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सपा में सुलह, शिवपाल और रामगोपाल गले मिले

समाजवादी परिवार में चल रही शिवपाल सिंह यादव और प्रो. रामगोपाल यादव के बीच चल रही रार अब खत्म हो गयी

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ramgopal yadav and shivpal singh yadav

लखनऊ. सपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने प्रो. रामगोपाल यादव से सारी कड़वी बातें भूल कर उनसे अपने गिले शिकवे दूर कर लिए हैं। अब उनके और प्रो. रामगोपाल यादव के बीच सारे गिले शिकवे दूर हो गए हैं। इस बात की पुश्ती खुद शिवपाल यादव ने एक बैंक संचालक की बैठक के दौरान की। उन्होंने बताया कि उनके और प्रो. रामगोेपाल यादव के बीच दिल्ली में ही सुलह हो चुकी है। अब वे एकजुट होकर सांप्रदायिक शक्तियों के खिलाफ संघर्ष करेंगे।

इस सुलह का फायद 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में दोखने को मिलेगा। जिस तरह सपा-बसपा में गठबंधन हुआ है, उसी तरह ये गठबंधन भी जरूरी था।

ये भी कहा शिवपाल ने

शिवपाल ने कहा कि केंद्र की मोदी और प्रदेश की योगी सरकरा के खिलाफ जनता जिस तरह आक्रोश कर रही है, वह इस बात का प्रतीक है कि ये दोनों सरकारें ज्यादा नहीं चल पाएंगी। सपा-बसपा के गठबंधन से भाजपा का सफाया सुनिश्चित है। भाजपा के सारे वादे जुमिले साबित हुए हैं। जीएसटी और नोटबंदी ने छोटे दुकानदारों और लघु उद्योग चलाने वालों के धंधे चौपट कर दिए।

पहले शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव के बीच हुआ था मतभेद

गौरतलब है कि 2012 में समाजवादी पार्टी ने यूपी विधानसभा तुनाव में बहुमत हासिल की थी। शिवपाल सिंह यादव इस उम्मीद में थे कि उन्हें सूबे का मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है लेकिन उनकी इस उम्मीद पर रामगोपाल यादव और मुलायम सिंह यादव ने पानी फेर दिया था। मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश को मुख्यमंत्री बना दिया। इसी के बाद समय-समय पर मतभेद की खबरें आती रहती थीं। शिवपाल सिंह यादव ने कोशिश करके इस बीच अमर सिंह और बेनी प्रसाद वर्मा को समाजवादी पार्टी में दोबारा शामिल करवा दिया और दोनों को राज्यसभा भी भिजवा दिया था।

अमर सिंह की वापसी से रामगोपाल यादव और आजम खां खुश नहीं थे। मतभेदों का सिलसिला जारी रहा। 13 दिसंबर, 2016 को अखिलेश की जगह शिवपाल सिंह यादव को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। इस बात से नाराज अखिलेश ने शिवपाल सिंह यादव के कई मंत्रालय छिन गए।