
Cough Syrup deaths MP: अधिकारियों को फटकार के बाद सीएम ने दिखाई सख्ती, चंद घंटों में ही हुआ एक्शन, हटाए गए ये अधिकारी।। बाएं से ड्रग कंट्रोलर दिनेश मौर्य, डिप्टी ड्रग कंट्रोलर शोभित कोष्टा, ड्रग इंस्पेक्टर शरद जैन, ड्रग इंस्पेक्टर गौरव शर्मा। (फोटो पत्रिका)
Cough Syrup Death: जहरीले कफ सिरप कोल्ड्रिफ के सेवन से मध्यप्रदेश में कुल 17 बच्चों की मौत हो चुकी है। इनमें से 15 की पुष्टि अधिकृत है। मामले पर देशभर में बवाल मचा हुआ है। कई राज्य सिरप को बैन कर रहे हैं या सैंपल लिए जा रहे हैं। इधर, पूरे मामले में कदम-कदम पर प्रदेश का सिस्टम ही अमानक साबित हुआ। जब एक के बाद एक बच्चों की मौत होती रहीं। इस पर सियासत होने लगी तो सिस्टम नींद से जागा और कार्रवाई के कागज दौड़े।
सिरप रिलाइफ (Cough Syrup Relife) में 0.616% और रेस्पिफ्रेश-टीआर में 1.342% डाइएथिलीन ग्लाइकॉल मिला। यह 0.1 के आसपास होना चाहिए। जिन बच्चों की मौत हुई, उनमें से कई को ये सिरप दी गई थीं। स्वास्थ्य विभाग सप्लाई चेन पता कर रहा है। सिरप गुजरात से सप्लाई होती थीं। बैच एलएसएल 25160 की रिलाइफ सिरप का सैंपल अमानक मिला है। बैच जनवरी में निकला था। अंतिम अवधि दिसंबर 2026 है।
एमपी सरकार ने ड्रग कंट्रोलर एवं आइएएस अफसर दिनेश मौर्य को हटा दिया। सामान्य प्रशासन विभाग का अपर सचिव बनाया है। ड्रग कंट्रोलर का अतिरिक्त जिम्मा स्वास्थ्य विभाग के संचालक दिनेश श्रीवास्तव को दिया है। इसी तरह डिप्टी ड्रग कंट्रोलर शोभित कोष्टा, छिंदवाड़ा और जबलपुर जिला ड्रग निरीक्षक शरद जैन, गौरव शर्मा को निलंबित कर दिया। सीएम डॉ. मोहन यादव ने इससे पहले उच्च स्तरीय बैठक में समीक्षा की।
दवाओं की गुणवत्ता (Poisonous cough syrup) की निगरानी का तंत्र मजबूत रखना था। संदिग्ध होने व जरूरत पडऩे पर सैंपलिंग करवानी थी। जांच का सिस्टम ठीक रखना था। ये जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाई। जब बच्चों की मौत होने लगी तो मामला समझने में देर की। तुरंत जांच नहीं कराई। मौतों का आंकड़ा बढ़ता गया।
केंद्र की गाइडलाइन के बावजूद कोल्ड्रिफ (cough syrup Coldrif) पर चेतावनी नहीं थी, जिसे रोकना था। भंडारण और बिक्री होने दी। नियंत्रक प्राधिकारी थे, इसलिए इंस्पेक्टरों के साथ केंद्रराज्य के दिशा-निर्देशों का पालन करना था, नहीं करवा पाए। इस कारण बच्चों की मौत हुई, जो गंभीर लापरवाही है।
कार्य क्षेत्र जबलपुर में है। इन्होंने बिना मापदंड वाली दवा का स्टॉकिस्ट द्वारा किए गए जहरीले कफ सिरप के भंडारण को नहीं रोका। समय-समय पर जांच कर अमानक दवा के भंडारण को रोका जा सकता था, लेकिन शरद इसमें नाकाम रहे। केंद्र सरकार की गाइडलाइन का पालन नहीं कराया।
कार्यक्षेत्र छिंदवाड़ा है। परासिया में जहरीली कफ सिरप कोल्ड्रिफ (Cough Syrup Death)की खरीदी-बिक्री नहीं रोकी। स्टॉक की भी जांच नहीं की। बच्चों की मौत के मामले सामने आए तब भी संज्ञान नहीं लिया। प्रदेश स्तर के निर्देश के बावजूद तीन अटूबर को जांच करानी पड़ी। तब तक बच्चों की मौत हो गई।
परासिया (छिंदवाड़ा) के आरोपी डॉक्टर प्रवीण सोनी को पुलिस ने जांच के बाद सोमवार को कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल पहुंचा दिया गया। वकीलों ने जमानत की गुहार लगाई थी, लेकिन कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी। तस्वीर में बेशर्म मुस्कान के साथ डॉक्टर।
-एमपी के पत्र पर तमिलनाडु ने ओडिशा-पुदुचेरी से सीज कराया कोल्ड्रिफ का स्टॉक-
अमानक मिली रिलाइफ व रेस्पिफ्रेशटीआर सिरप बैन करने, उत्पादन बंद करने के लिए मोहन सरकार ने गुजरात को पत्र लिखा है। यह पत्र सोमवार शाम जांच रिपोर्ट आने के बाद ड्रग कंट्रोलर को लिखा गया। उधर, मप्र के पत्र के बाद ओडिशा व पुदुचेरी से कोल्ड्रिफ का स्टॉक सीज किया गया। इससे वहां खतरा कम हो गया है। हालांकि पहले भी दोनों राज्यों में उक्त सिरप से किसी की मौत होना रिपोर्ट नहीं हुई है। बता दें कि मप्र की ओर ने तमिलनाडु को एक अक्टूबर को पत्र लिखा गया था। कोल्ड्रिफ पर संदेह जताया था। इस आधार पर उत्पादन रोका। श्रीसन फार्मा की सभी दवाइयों पर बैन लगा दिया। जिन राज्यों में स्टॉक गया था, उन्हें सूचित किया। स्टॉक जब्त कराया।
अतिया खान, सत्या पंवार, पूर्वी अदमाची, शिवम राठौर, उसैद खान, ऋषिका पिपरे, योजिता ठाकरे, चंचलेश यदुवंशी, अदनान खान, विकास यदुवंशी, विधि डेहरिया, सेहेरिश अली, दिव्यांशु उइके, संध्या बोसम, हितांश सोनी।
परासिया रवाना होने के बाद सीएम डॉ. मोहन यादव सबसे पहले न्यूटन चिखनी स्थित अदनान खान के घर पहुंचे। मां आफरीन और अन्य सदस्यों ने इलाज के दस्तावेज, कफ सिरप दिखाए। सीएम ने न्याय का भरोसा दिलाया। कहा, दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी। सीएम ने कांग्रेस के आरोपों पर कहा- कांग्रेस के पास आरोप लगाने के अलावा कोई काम नहीं है। जिस एंडरसन के सिर पर 10 हजार हत्याओं का हाथ था, उसे भगाने में कांग्रेस का ही हाथ था।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भी पीडि़त परिजन से मुलाकात की। कहा, सीएम को सबसे पहले स्वास्थ्य मंत्री को बर्खास्त करना चाहिए। हेल्थ कमिश्नर, ड्रग कंट्रोलर आदि पर कार्रवाई होनी चाहिए। जब मौतें हो रही थीं, तब सीएम असम में हाथियों को गन्ना खिला रहे थे।
Published on:
07 Oct 2025 09:36 am
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