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अशोक परनामी का इस्तीफ़ा तो है एक ट्रेलर, असली पिक्चर तो अभी बाकि है!

locationजयपुरPublished: Apr 18, 2018 01:32:04 pm

Submitted by:

rohit sharma

अशोक परनामी का इस्तीफ़ा तो है एक ट्रेलर, असली पिक्चर तो अभी बाकि है!

जयपुर।

आगामी विधानसभा चुनावों काे जीतने के लिए भाजपा ने पूरी ताकत लगा दी है। इसकी शुरुआत पार्टी ने भाजपा अध्यक्ष अशाेक परनामी काे हटाकर की है। कहा जा रहा है कि अशाेक परनामी पर उपचुनावाें में पार्टी काे मिली करारी हार की गाज गिरी है।
पार्टी का पूरा फाेकस अब चुनाव जीतने पर है आैर इसके लिए केंद्रीय नेतृत्व काेर्इ भी बड़ा फैसला लेने से नहीं चूकेगा। कहा जा रहा है कि आने वाले दिनाें में पार्टी में आैर कर्इ बड़े बदलाव देखने काे मिल सकते हैंं।
मालूम हाे कि उपचुनावों में मिली करारी हार के बाद सीएम वसुंधरा राजे के विरोधी गुट ने उनके खिलाफ पूरी तरह मोर्चा खोल रखा है। बावजूद पार्टी शीर्ष नेतृत्व राज्य में नेतृत्व परिवर्तन के मूड में नहीं है। हालांकि देखना हाेगा कि आगे क्या हाेता है।
इस बात काे लेकर चिंतित है केंद्रीय नेतृत्व

भाजपा सूत्राें की मानें ताे राजस्थान में वसुंधरा के खिलाफ कार्रवाई करने से भाजपा के लिए हालात और खराब होंगे, चूंकि राजस्थान में इसी साल विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में पार्टी नेतृत्व इस मामले में कोई जोखिम नहीं मोल लेना चाहता।
हालांकि शीर्ष नेतृत्व ने राज्य के दोनों गुटों के बीच संतुलन साधने के लिए परनामी काे हटा दिया है। सूत्रों के मुताबिक अब वसुंधरा विरोधी गुट को संगठन की कमान भी सौंपी जा सकती है।

राजस्थान में साल के अंत तक मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ के साथ विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके कुछ महीने बाद ही देश में लोकसभा चुनाव भी होंगे। ऐसे में यदि इन राज्यों में पार्टी का प्रदर्शन बेहतर नहीं रहा तो इसका असर लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा।
काैन हाेगा अगला राजस्थान भाजपा अध्यक्ष?
कहा जा रहा है कि केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल, राज्य के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अरुण चतुर्वेदी और सांसद ओम बिड़ला में से किसी एक को अब भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है। वैसे हाे सकता है काेर्इ चाैंकाने वाला नाम भी सामने आए।
पार्टी का मानना है कि पार्टी काे उपचुनावाें में हार जातिगत समीकरण मे गड़बड़ी होने से हुर्इ। भाजपा के परंपरागत वोटर रहे ब्राह्मण, वैश्य और राजपूत समाज की नाराजगी भाजपा की हार का मुख्य कारण रही। अब इन समाजों को पार्टी के साथ फिर से जोड़ने की रणनीति तैयार की जा रही है।
इसी क्रम में अशाेक परनामी परनामी काे हटाया गया है। परनामी को अध्यक्ष पद से हटाए जाने के साथ ही अधिकांश प्रदेश पदाधिकारी और जिला अध्यक्ष की भी छुट्टी होने के संकेत हैं।

शीघ्र तय कर लिया जाएगा प्रदेश अध्यक्ष का नाम
अर्जुन राम मेघवाल और ओम बिड़ला पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के निकट होने के साथ ही आरएसएस की पहली पसंद भी हैं। इसी के साथ मेघवाल और बिड़ला को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के विरोधी खेमे का माना जाता है।
वहीं अरूण चतुर्वेदी पूर्व में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। साथ ही उन्हे संघ के स्वयंसेवक के नाते कई सालों तक काम करने का अनुभव भी प्राप्त है। सूत्राें की मानें तो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अरूण चतुर्वेदी को अध्यक्ष बनवाना चाहती हैं।
इसके लिए सीएम राजे ने प्रदेश में आरएसएस के पदाधिकारियों के साथ दो बार बातचीत कर चुकी है और केंद्रीय नेतृत्व तक भी अपनी बात पहुंचा चुकी है। चतुर्वेदी को मध्यम मार्गीय माना जाता है। सूत्रों के अनुसार, नए प्रदेश अध्यक्ष का नाम शीघ्र तय कर लिया जाएगा।
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