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ज्ञानवापी केसः सुप्रीम कोर्ट ने जिला जज को ट्रांसफर किया मामला, वजू के लिए की ये व्यवस्था

Gyanvap Case Update: ज्ञानवापी मामले की सुनवाई शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई। इसमें जस्टिस ने ज्ञानवापी मामला जिला जज वाराणसी को ही ट्रांसफर कर दिया।

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Gyanvapi Masjid Case Supreme Court transfer to District Judge Varanasi

Gyanvapi Masjid Case Supreme Court transfer to District Judge Varanasi

ज्ञानवापी मामले में सुप्रीमकोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुआई वाली तीन जजों की पीठ ने मामले की सुनवाई के बाद केस जिला जज वाराणसी को ट्रांसफर कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने डिस्ट्रिक्ट जज की प्राथमिकता के आधार पर रखरखाव का मुद्दा तय किया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि 17 मई का आदेश 8 सप्ताह तक जारी रहेगा। इस बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी इस मामले में सुनवाई हुई। अगली सुनवाई के लिए 6 जुलाई की तारीख दे दी गयी। उधर, वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में जुमे की नमाज शांति से अदा की गयी। ज्ञानवापी के फुल हो जाने की वजह से नमाजियों को दूसरी मस्जिद में भेजना पड़ा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ज्ञानवापी मामले में ट्रायल कोर्ट में सुनवाई जारी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने मामला जिला जज को ट्रांसफर कर दिया। ट्रायल कोर्ट तय करेगा कि हिंदू पक्ष की याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं। मामले की सुनवाई तीन जजों, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने की।

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जिला जज अनुभवी:जस्टिस चंद्रचूड़

जस्टिस चंद्रचूड़ ने ऑर्डर 7 के नियम 11 का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे मामलों को जिला न्यायाधीश को ही सुनना चाहिए। जिला जज अनुभवी न्यायिक अधिकारी होते हैं।

शिवलिंग को सुरक्षित रखें

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जब तक जिला जज मामले को सुनें हमारा पहले का अंतरिम आदेश जारी रहेगा, जिसमें हमने शिवलिंग को सुरक्षित रखने और नमाज को ना रोकने को कहा था।

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यह कहा मुस्लिम पक्ष ने

मुस्लिम पक्षकारों के वकील हुजैफा अहमदी ने कहा, अब तक जो भी आदेश ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए हैं वो माहौल खराब कर सकते हैं। दूसरे पक्षकार गड़बड़ कर सकते हैं। इसलिए 'स्टेटस को' यानी यथा स्थिति बनाए रखी जाए। पांच सौ साल से उस स्थान को जैसे इस्तेमाल किया जा रहा था उसे बरकरार रखा जाए।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश

-ज्ञानवापी में वजू की पर्याप्त व्यवस्था जिलाधिकारी करें

-धार्मिक आयोजनों की समुचित व्यवस्था की जाए

-मामले को यूपी ज्यूडिशियल सर्विसेज के सीनियर मोस्ट अधिकारी के समक्ष सुना जाए

-जिला जज पहले मुस्लिम पक्ष की अर्जी पर फैसला करेंगे कि ये वाद 1991 ऐक्ट का उल्लंघन है या नहीं

-मामले में सुप्रीम कोर्ट ग्रीष्मावकाश के बाद जुलाई के दूसरे हफ्ते में सुनवाई करेगा

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हाईकोर्ट में हिंदू पक्ष की बहस पूरी, अब 6 जुलाई को सुनवाई

उधर. ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में शुक्रवार को 30 मिनट तक सुनवाई के बाद कोर्ट ने 6 जुलाई को नई डेट दे दी। जस्टिस प्रकाश पाडिय़ा की सिंगल बेंच ने सबसे पहले स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर यानी हिंदू पक्ष की ओर से पेश की गईं दलीलों को सुना। फिर इसके बाद इस मामले को गर्मियों के अवकाश के बाद सुनने का फैसला किया है।

कड़ी सुरक्षा में ज्ञानवापी मस्जिद में अदा हुई जु़मे की नमाज

शुक्रवार को ज्ञानवापी में शांतिपूर्ण ढंग से जु़मे की नमाज अदा की गई। वजूखाना सील होने की वजह से जिला प्रशासन ने ड्रम और लोटा का इंतजाम पहले से ही कर दिया था। शांति और सद्भाव कायम रखने के लिए अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने अपील की थी कि वे अपने घरों के आसपास की मस्जिदों में ही नमाज अदा करें। और घर से वजू कर आएं। बावजूद इसके ज्ञानवापी मस्जिद में नमाज अदा करने के लिए नमाजियों का हुजूम उमड़ पड़ा। बड़ी तादाद में नमाजियों को दूसरी मस्जिदों में भेजना पड़ा। ज्ञानवापी के बाहर भारी संख्या में कमांडो और फोर्स तैनात थे।

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हाउसफुल हो गई ज्ञानवापी मस्जिद

जुमे के दिन ज्ञानवापी मस्जिद हाउसफुल हो गई। 1200 से ज्यादा नमाजी नमाज पढऩे पहुंच गए। जबकि मस्जिद में महज 700 नमाजियो के नमाज पढऩे भर की ही जगह है। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने मस्जिद का मुख्य द्वार बंद कर दिया और लाउडस्पीकर से नमाजियों से दूसरी मस्जिदों में नमाज पढऩे की अपील की गई। वजूखाना और शौचालय के कोर्ट के आदेश पर सील किए जाने के बाद यह पहला जुमा था। इसलिए प्रशासन ने 1,000 लीटर के दो ड्रम पानी भरकर रखे गए थे।

अकबर के काल में थी मस्जिद

इस बीच मुफ्ती-ए-बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी ने दावा किया है कि ज्ञानवापी मस्जिद अकबर काल में थी। जहांगीर और शाहजहां के कार्यकाल में यहां इबादद होती रही। मस्जिद में बच्चों को तालीम देने के लिए मदरसा भी संचालित किया जाता रहा। मुफती-ए-बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी का। नोमानी ने 450 वर्ष पहले की एक किताब, "गंज-ए-अरशदी" का उल्लेख करते हुए बताया है कि इस पुस्तक में ज्ञानवापी में मस्जिद का उल्लेख है। खुद की पुस्तक "तारीख के आइने में ज्ञानवापी" में मिलता है।

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