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जिले में 74 गोशाला संचालित, फिर भी चारे के लिए भटक रहा गोवंश

locationमथुराPublished: Dec 06, 2019 06:00:49 pm

जिले में पंजीकृत 40 गोशाला हैं जिनमें से 8 गोशाला निष्क्रिय हो चुकी हैं और अपंजीकृत गोशालाओं की संख्या 42 है।

जिले में 74 गोशाला संचालित, फिर भी चारे के लिए भटक रहा गोवंश

जिले में 74 गोशाला संचालित, फिर भी चारे के लिए भटक रहा गोवंश

मथुरा। योगी सरकार के द्वारा प्रदेश भर में गोशालाओं का निर्माण कराया गया ताकि किसानों को बेसहारा गोवंश से निजात मिल सके। हालात जस के तस बने हुए हैं न तो किसानों को गोवंश से निजात मिल पाई है और न ही बेसहारा गोवंश को गोशालाओं का आश्रय मिल पाया है। आज भी बेसहारा गोवंश चारे की तलाश में इधर-उधर भटक रहा है और किसानों के लिए परेशानी का सबब बन चुके हैं यह आवारा गोवंश। जिले में पंजीकृत 40 गोशाला हैं जिनमें से 8 गोशाला निष्क्रिय हो चुकी हैं और अपंजीकृत गोशालाओं की संख्या 42 है।
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सिरदर्द बना बेसहारा गोवंश का झुंड 

योगी सरकार के द्वारा करोड़ों रुपए खर्च किये गए बेसहारा गोवंशों को आसरा देने के लिए। किसानों को बेसहारा गोवंश से निजात मिल सके। न तो किसानों को बेसहारा गोवंश से निजात मिली है और न ही बेसहारा गोवंश को आसरा मिला है। जिलेभर में आज भी हालात जस के तस बने हुए हैं। किसानों की समस्या दूर नहीं हो पाई है। बेसहारा गोवंश का झुंड जिस किसान के खेत में घुस जाता है उस किसान के खेत को उजाड़ देता है। किसानों की समस्या लगातार बढ़ रही है और कागजों में गोशाला में धड़ल्ले से चल रही हैं। महावन क्षेत्र में सबसे ज्यादा गोवंश किसानों के लिए सिरदर्द बन चुका है। सड़कों पर ही नहीं बल्कि खेतों में किसान की फसल को नुकसान करता हुआ गोवंश आपको नजर आ जाएगा।
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जिले में 72 गोशाला फिर भी भटक रहा गोवंश

गोशालाओं की जानकारी देते हुए वेटरनरी विभाग के डॉक्टर रंजन ने बताया किस जिले में पंजीकृत गोशालाओं की संख्या 40 है जिनमें से 8 निष्क्रिय गोशाला वर्तमान में हैं। पंजीकृत गोशालाओं की अगर बात की जाए तो जिले में 42 गोशालाएं हैं कुल मिलाकर 74 गोशाला जिले में संचालित हैं।
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गोशालाओं में नजर नहीं आते गोवंश

योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों के साथ-साथ मथुरा में भी बेसहारा गोवंश को आश्रय देने के लिए कई गोशालाओं का निर्माण कराया और दर्जनों अस्थाई गोशाला बनाई गईं। बेसहारा गोवंश गोशाला में रख दिया गया ताकि किसानों की जो समस्या हैं उसे दूर किया जा सके लेकिन कुछ दिन बाद गोशालाओं में गोवंश का नजराना बंद हो गया। जिन गोशालाओं में गोवंश बचा है उसमें कुछ ही गोवंश आपको देखने को मिल जाएगा।
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अधिकतर गोशालाओं में चारे की नहीं व्यवस्था

जिले में जो गोशाला खोली गईं उन गोशालाओं में अधिकतर गोवंश के लिए चारे पानी की व्यवस्था ठीक प्रकार से नहीं है। यही वजह है गोवंश को गोशालाओं में से पेट भरने के लिए छोड़ दिया जाता है और यह गोवंश किसानों के खेत में झुंड बनकर इस तरह टूटता है कि किसान की फसल को चंद मिनटों में साफ कर देता है।
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