scriptमुंबई में पुनर्विकास की बांट जोह रहीं हजारों इमारतें, सरकार के इस रवैये से हुआ बुरा हाल ? | Thousands of buildings are waiting for redevelopment in Mumbai ? | Patrika News
मुंबई

मुंबई में पुनर्विकास की बांट जोह रहीं हजारों इमारतें, सरकार के इस रवैये से हुआ बुरा हाल ?

मुंबई ( Mumbai ) में पुनर्विकास ( Redevelopment ) की बांट जोह रहीं हजारों इमारतें ( Thousands Of Buildings ), महारेरा ( Maharera ) और वस्तु सेवा कर ( GST ) के चलते नहीं हो सका विकास ( Development ), सरकार नीति ( Government Policy ) की घोषणाओं में देरी, विकास के गंभीर मसलों ( Serious Issues ) पर अब नई सरकार ( New Government ) से उम्मीदें

मुंबईOct 31, 2019 / 11:53 am

Rohit Tiwari

मुंबई में पुनर्विकास की बांट जोह रहीं हजारों इमारतें, सरकार के इस रवैये से हुआ बुरा हाल ?

मुंबई में पुनर्विकास की बांट जोह रहीं हजारों इमारतें, सरकार के इस रवैये से हुआ बुरा हाल ?

रोहित के. तिवारी
मुंबई. देश की आर्थिक राजधानी मुंब में ऐसी बड़ी संख्या में इमारतें हैं, जिनके सामने उनके पुनर्विकास के अलावा और अन्य कोई दूसरा पर्याय ही नहीं है। बीते विधानसभा चुनाव के दौरान भी इन घरों के पुनर्विकास का मुद्दा जोर-शोर चर्चा में आया था। शिवसेना ने ही यह मुद्दा उठाया था, जबकि इस मुद्दे पर राज्य की भाजपा-शिवसेना सरकारों ने आवास नीति की घोषणा तो की, लेकिन पुनर्विकास के लिए रियायतों की घोषणा करने के लिए एक लंबा समय ले लिया। इसके चलते पुनर्विकास को लेकर वर्षों से बांट जोह रही जर्जर इमारतों के विकास का पहिया जरा भी सरक तक नहीं सका। वहीं दूसरी ओर मुंबई के नए विकास नियम आकार के साथ राज्य ने सत्ता बदल दी। इसने पुनर्विकास के लिए कई रियायतें दीं, लेकिन इसमें काफी समय लगा। इस बीच, निर्माण व्यवसाय पर मंदी का संकट आ गया लिया गया था। जबकि रही-बची कसर महारेरा और वस्तु सेवा कर ने पूरी कर दी। इसके चलते सरकार नीति की घोषणा में देरी हुई, जबकि इस दरम्यान कई विकास परियोजनाएं रखड़ती रहीं। वहीं अब कयास लगाए जा रहे हैं कि नई सरकार इस गंभीर मसले पर कोई फैसला लेगी।
Dharavi के पुनर्विकास पर फिर लटकी तलवार

खतरनाक इमारतें खाली कराना शुरू, म्हाडा का पुनर्विकास अभियान?

मुंबई में पुनर्विकास की बांट जोह रहीं हजारों इमारतें, सरकार के इस रवैये से हुआ बुरा हाल ?
सरकार ने अंत मे दिखाई हरी झंडी…
मुंबई में म्हाडा की 56 कॉलोनियां और 104 निर्माणाधीन इमारतें हैं। वहीं म्हाडा में उपनिवेशों के संबंध में कोई निश्चित नीति नहीं होने के चलते पुनर्विकास में देरी हुई। कई परियोजनाओं को रद्द कर दिया गया, जबकि कई रहिवासियों को समय पर किराया तक नहीं मिल रहा। चूंकि वर्तमान नीति में परियोजना सस्ती नहीं थी, इसलिए नए प्रस्ताव पेश ही नहीं किए गए। इस बारे में मुख्यमंत्री को एक बयान दिया गया था। शुरू में तत्कालीन म्हाडा उपाध्यक्ष संभाजी झेंडे ने भूमिका निभाई कि म्हाडा उपनिवेशों को कार्पेट एरिया मिलना चाहिए। ऐसा प्रस्ताव दिया गया, जो मान्य भी हो गया। इसलिए यह आशा की जाती है कि म्हाडा पुनर्विकास परियोजनाएं सड़क पर आ जाएंगी। पुनर्विकास की प्रतीक्षा कर रहे उपनगरों में हजारों निजी इमारतें हैं। उपनगरों के लिए समूह पुनर्विकास नीतियों के कार्यान्वयन की मांग लगातार की गई थी।
Mhada की महत्वाकांक्षी योजना से मोतीलाल नगर का होगा पुनर्विकास

मोतीलाल नगर में एसआरए परियोजना, म्हाडा ने इसलिए बनाई योजना?

मुंबई में पुनर्विकास की बांट जोह रहीं हजारों इमारतें, सरकार के इस रवैये से हुआ बुरा हाल ?
अभी परियोजना में लगेंगे कुछ और साल…
मुख्यमंत्री के फार्मूले को स्वीकार करने के बाद देवेंद्र फडणवीस ने बीडीडी चॉल के पुनर्विकास के सवाल को उठाया। फडणवीस ने म्हाडा को इसकी जिम्मेदारी सौपीं, जिसके चलते नायगांव, एनएम जोशी मार्ग और वर्ली बीडीडी चॉल के लिए वैश्विक स्तर पर निविदाएं मांगी गई हैं। इनमें से एलएंडटी कंपनी को नायगांव, जबकि शापुरजी पालनजी कंपनी को एनएम जोशी मार्ग के ठेकेदार ने प्रदान की। वहीं टाटा को वर्ली में बीडीडी चॉल की जिम्मेदारी सौंपी गई।
Mhada अब PMGP के तहत करेगी इमारतों के पुनर्विकास

चार दशक पुरानी MHADA मुख्यालय की इमारत की होगी मरम्मत

पुरानी इमारतों का नहीं हो रहा कोई पुनर्विकास…
हर चुनाव के दौरान दक्षिण मुंबई में 14 हजार पुरानी इमारतों के पुनर्विकास का सवाल उठाता है। इन भवनों के पुनर्विकास का अध्ययन करने के लिए डेवलपर और मंगल प्रभात लोढ़ा की अध्यक्षता में आठ विधायकों की एक समिति नियुक्त की गई थी। समिति ने 2016 साल में सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपने के बाद कार्रवाई करने में 2019 तक 3 साल लगा दिए। इस अवधि के दौरान भेंडी बाजार और डोंगरी में इमारत दुर्घटना का शिकार हुई, तब जाकर सरकार ने इनके पुनर्विकास की घोषणा की।
म्हाडा के ट्रांजिट कैंप पहुंचे बीडीडी चॉल के 146 टेनेंट

म्हाडा मुख्यालय के पुनर्विकास में 10 कंपनियों ने दिखाई रुचि

मुंबई में पुनर्विकास की बांट जोह रहीं हजारों इमारतें, सरकार के इस रवैये से हुआ बुरा हाल ?
अब तक नहीं हुआ धारावी का पुनर्विकास…
मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की थी कि धारावी को सात वर्षों में पुनर्विकास किया जाएगा, लेकिन पिछले पांच सालों में सरकार की ओर से इस मसले को गंभीरता से नहीं लिया गया। 2016 में पहला टेंडर जारी किया गया था, जिसे धोखा दिया गया था। फिर जनवरी 2019 को नए निविदाओं का अनुरोध किया गया था। दो बड़े समूहों – सेकलिंक और अदानी इस परियोजना में रुचि दिखाई। सेकलिंक ने 7200 करोड़ रुपये की पेशकश की, लेकिन सात महीने बाद भी सरकार ने फैसला नहीं लिया है। वहीं अब कयास लगाए जा रहे हैं कि नई सरकार इस गंभीर मसले पर कोई फैसला लेगी।
जल्द शुरू होगी बीबीडी चॉल के पुनर्विकास की योजना

निजी संस्था पर म्हाडा की मेहरबानी, करोड़ों का हो रहा नुकसान

https://twitter.com/RohitKumarTiwa8?ref_src=twsrc%5Etfw
स्लम पुनर्विकास भी धीमा, आखिर कब मिलेंगे मूल निवासियों को घर…
देवेंद्र फडणवीस ने स्लम पुनर्विकास परियोजना में तेजी लाने के लिए इस प्राधिकरण के नामित अध्यक्ष के रूप में 12 वर्षों में पहली बार एक बैठक बुलाई। मुख्यमंत्री ने इस बैठक में निर्णय लिया। हालांकि, स्लम पुनर्विकास में तेजी नहीं आई। दो हजार एकड़ भूमि के निजी स्वामित्व है और यह घोषणा की गई थी कि अगर उन्होंने झोपड़पट्टी योजना शुरू नहीं की तो उनकी भूमि पर कब्जा कर लिया जाएगा, लेकिन हकीकत में कुछ भी नहीं हुआ है। अब कम से कम झुग्गी निवासियों को प्राधिकरण के ‘आसरा’ ऐप के चलते परियोजना की स्थिति देख सकते हैं। यद्यपि 2 जनवरी 2000 से 1 जनवरी 2011 तक झुग्गीवासियों को किराए पर आवास देने का निर्णय लिया गया है, लेकिन यह सवाल अब भी बना हुआ है कि मूल निवासियों को उनके घर आखिर कब तक मिलेंगे?
Video News PATRIKA IMPACT: हजारों करोड़ के ओशिवारा जमीन घोटाले पर तत्काल कार्रवाई?

ओह माई गॉड: करोड़ों बकाए के बावजूद म्हाडा मुंबई उदार, आखिर क्यों ?

मुंबई में पुनर्विकास की बांट जोह रहीं हजारों इमारतें, सरकार के इस रवैये से हुआ बुरा हाल ?
141 विजेताओं को मिला घर का कब्जा
म्हाडा ने 2016 के लॉटरी विजेताओं को घरों को सौंपना शुरू कर दिया है, जिसमें लगभग 141 घरों को अधिवास प्रमाण पत्र दिया गया है। दरअसल, म्हाडा ने योजना प्राधिकरण का दर्जा प्राप्त किया है, इसलिए म्हाडा ओसी प्राप्त करने की प्रक्रिया को तेज करने का प्रयास कर रही है। इसलिए तीन साल बाद अब लॉटरी के विजेताओं को घर पर कब्जा मिलने और 141 परिवारों को अब जाकर विजेता होने का एहसास हुआ है। मुंबई के लाखों लोग म्हाडा की ओर से निकलने वाली हर एक लॉटरी में अपनी किस्मत आजमाने का काम करते हैं। वहीं लॉटरी में जीते हुए विजेताओं के पास कब्जा प्रमाण पत्र न होने के चलते म्हाडा से अपना घर पाने के लिए महीनों लग जाते हैं।
Patrika Expose : ओशिवारा में सवा दो एकड़ भूखंड घोटाले का मामला

ओशिवारा में जमीन घोटाला : FIR दर्ज करने के आदेश के बावजूद कार्रवाई नहीं

मुंबई में पुनर्विकास की बांट जोह रहीं हजारों इमारतें, सरकार के इस रवैये से हुआ बुरा हाल ?
महीनों बाद मिला घर…
विदित हो कि 2016 की लॉटरी के विजेताओं को लगभग 36 महीनों के बाद पूर्ण रूप से कब्जा मिला है। म्हाडा ने स्पष्ट किया कि लॉटरी में घर होने के बावजूद अधिवास प्रमाण पत्र के अभाव के कारण ये मकान कई महीनों तक विजेताओं को नहीं दिए जा सके थे। वहीं म्हाडा ने बताया कि ओसी प्राप्त करने के बाद और सभी कानूनी प्रक्रियाओं के साथ ही राशि के भुगतान के बाद मकानों पर कब्जा देना शुरू कर दिया गया है।

Home / Mumbai / मुंबई में पुनर्विकास की बांट जोह रहीं हजारों इमारतें, सरकार के इस रवैये से हुआ बुरा हाल ?

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो