
ग्रामीणों ने की मांग, ग्राम पंचायत के अंतर्गत रखा जाऐं गांव
तेजी से हो रहा है विकास
ग्राम पंचायत बनने के बाद से दो केएनजे पंचायत में विकास कार्य तेजी से हो रहे हैं। अगर दो केएनजे पंचायत नगरपरिषद में चली जाती है तो खुंजा, सुरेशिया, बरकत कॉलोनी, टाउन रेलवे स्टेशन के सामने स्थापित बस्ती की तरह दो केएनजे क्षेत्र का विकास भी रूक जाएगा तथा लम्बे समय तक पक्की सडक़ों, गलियों व नालियों के निर्माण के लिए इंतजार करना पड़ेगा। नगर परिषद में आने के बाद बिजली बिलों में बढ़ोतरी हो जाएगी। इससे इस क्षेत्र में निवास करने वाले ज्यादातर मजदूर वर्ग के लोगों को मजबूरन महंगी बिजली का उपभोग करना पड़ेगा। इसका सीधा असर इन गरीब लोगों की जेब पर पड़ेगा। इस सम्बन्ध में ग्रामीणों की ओर से जिला कलक्टर के समक्ष लिखित में आपत्तियां भी दर्ज करवाई गई हैं। उन्होंने मांग की कि ग्राम पंचायत दो केएनजे को नगर परिषद में शामिल न करने का आदेश दिया जाए। इस मौके पर भूपेन्द्र, कुलदीप, विनोद कुमार, गंगाराम, अशोक कुमार, हरनेक सिंह, सोनू, तरसेम सिंह, रणवीर सिहाग, पुष्पा शाक्य, कान्हा सिंह आदि मौजूद रहे।
सतीपुरा ग्राम पंचायत को नप में शामिल करने का विरोध
प्लस फोटो..३५
हनुमानगढ़. ग्राम पंचायत सतीपुरा के ग्रामीणों ने जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंपकर अपने गांव को नगर परिषद हनुमानगढ़ में शामिल न करने की मांग की। ग्रामीणों का कहना है कि सतीपुरा पिछले 150 वर्षों से एक समृद्ध और विकसित गांव है, जहां सभी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं। नगर परिषद में शामिल होने से ग्रामीणों पर आर्थिक बोझ बढ़ जाएगा और उनकी कृषि आधारित आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
ग्रामीणों ने ज्ञापन में उल्लेख किया कि उनके मकान खसरा रजिस्टर में दर्ज हैं और अगर नगर परिषद में शामिल किया गया, तो पट्टे बनवाने में लाखों रुपये का खर्च आएगा। जो कि मध्यम वर्गीय किसानों के लिए वहन करना संभव नहीं होगा। इसके अलावा, बिजली, पानी और अन्य करों में वृद्धि से ग्रामीणों पर अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ेगा। गांव के किसानों और मनरेगा मजदूरों की चिंताओं को भी ग्रामीणों ने उजागर किया। उन्होंने बताया कि वर्तमान में मनरेगा मजदूर कृषि कार्यों, जैसे कि खालों की सफाई आदि में संलग्न हैं, लेकिन अगर गांव नगर परिषद में शामिल हुआ तो वे शहरी कार्यों में लग जाएंगे, जिससे कृषि उत्पादन प्रभावित होगा। इसके अतिरिक्त, चक 45 एनजीसी और चक 50 एनजीसी क्षेत्र पूरी तरह से कृषि भूमि है, जिसे नगर परिषद में शामिल करने से खेती पर बुरा असर पड़ेगा।
इन पर भी पड़ेगा असर
ज्ञापन के माध्यम से ग्रामीणों ने अवगत करवाया कि गांव में उच्च माध्यमिक विद्यालय, पक्की गलियां, पशु चिकित्सालय, किसान सेवा केंद्र, वाटर वक्र्स और पंचायत घर जैसी सभी बुनियादी सुविधाएं पहले से ही उपलब्ध हैं। ऐसे में नगर परिषद में शामिल होने से उन्हें कोई अतिरिक्त लाभ नहीं मिलेगा, बल्कि उन्हें दस्तावेजों में बदलाव करवाने की प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा, जिससे सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में कठिनाइयों का सामना होगा। ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की कि उनकी समस्याओं को गंभीरता से लिया जाए और ग्राम पंचायत सतीपुरा को नगर परिषद में शामिल न किया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया तो वे आगे आंदोलन करने को मजबूर होंगे। इस मौके पर पूर्व सरपंच सिद्धार्थ बलिहारा, सुरेंदर बलिहारा, गुरुद्वारा प्रधान निर्मल सिंह, हरचरण सिंह, बलजिंदर सिंह, सोहनलाल बलिहारा आदि मौजूद रहे।
शहरी क्षेत्र में किया शामिल
नगर परिषद क्षेत्र में गांव कोहला, सतीपुरा, चक ज्वालासिंह वाला, अमरपुरा थेड़ी, श्रीनगर, एक, दो व तीन केएनजे के चकों को शामिल किया गया है। इसके अतिरिक्त ग्राम पंचायत सतीपुरा के ४५ व ५० एनजीसी, चक ज्वालासिंह वाला के ४५ व ५१ एनजीसी, ग्राम पंचायत अमरपुरा थेड़ी के १० व १३ एचएमएच को शहरी क्षेत्र से जोडऩे के लिए अधिसूचना जारी की गई है। ग्राम पंचायत कोहला की १२, १४, १६ व १७ एचएमएच और ग्राम पंचायत श्रीनगर की १८ एचएमएच आबादी भी नगर परिषद हनुमानगढ़ की सीमा से जोडऩे के लिए अधिसूचना जारी की गई है। ग्रामीणों की ओर से नगर परिषद क्षेत्र में शामिल नहीं करने के लिए एसडीएम के समक्ष आपत्ति दर्ज करवाई जा रही है।
Published on:
03 Feb 2025 10:16 pm
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