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आज पूरे भारत में मकर संक्रांति का पर्व हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है। बाजारों में तिल-गुड़, चूड़े, गजक-मूंगफली की भरमार है तो वहीं दूसरी ओर पतंगों की दुकानें भी सजी हुई हैं। लाल-पीली, हरी-गुलाबी तथा राजनेताओं व फिल्मी सितारों से से सजी पतंगों की दुकानें हर किसी का मन मोह रही है लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि मकर संक्रांति पर पतंग क्यों उड़ाते हैं और इसका इस त्योहार से क्या रिलेशन है। इसके पीछे का राज पतंग हैं शुभ संदेश का वाहक।
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शुभ संदेश देती है पतंग पतंग शुभ संदेश की वाहक है। मान्यता है कि पतंग खुशी, उल्लास, आजादी और शुभ संदेश की वाहक है, इस दिन से घर में सारे शुभ काम शुरू हो जाते हैं और वो शुभ काम पतंग की तरह ही सुंदर, निर्मल और उ’च कोटि के हों इसलिए पतंग उड़ाई जाती है। नई सोच और शक्ति पतंग उड़ाने से दिल खुश और दिमाग संतुलित रहता है, उसे ऊंचाई तक उड़ाना और कटने से बचाने के लिए हर पल सोचना इंसान को नई सोच की प्रेरणा और शक्ति देता है। इस कारण पुराने जमाने से लोग पतंग उड़ा रहे हैं।
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रोशनी के लिए सर्दी के दिनों में सूरज की रोशनी बहुत जरूरी होती है इस कारण भी लोग पतंग उड़ाते हैं। ऐसा माना जाता है मकर संक्रांति के दिन से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं। इस कारण लोग घंटो सूर्य की रोशनी में पतंग उड़ाते हैं, इसी बहाने उनके शरीर को विटामिन-डी भी मिल जाता है। धूप खांसी, जुकाम से भी बचाती है।
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एकता का पाठ पढ़ाती है पतंग पतंग अकेले उड़ाई नहीं जा सकती है, एक इंसान मांझा पकड़ता है तो डोर किसी दूसरे के हाथ में होती है। एक छोटी सी पतंग लोगों को एकता का पाठ पढ़ाती है, यही नहीं पतंग के जरिए लोग हार-जीत का अंतर भी समझते हैं, वो भी बेहद प्यार से।