
निकाय चुनाव में भाजपा रही है यहां हमेशा आगे, 25 साल में कांग्रेस कभी नहीं बना सकी बोर्ड
अश्विनी भदौरिया / जयपुर। निकाय चुनाव ( Local Body Election ) की सरगर्मी बढ़ गई है। आगामी चुनाव में टिकट के लिए भागदौड़ भी दोनों दलों में समान रूप से देखने को मिल रही है। जयपुर में नगर निगम ( Jaipur Nagar Nigam ) बनने के बाद से यह पांचवा बोर्ड है। अब तक देखें तो भाजपा ( BJP ) ने 2014 के निकाय चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया है। 91 में से 64 पार्षद जीते थे। वहीं कांग्रेस ( Congress ) के 2009 में 77 में 26 पार्षद जीतकर निगम पहुंचे थे। अब परिसीमन के बाद वार्डों की संख्या बढ़कर 150 हो गई है।
हर बार शहर की जनता ने भाजपा और उनके प्रत्याशियों पर कांग्रेस से ज्यादा विश्वास दिखाया है। हालांकि पिछले विस चुनाव में जयपुर शहर ( Jaipur City ) में कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया था। इस वजह से कांग्रेस को निकाय चुनाव से ज्यादा उम्म्मीद है। ये भी सही है कि विस चुनाव के बाद हुए लोकसभा चुनाव ( Loksabha Election ) में उस सीटों पर कांग्रेस हारी थी, जहां से उनके विधायक थे। टिकट वितरण को लेकर दोनों ही दल फूंक फूंककर कदम रख रहे हैं। बगावत न हो, इसके लिए सभी वर्ग के लोगों को साधने की कोशिश की जा रही है। इसकी झलक वार्ड अध्यक्षों की नियुक्ति में देखने को भी मिल रही है। कांग्रेस संगठन के पदाधिकारी टिकट वितरण में स्थानीय कार्यकर्ता को प्राथमिकता देने की बात कह रहे हैं। वहीं भाजपा के पदाधिकारी तीन-तीन लोगों की लिस्ट पैनल को भेजेंगे।
वर्ष------कुल पार्षद----भाजपा----कांग्रेस----अन्य
1994------70----------52-------16------02
1999-------70----------49-------17------04
2004------70----------40-------22------05
2009------77----------46-------26------05
2014------91----------64--------18-----09
(1994 में भाजपा, 1999 में कांग्रेस, 2004 में भाजपा,2009 में कांग्रेस की प्रदेश में सरकार थी।)
2009 में महापौर ( Mayor ) सीट पर किया था कब्जा
-2009 के निकाय चुनाव में पहली बार जनता ने सीधे निकाय प्रमुख के लिए वोट डाले। नतीजा कांग्रेस के पक्ष में रहा। मेयर की कुर्सी कांग्रेस के खाते में गई और ज्योति खंडेलवाल ( Jyoti Khandelwal ) महापौर बनीं। वहीं बोर्ड भाजपा का बन गया 77 पार्षद वाले बोर्ड में भाजपा के 46 और कांग्रेस को महज 26 पार्षद चुनकर शहरी सरकार का हिस्सा बने।
-मौजूदा बोर्ड राजनीति दृष्टिकोण से बेहद नाटकीय रहा। तीन महापौर बने। पहले निर्मल नाहटा ( Nirmal Nahata ) फिर अशोक लाहोटी ( Ashok Lahoti ) को भाजपा ने शहरी सरकार का मुखिया बनाया। 2018 के विस चुनाव में लाहोटी को विस का टिकट दिया और वे विधायक बने। इसके बाद महापौर के लिए दावेदारी शुरू हुई। विष्णु लाटा ( Vishnu Lata ) ने पार्टी से बगावत कर कांग्रेस, निर्दलीय और भाजपा पार्षदों के सहयोग से महापौर बने। बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए।
फॉर्मूला...
कांग्रेस: वार्ड के मूल निवासी को टिकट दिया जाएगा। अध्यक्षों की नियुक्ति जल्द होगी। अध्यक्ष टिकट की दौड़ में नहीं रहेगा। विस और लोस चुनावों में दावेदार की सक्रियता देखी जाएगी। साथ ही विधायक और प्रत्याशियों से फीडबैक भी लिया जाएगा।
भाजपा: संगठन से जुड़े पदाधिकारियों की मानें तो जल्द ही बूथ अध्यक्षों का चुनाव पूरा होगा। दो बार पार्षद रह चुके कार्यकर्ताओं को टिकट न देने का मन बना रही है। साथ ही मौजूदा पार्षद वार्ड न बदले, इस पर भी संगठन नजर रखेगा।
निकाय चुनाव को लेकर पार्टी ने सदस्यता अभियान शुरू किया है। साथ ही जनता की चौपाल शुरू की है। इसमें संगठन और सरकार के लोग जनता की समस्या को सुनते हैं। नए वार्डों में अध्यक्ष बनाए जा रहे हैं। पार्टी पूरी दमदारी के साथ चुनाव लड़ेगी।
-प्रताप सिंह खाचरियावास (Pratap Singh Khachariyawas ), अध्यक्ष, जिला कांग्रेस कमेटी
निकाय चुनाव को लेकर संगठन पूरी तरह तैयार है। प्रत्याशियों से बॉयोडाटा ले रहे हैं। हर वार्ड में 15 से 20 दावेदारों के बॉयोडाटा आए हैं। प्रत्येक वार्ड से तीन-तीन उम्मीदवारों को पैनल में भेजा जाएगा। टिकट वितरण में सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।
-मोहन लाल गुप्ता ( Mohan Lal Gupta ), शहर अध्यक्ष, भाजपा
Published on:
07 Oct 2019 08:15 pm
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