
Holi puja. होली का दिन चंद्रमा का प्रागट्य दिन है। जो लोग हमेशा किसी न किसी दुःख से पीड़ित रहते हैं उकने दुःख और शोक को दूर करने के लिए होली पर की जाने वाली खास पूजा का बहुत महत्व है। विष्णु-धर्मोत्तर ग्रंथ में बताया है कि होली के दिन भगवान के भूधर स्वरुप अर्थात पृथ्वी को धारण करनेवाले भगवान का ध्यान और जप करने के लाभ होता है और कष्ट मिट जाते हैं। पूजा के लिए खास मंत्रों के बारे में बताया गया है कि पूजा के दौरान मंत्र बोलने चाहिये, इन मंत्रों का होली के दिन विशेष माहात्व है जो फायदेमंद भी है
ये हैं मंत्र
ॐ भूधराय नम:..... ॐ भूधराय नम: ..... ॐ भूधराय नम
श्लोक एक बार बोलना और भगवान को, गुरु को विशेषरूप से प्रणाम और पूजन कर लें –
धरणीम् च तथा देवीं अशोकेती च कीर्तयेत्
यथा विशोकाम धरणी कृत्वान्स्त्वां जनार्दन: ||
अर्थ- (हे भगवान जब जब भी पृथ्वी देवी असुरों से पीड़ित होकर आपको पुकारती है , तब तब आप राक्षसों का वध करते है और पृथ्वी को धारण करके उसका शोक दूर कर देते है। ऐसे आप भगवान मेरे भी शोक, दुःख आदि का हरण करे और मुझे धारण करें) खाली होली के दिन ये करें ।
पूजा विधि
Holi puja होली की रात को चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिये। जिनके घर मे पैसों की तंगी रहती है, आर्थिक कष्ट सहना पड़ता है। तो होली की रात दूध और चावल की खीर बनाकर चंद्रमा को भोग लगाये। पानी, दूध, शक्कर, चावल मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य दे। दिया जलाकर दिखायें और थोड़ी देर चंद्रमा की चाँदनी में बैठकर गुरुमंत्र का जप करें और प्रार्थना करें हमारे घर का जो आर्थिक संकट है वो टल जायें। कर्जा है तो उतर जायेगा।
होली की रात बैठकर मंत्रो का जप करें फायदा होगा। चंद्रमा उदय होने पर चंद्रमा में भगवान विष्णु, लक्ष्मी और सूर्य की भावना करके अर्घ्य देना चाहिये, ऐसा विचार करना चाहिए कि सामने भगवान विष्णु ही बैठे हैं। भगवान ने गीता में कहा है कि नक्षत्रों का अधिपति चन्द्रमा में ही हैं। ये शास्त्रों की बात याद रखे कि दुःख की और कर्जे में वह ताकत नहीं कि वह यह पूजा करने वाले आदमी के सिर पर बना रहे।
श्रीर्निषा चन्द्र रुपस्त्वं वासुदेव जगत्पते
मनोविलसितं देव पूर्यस्व नमो नमः ||
ॐ सोमाय नम:
ॐ नारायणाय नम:
ॐ श्रीं नम:
लक्ष्मीजी का मंत्र – ॐ श्रीं नम: होली की रात घर मे आर्थिक परेशानी को दूर भगाने वाला ये सरल प्रयोग है
होली में क्या करें
-होली की रात्रि चार पुण्यप्रद महारात्रियों में आती है। होली की रात्रि का जागरण और जप बहुत ही फलदायी होता है।
-ऋतु-परिवर्तन के 10-20 दिनों में नीम के 15 से 20 कोमल पत्तों के साथ 2 काली मिर्च चबाकर खाने से वर्ष भर आरोग्य दृढ़ रहता है। बिना नमक का भोजन 15 दिन लेने वाले की आयु और प्रसन्नता में बढ़ोतरी होती है।
-होली के बाद खजूर खाना मना है।
-बाजारू केमिकलों से युक्त रंगों के बदले पलाश के फूलों के रंग से अथवा अन्य प्राकृतिक रंगों से होली खेलनी चाहिए। इससे सप्तरंगों व सप्तधातुओं का संतुलन बना रहता है।
-अन्य कुछ प्राकृतिक रंगः मेंहदी पाऊडर के साथ आँवले का पाऊडर मिलाने से भूरा रंग। चार चम्मच बेसन में दो चम्मच हल्दी पाऊडर मिलाने से अच्छा पीला रंग बनता है। बेसन के स्थान पर आटा, मैदा, चावल का आटा, आरारोट या मुलतानी मिट्टी का भी उपयोग किया जा सकता है।
-दो चम्मच हल्दी पाउडर दो लीटर पानी में डालकर अच्छी तरह उबालने से गहरा पीला रंग प्राप्त होता है।
-आँवला चूर्ण लोहे के बर्तन में रात भर भिगोने से काला रंग तैयार होता है।
Updated on:
15 Mar 2022 11:28 am
Published on:
15 Mar 2022 11:16 am
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