World Sparrow Day 2025 : राजस्थान सहित देश में घर-आंगन से गौरेया गायब हो गई है। यह एक चिंताजनक विषय है। गौरेया का कैसे करें बचाव, जानें।
World Sparrow Day 2025 : इंडियन काउंससिल फॉर एग्रीकल्चर रिसर्च गौरेया पर सर्वेक्षण कर रही है। इसके अनुसार राजस्थान में 40 फीसदी तक गौरेया कम हो चुकी हैं। जीहां, अब गौरेया अधिकतर घर-आंगन से गायब हो गई है। घटते वेटलैंड और बढ़ते प्रदूषण से घर-आंगन और पेड़-पौधों पर चहचहाने वाली गौरेया की संख्या तेजी से घट रही है। संरक्षण के प्रयास तेज नहीं हुए तो यह गौरेया विलुप्ति के कगार पर पहुंच जाएंगी। विश्व गौरैया दिवस 2025 की थीम है: प्रकृति के नन्हे दूतों को सम्मान (A tribute To Nature's Tiny Messengers) है।
मदस विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. सुब्रोतो दत्ता ने बताया कि कि शहरों के व्यस्ततम जीवन चक्र, जैव विविधता में कमी से गौरेया को नुकसान हो रहा है। पहले खेतों में गोबर और प्राकृतिक खाद से भोजन मिल जाता था। घरों की आधुनिक बनावट, खाद्य और पानी की समस्या के चलते 35 से 40 प्रतिशत गौरेया कम हो चुकी है।
25-30 साल पूर्व तक पुरानी डिजाइन के मेहराबदार और जालियां वाले घरों और पेड़ों में आश्रय मिलता था। गौरेया को बबूल, कनेर, अमरूद, नींबू, अनार, मेहंदी, बांस और घने पेड़ पसंद हैं। शहरों में प्राकृतिक घौसले बनाने के लिए उपयुक्त जगह नहीं मिल रही है।
इंडियन काउंससिल फॉर एग्रीकल्चर रिसर्च गौरेया पर सर्वेक्षण कर रही है। इसके अनुसार आंध्र प्रदेश में 75 फीसदी, राजस्थान में 40 फीसदी, ओडिशा, गुजरात, तमिलनाडू, केरल, कर्नाटक के शहरी इलाकों में 25 से 30 प्रतिशत तक गौरेया कम हो चुकी हैं।
1- 35 से 40 प्रतिशत तक मोबाइल टावर से उत्सर्जित तरंगें।
2- 50 से 60 प्रतिशत मकान में आधुनिक डिजाइन का प्रयोग।
3- 40 से 45 प्रतिशत जलाशयों के वेटलैंड पर अतिक्रमण।
4- 50 प्रतिशत खेतों में कीटनाशकों का इस्तेमाल।
5- 35 से 45 प्रतिशत तक बढ़ा शहरों में प्रदूषण।
प्रकृति की सुरक्षा में गौरेया का अहम योगदान रहा है। यह कीट नियंत्रण, पारिस्थितिकी संतुलन, पौधों में निश्चेन करती है। बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण, सिमटते जल और खाद्यान स्त्रोत के चलते इसका जीवन खतरे में है।
गौरैया संरक्षण के लिए छोटे लेकिन महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं।
पक्षियों के लिए दाना पानी रखें - घर या बगीचे में पानी और अनाज के लिए परिंडे लगाए।
घोसला बनाने की जगह - लकड़ी के छोटे घर या पुराने बक्सों को घोंसले के रूप में तब्दील करे।
कीटनाशकों का काम प्रयोग करें - जैविक खेती को अपनाकर गौरैया के लिए भोजन की व्यवस्था हो सकती है।
अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाएं - देसी पेड़ पौधे लगाएं, ये पौधे कीट पतंगों को आकर्षित करते हैं। गौरैया के लिए फायदेमंद होते हैं।
जागरूकता - गौरैया की संरक्षण को लेकर जागरूकता फैलाएं।