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17 साल का लड़का और 14 साल की लड़की, इस फिल्म ने दिखाई थी किशोरावस्था के प्यार की सच्ची कहानी

Bobby: 1973 में रिलीज हुई एक फिल्म, जिसकी सफलता कर दी थी 'मेरा नाम जोकर' के नुकसान की भरपाई। उस फिल्म की कहानी की मासूमियत, गानों और कलाकारों ने हर वर्ग के लोगों के दिलों को छुआ और युवाओं को दिया उस दौर का स्टाइल स्टेटमेंट।

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मुंबई

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Rashi Sharma

Sep 29, 2025

1973 Film Bobby

ऋषि कपूर और डिंपल कपाड़िया की फिल्म बॉबी के सीन। (फोटो सोर्स: IMDb)

Bobby: एक ड्रीम फिल्म, करोड़ों का कर्ज और हो गई फिल्म फ्लॉप, ये कहानी है बॉलीवुड के शोमैन राज कपूर की। राज कपूर वो एक्टर, निर्देशक, प्रोड्यूसर जिन्होंने एक से बढ़ कर एक सुपरहिट फिल्में दीं। मगर वो कहते हैं ना कि हर दिन एक सा नहीं होता। राज कपूर के साथ 1970 में उनकी एक फिल्म बॉक्स ऑफिस पर धड़ाम से गिरी। फिल्म का नाम था 'मेरा नाम जोकर'। ये फिल्म राज कपूर साब के करियर की सबसे बड़ी फ्लॉप साबित हुई। ये एक मल्टी स्टारर फिल्म थी और उस दौर के हिसाब से फिल्म का बजट (1 करोड़ से ज्यादा) भी बहुत ज्यादा था। फिल्म को इतना नुकसान हुआ कि राज साहब को अपना घर, और स्टूडियो तक गिरवी रखना पड़ा था।

मेरा नाम जोकर के पिटने के बाद बनाई थी बॉबी

आज बॉबी फिल्म को रिलीज हुए पूरे 52 साल ह चुके हैं। मेरा नाम जोकर के फ्लॉप होने के बाद राज कपूर बहुत परेशान हो गए थे और उनके ऊपर लोगों के कर्जे भी चढ़ गए थे। कहा जाता है कि राज कपूर को कॉमिक्स पढ़ने का बहुत शौक था और एक दिन वो एक कॉमिक्स देख रहे थे, और अचानक ही उनकी नजर एक डायलाग पर रुक गई। और फिर बना इतिहास।

क्या था वो डायलॉग?

आपको बता दें कि राज कपूर से जुड़े इस किस्से इस पूरे किस्से के बारे में ख्वाजा अहमद अब्बास की किताब बॉबी-द कंप्लीट स्टोरी (Bobby: The Complete Story) में गया बताया है। राज कपूर साहब जिस कॉमिक बुक को पढ़ रहे थे उसका नाम था 'आर्ची' और उसका वो एक डायलॉग कुछ प्रकार से था, '17 साल कोई छोटी उम्र नहीं होती, हमारी भी अपनी जिंदगी है और हमें उसका अहसास है।' और इस डायलॉग को पढ़ने के बाद वो सीधे अपने करीबी दोस्त और लेखक केए अब्बास के जुहू वाले ऑफिस पहुंच गए। मगर वो वहां अकेले नहीं गए बल्कि अपने साथ अपने को-राइटर वीपी साठे को भी ले गए।

1972 में गढ़ी गई थी बॉबी की कहानी

केए अब्बास के ऑफिस पहुंचते ही उन्होंने तुरंत अपनी फिल्म का प्लॉट उनको सुनाया, जिसके बारे में वो रास्ते भर सोचते आ रहे थे। उन्होंने तो यहां तक सोच लिया था कि फिल्म से वो अपने बेटे ऋषि कपूर को उर्फ चिंटू को फिल्मों में लॉन्च करेंगे। इससे पहले ऋषि कपूर मेरा नाम जोकर में राज कपूर के बचपन के किरदार में नजर आ चुके थे। और फिल्म में ऋषि के काम को बहुत सराहा गया था। वो साल था 1972 और इसी साल में शुरू हुई थी 'बॉबी' फिल्म की शुरुआत। ये फिल्म टीनएज लव पर आधारित थी।

1973 में जब रिलीज हुई बॉबी (1973 Film Bobby)

ऋषि कपूर और डिम्पल कपाड़िया अभिनीत 'बॉबी' 28 सितंबर 1973 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म ने उस दौर के युवाओं के मन को छुआ। लोगों को फिल्म बहुत पसंद आई। फिल्म के गाने मैं शायर तो नहीं…, 'झूठ बोले कौआ काटे' जैसे गानों ने लोगों को अपना दीवाना बना दिया था। ऋषि कपूर और डिम्पल कपाड़िया की उम्र और मासूमियत ने सबको आकर्षित किया। इस फिल्म ने हर उम्र के लोगों को दिलों को छूआ।

70 के दशक का हिंदी सिनेमा (1970s Era of Bollywood)

हिंदी सिनेमा के लिए 70 का दशक काफी महत्वपूर्ण दशक था। जब 'हरे राम हरेकृष्णा', 'जंजीर' अमर प्रेम, शोले, दीवार, गोलमाल जैसी अलग-अलग जॉनर की फिल्में अपना दबदबा बनाने में लगी हुईं थी, उस दशक में राज कपूर की बॉबी ने टीनएज लव और जवानी की दहलेज पर कदम रख रहे बच्चों की प्रेम कहानी को पर्दे पर उतार कर एक अलग ही मिसाल कायम कर दी। बॉबी उस दौर की सबसे बड़ी हिट फिल्मों की लिस्ट में शामिल हो गई। फिल्म में ऋषि कपूर और डिंपल कपाड़िया उस दौर के युवाओं के लिया स्टाइल आइकॉन बन गए।

बॉबी की कहानी

1973 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में 17 साल के किशोर लड़के और 14 साल की लड़की की प्रेम कहानी को दिखाया गया है। जिनके प्यार के बीच दोनों परिवार की असमानता दीवार बनकर खड़ी हो गई। इस दीवार को तोड़ने के लिए युवा कपल ने बगावत का बिगुल बजा दिया। और अपने प्यार के आगे जमाने को झुकने पर मजबूर कर दिया। आखिर में प्यार की जीत हुई और हुई हैप्पी एंडिंग।