scriptबाबा जय गुरुदेव की मौत पर संस्था के वरिष्ठ ट्रस्टी ने उठाए गंभीर सवाल, पंकज यादव पर गंभीर आरोप | Senior trustee of Baba jai gurudev Charged Serious Allegation On Panka | Patrika News

बाबा जय गुरुदेव की मौत पर संस्था के वरिष्ठ ट्रस्टी ने उठाए गंभीर सवाल, पंकज यादव पर गंभीर आरोप

locationमथुराPublished: Jan 12, 2020 09:37:04 pm

वरिष्ठ ट्रस्टी ने फर्जी वसीयत से बाबा का उत्तराधिकारी बनने का आरोप लगाते हुए अध्यक्ष पंकज बाबा सहित 14 लोगों के खिलाफ हाईवे थाने में मुकदमा दर्ज कराया है।

बाबा जय गुरुदेव की मौत पर संस्था के वरिष्ठ ट्रस्टी ने उठाए गंभीर सवाल, पंकज यादव पर गंभीर आरोप

बाबा जय गुरुदेव की मौत पर संस्था के वरिष्ठ ट्रस्टी ने उठाए गंभीर सवाल, पंकज यादव पर गंभीर आरोप

मथुरा। जयगुरुदेव मंदिर के उत्तराधिकार को लेकर विवाद बढ़ता दिख रहा है। इस मामले में जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ ट्रस्टी ने फर्जी वसीयत से बाबा का उत्तराधिकारी बनने का आरोप लगाते हुए अध्यक्ष पंकज बाबा सहित 14 लोगों के खिलाफ हाईवे थाने में मुकदमा दर्ज कराया है। पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच की मांग जिला प्रशासन से की है। साथ ही बाबा जयगुरुदेव की मृत्यु को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं।
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ये था मामला

रविवार को शहर के निजी होटल में पत्रकार वार्ता करते हुए वरिष्ठ ट्रस्टी और बाबा जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था के उपाध्यक्ष रामप्रताप ने बाबा का उत्तराधिकारी बने अध्यक्ष पंकज बाबा के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए बाबा जयगुरुदेव की मृत्यु पर भी संशय जाहिर किया। प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने दावा किया कि जीवित रहते बाबा जयगुरुदेव कहते थे कि यदि मेरी तबियत खराब हो तो मुझे बड़े अस्पताल में मत ले जाना, न कोई इंजेक्शन लगवाना और न ही खून चढ़वाना। रामप्रताप ने खुलासा करते हुए कहा कि एक निकटतम अनुयायी के कहने पर मामूली रूप से अस्वस्थ होने पर 7 मई 2012 की सुबह बाबा गुरुग्राम स्थित डा. सेठी अस्पताल में भर्ती हुए थे। यहां उन्हें स्वास्थ्य लाभ भी हुआ। उन्होंने बताया कि अगले दिन उन्हें अहमदाबाद जाना था लेकिन उनके साथ मौजूद पंकज सहित अन्य लोगों ने उन्हें जबरन मेदांता अस्पताल में भर्ती करा दिया। उन्होंने बताया कि मेदांता में उन्हें इंजेक्शन देने के बाद वेंटिलेटर पर रखा गया और बाद में आईसीयू में शिफ्ट किया गया और करीब 10 दिन बाद 18 मई की सुबह बाबा की तबियत खराब होने पर अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें किसी दूसरे अस्पताल ले जाने को कह दिया।
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महाराज के निर्देश के गए ख़िलाफ़

आरोप है कि इसके बाद उनके साथ मौजूद पंकज यादव, चरणसिंह यादव, रामकृष्ण यादव, करूणाकांत मिश्रा, मनोज गोयल, सुनील यादव, आशादेवी यादव, नानक भाई व रोहताश गुप्ता उर्फ पप्पू उन्हें बजाय किसी दूसरे अस्पताल ले जाने के एम्बुलेंस में वेंटिलेटर पर रखकर वापस मथुरा ले आए और रात्रि में 9 बजकर 55 मिनट पर स्वामी जी के देह छोड़ने की घोषणा कर दी। उन्होंने इस पूरे मामले को एक साजिश बताया। साथ ही कहा कि बाबा की मृत्यु के बाद उत्तराधिकारी बनने के लिए दी गई वसीयत में भी एक लाइन अलग से हाथ से लिखकर जोड़ी गई थी और बाबा को यादव बताते हुए तत्कालीन सपा सरकार का भी आरोपितों ने पूरा लाभ लिया।
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बैंक अधिकारियों ने षड्यंत्र के तहत खोले खाते

उन्होंने बताया कि जब पंकज यादव ट्रस्ट या किसी संस्था का पदाधिकारी ही नहीं था तो आखिर उत्तराधिकारी कैसे बन गया। रामप्रताप का कहना है हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी रमाकांत तिवारी और पंकज ने आज तक सिविल कोर्ट से संस्था का आंतरिक संचालन नहीं मांगा और इसके बाद भी पंकज यादव ने संस्था पर कब्जा किया हुआ है। इसके साथ ही बैंक अधिकारियों पर भी षड्यंत्रकर्ताओं से मिलकर उन्हें लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया है। रामप्रसाद का आरोप है पंकज यादव और उनके साथ जब संस्था के अधिकारी नहीं तो कैसे उनके बैंकों में खाते खोले गए और कैसे संस्था के अकाउंटों से पैसा निकाला गया यह भी बिना मिली भगत के संभव नहीं।
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अंतरिम माँग न किये जाने पर भी किया हुआ कब्जा

इस मौके पर अधिवक्ता प्रदीप राजपूत ने भी मामले के कानूनी तथ्यों को मीडिया के सामने रखा और बताया कि खुद को उत्तराधिकारी बनने के बाद पंकज यादव द्वारा चिट फंड रजिस्ट्रार आगरा द्वारा मान्यता दी गई सूची को हाईकोर्ट इलाहाबाद ने 24 जुलाई 2012 को इसे डिप्टी रजिस्ट्रार के अधिकार क्षेत्र से बाहर का बताते हुए अध्यक्ष पद के विवाद के लिए सिविल कोर्ट जाने के लिए 6 सप्ताह का समय दिया था, लेकिन आज तक अंतरिम संचालन के लिए दीवानी न्यायालय से पंकज यादव ने यह मांग नहीं की और उसके बाद भी कब्जा किए हुए हैं।
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