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कोरोना काल में ऐसे रखें अपने फेफड़ों का ध्यान, इन बातों पर करें गौर

locationभोपालPublished: May 09, 2021 01:15:02 pm

Submitted by:

Hitendra Sharma

फेफड़ों में सुधार, तनाव, पीड़ा से मुक्ति के लिए आर्ट ऑफ लिविंग ने बताए तीन प्रोटोकॉल

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भोपाल. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान लोगों में धैर्य बनाये रखने के लिये और फेफड़ों की क्षमता में सुधार, तनाव और पीड़ा से राहत के लिए यदि इन तीन प्रमुख प्रोटोकॉल का पालन किया जाए तो तनाव से बचा जा सकता है। वर्तमान चुनौतियों के दौर में जब लोग महामारी का सामना कर रहे हैं, कई जिंदगियों का जहां एक तरफ अंत हो रहा है वहीं दूसरी तरफ आर्थिक और व्यावसायिक नुकसान ने भी लोगों को निराशा के दौर में धकेल दिया है। इस कठिन समय में लोगों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सहारा केवल आसन, ध्यान और साँस लेने की विधियों या प्राणायाम से ही संबल मिल सकता है।

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कम लोगों को भर्ती होने की जरूरत
चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार केवल 5 से 7 फीसद रोगियों को वास्तव में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है। कई लोग घर में प्राणायाम और सांस लेने की विधियों को जान कर लाभ उठा सकते हैं। इसके साथ ही कबासुर कुडीनीर जैसी आयुर्वेद और अन्य रोगनिरोधी दवाइयों भी सहायता दे रही हैं जिसकी पुष्टि फ्रैंकफर्ट बायोटेक्नोलॉजी इनोवेशन सेंटर, जर्मनी जैसी संस्थाओं ने की है।

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नि:शुल्क ऑनलाईन कार्यशाला
कोरोना महामारी के इस कठिन समय में लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देने, मानसिक स्तर पर शांति के लिए आर्ट ऑफ लिविंग ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित करने जा रहा है। आर्ट ऑफ लिविंग संस्था के प्रशिक्षक ऋतु राज असाटी ने बताया है कि अगले दो महीनों तक आर्ट ऑफ लिविंग के सभी योग और ध्यान के प्रशिक्षक ऑनलाइन नि:शुल्क कार्यशाला लेते रहेंगे। आसन और प्राणायाम के 15-20 मिनट के प्रोटोकॉल को तीन श्रेणियों में लोगों तक पहुँचाया जाएगा।
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लोगों में उम्मीद जगाएंगे
सामाजिक दूरी के साथ एक तरफ चिकित्सकीय आइसोलेशन और दूसरी तरफ लॉकडाउन के कारण लोग अकेलेपन और भय से जूझ रहे हैं। विभिन्न राज्यों, समुदायों और आर्थिक वर्गों के लोग इस महामारी से पीड़ित हैं। प्रोटोकॉल उन लोगों में उम्मीद की नई किरण जगाएगा जो एकांत में इस दौरान उन्हें किसी से बात करने का अवसर भी मिलेगा। जिससे उन्हें डर, चिंता और अस्पताल में भर्ती होने के लिए जल्दी को कम करने में भी मदद मिलेगी।
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विशेषज्ञों ने भी की पुष्टि
कैलिफोर्निया में लोमा लिंडा यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने पाया कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए भी साँस लेने के व्यायाम, प्राणायाम व उज्जयी प्राणायाम ऐसे उपचार के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। डब्ल्यूएचओ ने भी इस बात की पुष्टि की है। स्वास्थ्य लाभ की प्रक्रिया में ध्यान, मन की एक आरामदायक स्थिति को प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जो उपचार और पुनर्विकास को सक्षम बनाता है। कई अध्ययनों से पता चलता है कि सिर्फ बीस मिनट के दैनिक ध्यान से रक्त में कोर्टिसोल का स्तर कम हो सकता है और एंडोर्फिन बढ सकता है जिससे मन की सकारात्मक और खुशहाल स्थिति बन सकती है।

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