जानकारी के मुताबिक 77 साल का ये बुजुर्ग प्रवासी मजदूर था। मृतक की लावारिश लाश 12 घंटे तक सड़क पर पड़ी रही। जानकारी मिलने के बाद स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने लावारिश लाश को एक प्लास्टिक में लपेटने के बाद कोरोना टीम को इसकी सूचना दी। सूचना देने के बाद पुलिस मौके से चली गई। लेकिन कोरोना टीम के अधिकारी घटनास्थल पर एक दिन के बाद पहुंचे। जांच के दौरान मृतक के जेब से एक पर्चा मिला, जिस पर लिखा था कि ये कोरोना का संदिग्ध मरीज है।
Covid-19: हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन कितना कारगर, 15 दिन बाद चलेगा पता : डॉ. आर गंगाखेड़कर कोरोना टीम के अधिकारियों के मुताबिक मृतक मजदूर की जांच पहले किंग कोटी सरकारी अस्पताल में हुई। बाद में उसे कोरोना की जांच के लिए दूसरे हॉस्पिटल में शिफ्ट कर दिया गया था। लेकिन जब तक उन्हें ले जाने के लिए एम्बुलेंस का इंतज़ाम किया जाता वो वहां से गायब हो गया। चौंकाने वाली बात यह है कि अस्पताल प्रशासन को इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि आखिर कोरोना का कोई संदिग्ध मरीज वहां से कैसे गायब हो गया। न ही अस्पताल प्रशासन ने मरीज कहां गया इसकी सुध लेना जरूरी समझा। जबकि कोरोना मरीज को लेकर हर स्तर पर प्रशासन अलर्ट है ।
आपको बता दें कि देशभर में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 7367 हो गई है। अस्पताल से इलाज कराने के बाद 715 लोग घर वापस जा चुके हैं। 273 लोगों की अभी तक कोरोना मरीजों से मौत हुई है। पिछले 24 वायरस से 34 लोगों की मौत हुई है। देश की राजधानी दिल्ली में शनिवार को 166 नए केस सामने आए, जिसके बाद यहां कोविड-19 के मामले बढ़कर 1069 हो गए हैं।