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क्या आपको भी बार-बार आता है एक ही विचार? अगर हां तो आपको हो सकती है ये गंभीर बीमारी…

MP News: मध्य प्रदेश समेत देश-दुनिया में लगातार बढ़ रही हैं मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याएं, आए दिन समाचारों की सुर्खियां बनते हैं डिप्रेशन, सुसाइड, रिश्तों में दूरियां, गलतफहमियां, तलाक या फिर अकेलेपन और खालीपन से जुड़े मामले, मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी से जानें आखिर क्या है ओवरथिंकिंग की ये बीमारी, कैसे करती है परेशान...

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MP News: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हर कोई तनाव में है, जाने-अनजाने ओवरथिंकिंग का शिकार। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि ओवथिंकिंग क्या होती है? कैसे ओवरथिंकिंग आपकी हंसती- खेलती जिंदगी को तबाह कर सकती है। आए दिन समाचारों की सुर्खियां बनते हैं डिप्रेशन, सुसाइड, रिश्तों में दूरियां, गलतफहमियां, तलाक या फिर अकेला और खालीपन के मामले…

बढ़ते कॉम्पिटिशन में पढ़ाई का बोझ, ऑफिस में काम का बोझ, पारिवारिक जिम्मेदारियां और कई बार जिंदगी में आने वाली परिस्थितियां लोगों को ओवरथिंकिंग की गर्त में धकेल रही हैं। लेकिन लोग नहीं जानते कि वे ओवरथिकिंग की गिरफ्त में हैं… और ये एक गंभीर समस्या है। क्या आप भी हैं 'ओवरथिंकिंग के शिकार', तो patrika.com पर जानें भोपाल के मशहूर मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी के बताए टिप्स, जो आपको देंगे 'ओवरथिंकिंग से आजादी', इन्हें फॉलो करके आप भी रहेंगे हमेशा हेल्दी और खुश…

यहां जानें ओवर थिंकिंग के लक्षण (Overthinking Symptoms)

क्या आपके साथ अक्सर ऐसा होने लगा है कि रात के सन्नाटे में भी आपका दिमाग किसी पुरानी गलती को लेकर आपके मन में शोर मचाने लगा हो? या फिर कोई छोटी-सी बात अंदर ही अंदर आपको इतना परेशान कर दे कि आप खुद को दोष देने लगें हों? या फिर अक्सर बिना किसी वजह की बेचैनी आपको घेरे रहती है…तो यही लक्षण हैं, जो बताते हैं कि आप ओवरथिंकिंग के शिकार हैं। आपका अदृश्य दुश्मन, जो एक बार दिमाग में घर कर जाए तो जिंदगी को चैन, सुकून से नहीं जीने देता। जीवन को निरस बना देता है।

क्यों हो जाती है ओवर थिंकिंग (Overthinking Reason)

1.डॉ. त्रिवेदी बताते हैं कि ओवरथिंकिंग के पीछे डर, असुरक्षा और आत्म-संदेह जैसे कारण छिपे होते हैं।

2.हम भविष्य को कंट्रोल करना चाहते हैं, जबकि भविष्य हमारे हाथ में नहीं होता।

3.हम बीते कल को बदलना चाहते हैं, लेकिन बीता समय कभी लौटकर नहीं आता।

4.हम सबको खुश करने की कोशिश में खुद को दुखी कर लेते हैं।

ओवरथिंकिंग से आजादी कैसे? जानें टिप्स (Tips to get rid Overthinking )

एक्सपर्टमनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी ने अपनी किताब ओवर थिंकिंग से आजादी में ओवरथिंकिंग के बारे में बड़े ही आसानी से समझा दिया है कि ओवरथिंकिंग क्या है और कैसे ये हर किसी को अपना शिकार बना रही है। यही नहीं इस किताब में डॉ. त्रिवेदी ने ओवरथिंकिंग से आजादी पाने के टिप्स भी बताए हैं। आप भी जानें ओवरथिंकिंग से आजादी के 6 टिप्स...

  1. जो बीत गया, उसे जाने दें। एक बार सोचके देखिए कि अगर आप एक पत्थर अपन हाथ में कसकर पकड़े रखेंगे तो एक वक्त ऐसा आएगा कि आपको दर्द झेलना होगा, अगर दर्द से मुक्ति पाना है तो फिर उसे छोड़ना होगा, ठीक वैसे ही आपका बीता कल है, उसकी कड़वी यादों को भूलकर आपको आगे बढ़ना होगा। वर्तमान में जीना होगा।
  2. हर चीज़ पर पर हम नियंत्रण नहीं कर सकते। इसे एक उदाहरण से समझते हैं, जैसे- बारिश होगी या नहीं, यह हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन बारिश से बचने के लिए छतरी का यूज करना हमारे हाथ में है। अब फैसला भी हमें ही करना होगा कि बारिश में भीगकर बीमार पड़ना है या फिर छतरी साथ रखकर बारिश से भीगने से खुद को बचाते हुए घर से निकलना है, ताकि आप समय पर ऑफिस या अपने गंतव्य पर पहुंच सकें और अपने दैनिक कार्यों को समय पर पूरा कर सकें।
  3. अपने दिमाग को खाली मत रहने दीजिए। खुद को व्यस्त रखें, जब आप ऐसा करेंगे तो आपको सोचने का समय ही नहीं मिलेगा। ऐसे में जिंदगी की कोई कड़वी याद, गलत फैसले या फिर भविष्य की चिंता आपके दिमाग पर हावी नहीं होगी।
  4. अगर आप ओवर थिंकिंग के लक्षण महसूस कर रहे हैं, तो ध्यान दें इससे पहले कि आप मानसिक थकान या परेशान हों तो मेडिटेशन को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं, गहरी-गहरी सांसों का अभ्यास करें। जब दिमाग भाग रहा हो, तो बस एक मिनट के लिए आंखें बंद करें और गहरी सांस लें। आपको अपने आप फर्क महसूस होगा। इसके साथ ही वॉकिंग और एक्सरसाइज भी नियमित करने की आदत बना लें।
  5. अगर आप किसी से अपने मन की उलझनें या किसी बात को किसी से शेयर नहीं कर सकतीं या सकते तो मन ही मन घुटिए नहीं, बल्कि एक डायरी में अपनी उलझनों को लिखने की आदत बना लिजिए। क्योंकि जब भी कोई बात ज्यादा परेशान करती है, तो आपको ओवरथिंकिंग की ओर ले जाती है और मन की बात कागज पर लिख देने से दिल-दिमाग का बोझ हल्का हो जाता है।
  6. हेल्दी फूड भी आपकी दिनचर्या का हिस्सा होना चाहिए। क्योंकि खाने-पीने का सीधा कनेक्शन हमारे दिमाग से है। अगर आप हेल्दी डाइट लेते हैं तो भी आप स्वस्थ रहने के साथ हमेशा खुश भी रहेंगे।

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