दरअसल, सन 2002 में महाराष्ट्र शासन ने राज पुरोहित ट्रस्ट व रायगड सैनिक शिक्षण संस्थान के नाम पर जमीन देने का आदेश दिया था। जिसके उपरांत म्हाडा ने कई भागों में बटे सीटीएस नम्बर 99 में कुल 11 हजार 231 चौरस मीटर जमीन संस्था को लीज पर सौंप दी। म्हाडा ने शुरुआती दौर में महीने का लगभग 83 लाख भाड़ा तय कर सन 2005 में जमीन 30 साल के लीज पर दे दिया था। म्हाडा ने 2004 में जब संस्था को 30 साल तक के लिए भाड़े पर दिया गया तो वहां इमारत, स्कूल व 15 प्रतिशत एरिया कॉमर्शियल के लिए ग्राउंड प्लस 1 एफएसआई बनाकर प्रयोग करने का आदेश दिया गया।
उल्लेखनीय है कि कई शर्तों के तहत आरक्षित जमीन बिना किसी निर्माण के बचाकर रखना था, लेकिन इस तरह न करके जहां निजी फायदे के लिए इमारत को एक बड़ा हिस्सा भाड़े से दे दिया है तो वहीं 15 प्रतिशत कॉमर्शियल निर्माण को 3 मंजिला के अवैध तरीके से मोटा मुनाफा कमाया जा रहा है और आरक्षित जमीन पर धड़ल्ले से कॉमर्शियल प्रयोग किया जा रहा है।
म्हाडा में अधिकारियों के साठगांठ से लगतार अलग-अलग भ्र्ष्टाचार सामने आ रहे हैं। वर्षों से सामाजिक संस्था, एनजीओ, बिल्डरों और म्हाडा के अधिकारियों की मिलीभगत से म्हाडा प्राधिकरण को हर वर्ष करोड़ों का नुकसान हो रहा है। जिस पर ‘पत्रिका’ लगातार जनता के हित और म्हाडा के राजस्व फायदे के लिए दस्तावेज व संबंधित जिम्मेदार अधकारियों के बयान पर लगातार नए-नए घोटाले उजागर कर रहा है।
हमारे यहां सब ठीक चल रहा है। म्हाडा की जमीन का दुरुपयोग नहीं किया जा रहा है। म्हाडा अधिकारियों से इस मामले में संपर्क में हूं और मुझे किसी भी तरह की कार्रवाई का कोई भय नहीं है। कार्रवाई के लिए हम कभी पीछे नहीं रहते है, पहले भी कार्रवाई की जा चुकी है।
– राजू घरात, केअर टेकर, बेहरामबाग
मामले की शिकायत सामने आते ही पहले म्हाडा की ओर से जांच की जाएगी। वहीं जांच में पाए जाने वाले संलिप्त लोगों पर कार्रवाई की जाएगी। म्हाडा की जमीन का दुरुपयोग करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा, जबकि संबंधित अधिकारियों पर भी कोई रियायत नहीं कि जाएगी।
– बी. राधाकृष्णन, सीओ, म्हाडा