को बताई जाती है गौरवगाथा
निवाई. करगिल युद्ध (kargil war) में सैनिक देवालाल गुर्जर के शहीद (Kargil martyr Dewalal Gujjar)होने के बाद वीरांगना धौली देवी पर जिम्मेदारियों का पहाड़ टूट पड़ा।
शहादत के समय 5 वर्षीय पुत्र और 3 पुत्री के लालन पालन में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। वह बच्चों को शहीद(martyr) वीर पिता की वीरता की कहानियां सुनाकर उन्हें पिता के उच्च शिक्षा प्राप्त करने के सपने को पूरा करने के लिए प्रेरित करती रही हैं।
वहीं वीरांगना धौली देवी ने पूरे परिवार जिम्मेदारी उठाते हुए अपने खेतों और घर संभाला और बच्चों की हौसला अफजाई करती हुई उन्हें बड़ा किया। आज भी वह अपने पति की वीरता की बाते करते हुए नहीं थकती। सरकार और राजस्थान पत्रिका(Rajasthan patrika) की ओर से दी गई सहायता राशि उनकी परवरिश में सम्बल बनी।
देवालाल के पुत्र देवेंद्र सिंह गुर्जर अनुकंपा नियुक्ति की तहत पीपलू ट्रेजरी में लेखाकार के पद पर कार्यरत हैं और बेटी केशन्ता स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद एक वर्ष पूर्व टोंक शादी कर दी गई।
देवालाल बचपन ही दौडऩे में माहिर था। स्कूल समय में ही देवालाल का तेज दौड़ व फुटबालका अच्छा खिलाड़ी बन गया। देवालाल के बचपन के साथी नरपत सिंह ने बताया प्रतिदिन दोनों दो किलोमीटर तेज और छह किलोमीटर मध्यम गति में दौड़ लगाते थे।
read more:Kargil Vijay Diwas: ऐसे ही नहीं मिली कारगिल युद्ध में जीत, ये अपने जो लौट के फिर न आये, पढ़िये ये स्पेशल रिपोर्ट
और उसका चयन भी हो गया। कम उम्र होने पर उसके पिता सेना में भर्ती होने में आपत्ति नहीं के बारे में भी लिख कर दिया। प्रशिक्षण में बीआरओ कोटा में भी वह दौड़ में सबसे आगे रहता था।
read more:Kargil Vijay Diwas 2019: छत्तीसगढ़ के इन जाबाजों ने किया था कारगिल जंग में कमाल, खबर पढ़ते ही हो जाएगा आपका सीना चौड़ा
24 अक्टूबर1997 को देवालाल गुर्जर का सपना पूरा हुआ और वह 27 राजपूत रेजीमेंट का हिस्सा बन गया। इसी दौरान देवालाल की धौली देवी से शादी हो गई थी। और एक वर्ष बाद एक पुत्र और दो वर्ष बाद पुत्री का जन्म हुआ।
आगे नहीं बढ़ पाई पाकिस्तानी सेना
देवालाल सिचायिन( siachin) में बर्फ में पूर्ण सतर्कता से तैनात रहता था और दुश्मन को भारतीय सीमा घूसने नहीं दिया। 1999 में करगिल युद्ध छिडऩे उसे घाटी में भेजा गया। घाटी में युद्ध के दौरान वीर देवालाल ने अपने साथियों के साथ पाकिस्तानी (Pakistan)सेना को पीछे खदेड़ हुए भारतीय सीमा में बनी पाकिस्तानी पोस्ट पर कब्जा कर लिया।
4 फरवरी 2000 की काली रात में पाकिस्तान के कुछ सैनिकों ने छिपकर देवालाल पर गोलियां दाग दी जिससे वह भारत माता के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
शहीद की याद में होती है प्रतियोगिताएं
सरकार की ओर से शहीद के आश्रितों को सभी प्रकार की सहायता दी गई। देवालाल की शहादत के बाद गांव में युवाओं को प्रेरणा देने के लिए शहीद देवालाल स्मारक का निर्माण हुआ, जिसका लोकार्पण फरवरी 2001में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) ने किया गया।
और गांव के विद्यालय का नाम शहीद देवालाल के नाम पर किया गया। वीर सपूत देवालाल के शौर्य से प्रेरित होकर गांव के लोगों ने शहीद देवालाल खेल एवं ग्राम विकास समिति गठन किया गया। समिति के महासचिव नरपतसिंह राजावत ने बताया कि प्रति वर्ष शहीद की पुण्यतिथि पर समिति के तत्वावधान में खेलकूद प्रतियोगिता और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता हैं।
PatrikaRajasthanNews
Published on:
26 Jul 2019 09:43 am
बड़ी खबरें
View Allटोंक
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
