7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बड़ी खबर: धीरेंद्र शास्त्री के प्रभारी का फर्जीवाड़े में आया नाम, जाली रिकॉर्ड से करा ली सरकारी जमीन की रजिस्ट्री

MP News: छतरपुर में लोक निर्माण विभाग की करोड़ों की सरकारी संपत्ति फर्जी रजिस्ट्री से धीरेंद्र शास्त्री के यात्रा प्रभारी के नाम दर्ज, कलेक्टर ने तुरंत जांच और नामांतरण रोक दिया।

4 min read
Google source verification
House of Daftari land fraud dhirendra shastri yatra incharge named chhatarpur mp news

House of Daftari land fraud dhirendra shastri yatra incharge named chhatarpur (फोटो- Patrika.com)

House of Daftari land fraud:छतरपुर शहर के कोतवाली थाना के पास शक्ति मेडिकल स्टोर के बगल में लोक निर्माण विभाग की करोड़ों की सरकारी संपत्ति हाउस ऑफ दफ्तरी की निजी व्यक्तियों के नाम रजिस्ट्री कर दिए जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है।

4000 वर्ग फीट की इस संपत्ति की बाजार कीमत नौ करोड़ रुपए बताई जा रही है। रजिस्ट्री जिन व्यक्तियों धीरेंद्र कुमार गौर व दुर्गेश पटेल के नाम की गई है, उनमें से एक बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री (Dhirendra Shastri) का दिल्ली से वृंदावन यात्रा प्रभारी बताया जा रहा है। (mp news)

कलेक्टर ने अधिकारीयों को किया निलंबित

मामले के उजागर होने के बाद कलेक्टर पार्थ जैसवाल ने तत्काल संज्ञान लेकर लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री (एक्जीक्यूटिव इंजीनियर) आशीष भारती को जांच सौंपी है। वहीं जिला पंजीयक कार्यालय ने गंभीर अनियमितताओं के चलते रजिस्ट्री लेखक रघुनंदन पाठक का लाइसेंस निलंबित कर दिया है। साथ ही तात्कालीन सब रजिस्ट्रार कंसू लाल अहिरवार पर कार्यवाही का प्रस्ताव कलेक्टर को भेजा, जिस पर शुक्रवार को कलेक्टर ने अहिरवार को निलंबित कर दिया। (mp news)

नामांतरण पर लगाई रोक, कोर्ट में जाएगा मामला

प्रकरण सामने आने के बाद कलेक्टर पार्थ जैसवाल ने एसडीएम अखिल राठौर को जांच के निर्देश दिए। एसडीएम ने तत्काल प्रभाव से भवन के नामांतरण पर रोक लगाने के आदेश जारी किए हैं। लोक निर्माण विभाग ने भी हाईकोर्ट में अपील दायर करने की तैयारी शुरू कर दी है। कलेक्टर पार्थ जैसवाल ने कहा यह भवन पूरी तरह से शासकीय संपत्ति है। हाईकोर्ट के सिंगल बैच के फैसले के खिलाफ डबल बैच में अपील करेंगे। इस पूरे मामले में लोक निर्माण विभाग की गंभीर लापरवाही सामने आई है। जांच पूरी होने तक नामांतरण और अन्य कार्यवाही पर रोक रहेगी। (mp news)

64वें नंबर पर दर्ज सरकारी भवन

यह भवन लोक निर्माण विभाग की भवन पुस्तिका में कमांक 64 पर हाउस ऑफ दफ्तरी वाला के नाम से दर्ज है। विभागीय रिकॉर्ड में यह संपत्ति 1978-79 से शासकीय उपयोग के लिए दर्ज है। वर्षों से इस भवन का किराया जमा किया जा रहा था और यह विभाग की सकिय सूची में मौजूद है। इसके बावजूद 13 जून 2024 में इस सरकारी संपत्ति की रजिस्ट्री धीरेंद्र गौर और दुर्गेश पटेल के नाम पर 84 लाख 54 हजार रुपए में कर दी गई। यह पूरी प्रक्रिया फर्जी दस्तावेजों और गलत डिकी के आधार पर की गई है। जिसमें मिलीभगत स्पष्ट दिखाई दे रही है। (mp news)

1974 से चल रहा था पुराना विवाद

ये विवाद पचास वर्ष पुराना है। आज़ादी के बाद जब राजशाही संपत्तियों की सूची में यह भवन विंध्य प्रदेश सरकार के अधीन था, बाद में इसे लोक निर्माण विभाग के अधिकार क्षेत्र में शामिल किया। हालांकि, कुछ व्यक्तियों ने फर्जी कागजात तैयार कर भवन को निजी बताते हुए दरोगा पंडित के नाम पर दावा दायर कर दिया। 2004 में लेबर कोर्ट ने लोकनिर्माण विभाग के पक्ष में फैसला सुनाया, 2005 में दावाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में अपील कर स्टे ऑर्डर ले लिया। नवंबर 2024 में गलत दस्तावेजों पर कोर्ट से डिकी जारी कराकर जून 2025 में रजिस्ट्री भी कर दी गई। (mp news)

दावा- कोर्ट की डिक्री के आधार पर खरीदी

इस विवादित संपत्ति के खरीदार धीरेंद्र गौर ने अपना पक्ष रखते हुए कहा यह मामला वर्ष 1968 से कोर्ट में चल रहा था। लोक निर्माण विभाग अपने पक्ष के दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सका। कोर्ट से हमारे पक्ष में डिकी जारी हुई है, जिसके बाद नगर पालिका के दस्तावेजों के आधार पर रजिस्ट्री कराई गई है। हालांकि, प्रशासनिक अधिकारियों ने कहा कि केवल डिकी के आधार पर शासकीय संपत्ति का नामांतरण नहीं किया जा सकता। जब तक विभागीय स्वामित्व रिकॉर्ड नहीं बदलता, तब तक संपत्ति की रजिस्ट्री अमान्य मानी जाएगी। (mp news)

मिलीभगत पर उठ रहे सवाल

मामले में यह भी सामने आया है कि विभागीय स्तर पर पैरवी कमजोर रही। हाईकोर्ट में केस की नियमित मॉनिटरिंग नहीं की गई, जिससे निजी पक्ष के पक्ष में डिकी पारित हो गई। सूत्र बताते हैं कि कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से संपत्ति को बचाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, जबकि यह भवन नपा और नजूल दोनों के रिकॉर्ड में लोकनिर्माण विभाग के नाम से दर्ज है। (mp news)

नोटिस चस्पा किया

लोकनिर्माण विभाग ने गुरुवार देर शाम भवन परिसर में नोटिस चिपकाकर साफ लिखा यह भवन आज भी लोक निर्माण विभाग एवं नजूल विभाग छतरपुर के अभिलेखों में शासकीय संपत्ति के रूप में दर्ज है। इसका किसी निजी व्यक्ति द्वारा स्वामित्व दावा अवैध है। (mp news)

नामांतरण स्थगित, अपील की तैयारी

लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री आशीष भारती ने कहा मैं हाल ही में पदस्थ हुआ हूं। 6 अक्टूबर को ही कलेक्टर ने जांच का दायित्व सौंपा है। (mp news)