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Rain Diseases Alert: बरसात में बीमारियों का कहर: ग्रामीण इलाकों में बढ़ा संक्रमण का खतरा

Monsoon Mayhem: बरसात की शुरुआत के साथ ही लखनऊ के ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रामक बीमारियों ने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। दूषित जल, मच्छरों और अस्वच्छ आदतों के चलते डायरिया, पीलिया, मलेरिया और आई-फ्लू जैसी बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की है।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Jun 24, 2025

Rainy Season Risks फोटो सोर्स : Patrika +A i

Rainy Season Risks फोटो सोर्स : Patrika +A i

Monsoon : जैसे ही मानसून की पहली बारिश ने दस्तक दी, वैसे ही ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रामक रोगों का खतरा भी मंडराने लगा है। लखनऊ के इटौंजा सहित विभिन्न ग्रामीण इलाकों में बीमारियों का प्रकोप धीरे-धीरे उभरने लगा है। सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) के अधीक्षक डॉ. किसलय बाजपेई ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह देते हुए बताया कि वर्षा ऋतु में गंदगी और दूषित जल के कारण बीमारियां तेजी से फैलती हैं।

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दूषित जल बना बीमारियों की जड़

डॉ. बाजपेई ने बताया कि इस मौसम में सबसे अधिक खतरा दूषित पानी के सेवन से होने वाली बीमारियों से होता है। इनमें डायरिया, टाइफाइड, पीलिया, कालरा, उल्टी-दस्त जैसी बीमारियां प्रमुख हैं। गंदे पानी के सेवन, सड़े-गले खाद्य पदार्थ और खराब खान-पान की आदतों के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, जिससे व्यक्ति बीमारी की चपेट में आ सकता है।

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मच्छरों की वजह से बढ़ा डेंगू-मलेरिया का खतरा

बरसात के कारण घरों के आसपास पानी जमा हो जाता है, जो मच्छरों के पनपने का सबसे बड़ा कारण है। डॉ. बाजपेई ने कहा कि रुके हुए पानी में मच्छर लार्वा उत्पन्न करते हैं, जो आगे चलकर मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी घातक बीमारियों को जन्म देते हैं। उन्होंने सलाह दी कि पुराने टायर, टूटे डब्बे, कूलर, फूलदान, फ्रिज ट्रे आदि में पानी जमा न होने दें। सप्ताह में एक बार इनकी सफाई आवश्यक है। साथ ही मच्छरदानी का प्रयोग करें और कीटनाशक का छिड़काव करवाएं।

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बच्चों में बढ़ा उल्टी-दस्त का प्रकोप

सीएचसी अधीक्षक ने बताया कि छोटे बच्चों में सबसे अधिक खतरा उल्टी और दस्त जैसी बीमारियों का रहता है। इसका कारण दूषित पानी और मिलावटी खाद्य पदार्थ होते हैं। ऐसे में बच्चों के खाने-पीने का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। दस्त लगने पर तुरंत ओआरएस घोल और जिंक सल्फेट की गोली चिकित्सक की सलाह से दें।

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आई-फ्लू और नेत्र संक्रमण का बढ़ता खतरा

मानसून के मौसम में नेत्र रोग भी बहुत तेजी से फैलते हैं, जिसे आम भाषा में आई-फ्लू, कंजंक्टिवाइटिस या आंख आना कहा जाता है। डॉ. बाजपेई ने बताया कि इस रोग से बचने के लिए सबसे पहले व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि आंखों को दिन में कई बार साफ पानी से धोना चाहिए। सभी परिजनों को अलग-अलग तौलिया और रूमाल का प्रयोग करना चाहिए। संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाना भी जरूरी है।

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स्वास्थ्य विभाग की अपील : रखें साफ-सफाई, न करें लापरवाही

डॉ. बाजपेई ने आमजन से अपील की है कि मानसून के इस मौसम में स्वच्छता को सर्वोपरि रखें। घर के आस-पास जलभराव न होने दें, खुले पानी को ढककर रखें, खाने-पीने की वस्तुओं को अच्छी तरह से धोकर ही उपयोग करें। इसके साथ ही पुराने फल और सब्जियों का सेवन न करें। अगर कोई भी संक्रमण के लक्षण दिखें तो निकटतम स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें।

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कदम-कदम पर रखें सावधानी

  • हमेशा उबला हुआ या फिल्टर किया हुआ पानी पिएं।
  • हरी सब्जियों और फलों को अच्छे से धोकर ही खाएं।
  • खाने की चीजों को ढक कर रखें।
  • बच्चों को बाहर का खाना खाने से रोकें।
  • खुले में नंगे पांव न चलें, जिससे फंगल संक्रमण से बचा जा सके।
  • गंदगी वाले स्थानों से दूरी बनाएं।

संक्रामक बीमारियों से बचाव के लिए सुझाव

  • डायरिया से बचाव: ओआरएस, जिंक सल्फेट का प्रयोग और भरपूर पानी पिएं।
  • डेंगू/मलेरिया से बचाव: मच्छरदानी का प्रयोग करें, पानी जमा न होने दें।
  • आई-फ्लू से बचाव: आंखों की सफाई रखें, संक्रमित वस्तुओं का साझा उपयोग न करें।
  • त्वचा संक्रमण से बचाव: गीले कपड़े न पहनें, त्वचा को सूखा रखें।

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सरकारी प्रयास

स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए गए हैं कि वे गांव-गांव जाकर लोगों को संक्रामक रोगों के प्रति सतर्क करें और बचाव के उपाय बताएं। ग्राम प्रधानों और पंचायत सचिवों से अपील की गई है कि वे अपने क्षेत्रों में सफाई अभियान चलवाएं और दवा का छिड़काव करवाएं।