पीएम नरेन्द्र मोदी की महत्वपूर्ण परियोजना में से एक वाराणसी-हल्दिया के बीच जलपरिवहन योजना पर तेजी से काम चल रहा है और इसी योजना से जोड़ कर फ्रेट विलेट को देखा जा रहा है। एशिया के पहले फ्रेट विलेट की सौगात पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस को मिली है। इसके लिए रामनगर के राल्हूपुर क्षेत्र का चयन किया गया है जिसके लिए सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार ने काशी व चंदौली से १०० एकड़ जमीन देने की सहमति जतायी है। देश में पहली बार किसी जिले में फ्रेट विलेट बनने जा रहा है और इससे व्यापार में नयी क्रांति आ जायेगी। इनलैंड वेज अथाॅिरटी(आईडब्ल्यूआई) के उपाध्यक्ष प्रवीण कुमार पांडेय ने जलपरिवहन की समीक्षा करने के बाद फ्रेट विलेट की जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि छह माह पहले यूरोपिय देशों की यात्रा पर गये परिवहन विभाग के अधिकारियों ने फ्रेट विलेट की कार्यप्रणाली देखी थी और यूरोपिया देशाों की तर्ज पर ही यहां पर फ्रेट विलेट बनाया जायेगा।
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जानिए क्यों खास होता है फ्रेट विलेट
व्यापार बढ़ोतरी में फ्रेट विलेट को क्रांतिकारी माना जाता है। एक ही स्थान पर लोडिंग, अनलोडिंग व मैनुफैक्चरिंग की सुविधा उपलब्ध रहती है। व्यापारियों को अपने उत्पाद भेजने के लिए कई विकल्प मिल जायेंगे। फ्रेट विलेट के पास एनएच-२ व एनएच-५६ के साथ रेलवे परिवहन की सुविधा है। इसके अतिरिक्त जलपरिवहन उपलब्ध होने से व्यापरियों को कम समय व कम खर्च में देश में कही भी उत्पाद भेजने की सुविधा मिलेगी। फ्रेट विलेट में कोल्ड स्टोरेजख् पैकेजिंग, वेयर हाउस, रैपिंग व रोड ट्रांसपोर्ट की सुविधा उपलब्ध होगी। इसके चलते कैसा भी उत्पाद होगा वह खराब नहीं होगा और उसका लंबे समय तक स्टोरेज किया जा सकेगा।
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व्यापार बढ़ोतरी में फ्रेट विलेट को क्रांतिकारी माना जाता है। एक ही स्थान पर लोडिंग, अनलोडिंग व मैनुफैक्चरिंग की सुविधा उपलब्ध रहती है। व्यापारियों को अपने उत्पाद भेजने के लिए कई विकल्प मिल जायेंगे। फ्रेट विलेट के पास एनएच-२ व एनएच-५६ के साथ रेलवे परिवहन की सुविधा है। इसके अतिरिक्त जलपरिवहन उपलब्ध होने से व्यापरियों को कम समय व कम खर्च में देश में कही भी उत्पाद भेजने की सुविधा मिलेगी। फ्रेट विलेट में कोल्ड स्टोरेजख् पैकेजिंग, वेयर हाउस, रैपिंग व रोड ट्रांसपोर्ट की सुविधा उपलब्ध होगी। इसके चलते कैसा भी उत्पाद होगा वह खराब नहीं होगा और उसका लंबे समय तक स्टोरेज किया जा सकेगा।
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गंगा की ड्रेजिंग पर खर्च होंगे 1400 करोड़ रुपये
काशी से हल्दिया तक जलपरिवहन शुरू करने के लिए रामनगर में तेजी से टर्मिनल का निर्माण किया जा रहा है। गंगा में कई जगहों पर सिल्ट जमा होने से 2000 टन भारी मालवाहक जहाज चलाने में दिक्कत होगी। इस समस्या के समाधान के लिए गंगा में ड्रेजिंग करायी जायेगी। तीन चरणों में होने वाली ड्रेजिंग पर कुल 14०० करोड़ रुपये खर्च होंगे। साल भर में ड्रेजिंग का काम पूरा हो जायेगा। पहले चरण की ड्रेजिंग हल्दिया से फरक्का, दूसरे चरण में फरक्का से बिहार व तीसरे व अंतिम चरण में बिहार से बनारस तक का काम पूर्ण किया जायेगा।
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काशी से हल्दिया तक जलपरिवहन शुरू करने के लिए रामनगर में तेजी से टर्मिनल का निर्माण किया जा रहा है। गंगा में कई जगहों पर सिल्ट जमा होने से 2000 टन भारी मालवाहक जहाज चलाने में दिक्कत होगी। इस समस्या के समाधान के लिए गंगा में ड्रेजिंग करायी जायेगी। तीन चरणों में होने वाली ड्रेजिंग पर कुल 14०० करोड़ रुपये खर्च होंगे। साल भर में ड्रेजिंग का काम पूरा हो जायेगा। पहले चरण की ड्रेजिंग हल्दिया से फरक्का, दूसरे चरण में फरक्का से बिहार व तीसरे व अंतिम चरण में बिहार से बनारस तक का काम पूर्ण किया जायेगा।
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गंगा में फेरी सर्विस शुरू कर दियायी जायेगी जाम से राहत
काशी की प्रमुख एक समस्या ट्रैफिक जाम से मुक्ति के लिए फेरी सर्विस शुरू की जायेगी। रामनगर, खिड़किया व अस्सी घाट पर फेरी सर्विस के लिए स्टेशन बनाये जायेंगे। तीन से चार घंटे वाली यात्रा मात्र ३० मिनट में पूरी हो जायेगी। फेरी सर्विस के तहत दो मंजिला जहाज चलाने की तैयारी है। जहाज के पहले तल पर वाहन व फल-सब्जी रखने की व्यवस्था होगी, जबकि दूसरे तल पर यात्रा बैठेंगे। जलपरिवहन से काशी में रोजगार में नये अवसर भी पैदा होंगे।
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काशी की प्रमुख एक समस्या ट्रैफिक जाम से मुक्ति के लिए फेरी सर्विस शुरू की जायेगी। रामनगर, खिड़किया व अस्सी घाट पर फेरी सर्विस के लिए स्टेशन बनाये जायेंगे। तीन से चार घंटे वाली यात्रा मात्र ३० मिनट में पूरी हो जायेगी। फेरी सर्विस के तहत दो मंजिला जहाज चलाने की तैयारी है। जहाज के पहले तल पर वाहन व फल-सब्जी रखने की व्यवस्था होगी, जबकि दूसरे तल पर यात्रा बैठेंगे। जलपरिवहन से काशी में रोजगार में नये अवसर भी पैदा होंगे।
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