
कल्ट कॉमेडी ‘चुपके-चुपके’ के वो मजेदार डायलॉग्स। (फोटो डिजाइन: पत्रिका)
Cult Comedy Film Chupke Chupke: साल 1975 हिंदी सिनेमा के लिए वो दशक रहा जिसमें फिल्म इंडस्ट्री को अमिताभ बच्चन के रूप में एंग्री यंग मैन मिला, अमजद खान की जबरदस्त खलनायकी के जरिए गब्बर सिंह मिला। 'जूली' फिल्म के माधयम से उस दौर से कहीं आगे की सोच रखने वाली लड़की जुली मिली। इतना ही नहीं इस साल में आंधी, मिली, धरम-करम, छोटी सी बात, रफू चक्कर, जय संतोषी मां और चुपके-चुपके जैसी जबरदस्त फिल्में मिली। अब जब बात निकली है 1975 में रिलीज हुई फिल्म चुपके-चुपके की तो आज इसकी ही बात करते हैं।
ऋषिकेश मुखर्जी द्वारा निर्देशित 'चुपके-चुपके' इस साल की सबसे यादगार कॉमेडी फिल्म थी। धर्मेंद्र, जया भादुड़ी, शर्मीला टैगोर, ओम प्रकाश, असरानी और अमिताभ बच्चन अभिनीत ये फिल्म सिर्फ एक कल्ट कॉमेडी नहीं, बल्कि इसमें हिंदी भाषा और व्यंग का एक अनोखा मिश्रण देखने को मिलता है। हल्की-फुल्की कॉमेडी से भरपूर इस फिल्म ने हिंदी भाषा के इस्तेमाल और हास्य ने दर्शकों को बांधने का काम किया था। आज भी ये फिल्म उतनी ही रिलेटेबल है जितनी 50 साल पहले थी।
फिल्म की कहानी एक ऐसे जोड़े डॉ. परिमल त्रिपाठी और उनकी पत्नी सुलेखा (धर्मेंद्र और शर्मीला टैगोर) के इर्द-गिर्द घूमती है जिसकी अभी-अभी शादी हुई है। शादी के बाद पहली बार सुलेखा अपने दीदी और जीजा जी (ओम प्रकाश) के घर जाती है। सुलेखा के जीजा जी को हिंदी से बहुत प्यार है। इसलिए परिमल जो बॉटनी के प्रोफेसर हैं, वो ड्राइवर (प्यारे मोहन इलाहाबादी) बनकर जीजा जी से मिलते हैं। फिल्म में अमिताभ बच्चन (इंग्लिश लिक्ट्रेचर के प्रोफेसर, सुकुमार सिन्हा (अमिताभ बच्चन) परिमल के कहने पर बॉटनी के प्रोफेसर बनकर वसुधा (जया भादुड़ी) को पढ़ाने जाते हैं। बस यहीं से शुरू होता है हंसी-मजाक, गलतफहमी, और कंफ्यूजन का मजेदार सिलसिला।
चुपके-चुपके फिल्म की खासियत ये है कि इसमें हिंदी भाषा के साथ हास्य का जो संगम किया गया है वो बहुत ही मजेदार और खूबसूरत है। खासकर के धर्मेंद्र और ओमप्रकाश के बीच की वार्तालाप। और सीन। शुद्ध हिंदी के चलते फिल्म के कुछ सीन इतने यादगार हैं कि आज भी सुनकर हंसी आ जाएगी। साथ ही इस फिल्म से ये संदेश भी दिया गया है कि भाषा कोई भी हो वो केवल बात करने का जरिया नहीं, बल्कि एक वर्ग और तबके की संस्कृति और उसकी पहचान का स्वरुप भी है।
हिंदी दिवस के मौके पर आइये अब नजर डालते हैं चुपके-चुपके के कुछ मजेदार और चटपटे हिंदी से लबरेज संवादों पर। ऋषिकेश मुखर्जी द्वारा निर्देशित फिल्म चुपके-चुपके के व्यंग एयर हास्य वाले संवाद (डायलॉग्स) गुलजार साहब ने लिखे हैं।
फिल्म के ये कुछ ऐसे डायलॉग्स हैं जो सिर्फ हिंदी भाषा नहीं बल्कि भाषा की शक्ति और भावनाओं को प्रस्तुत करते हैं। साथ ही 50 साल पहले आई Cult Comedy Film Chupke Chupke ने ये भी बताया है कि भाषा चाहे हिंदी हो, अंग्रजी हो या कोई और इंसान की भावनाओं को व्यक्त करने के साथ-साथ लोगों को भी जोड़ती है। इस रोमांटिक-कॉमेडी फिल्म को IMDb पर 8.3 की रेटिंग मिली है। आप इस फिल्म को यूट्यूब, प्राइम वीडियो, और नेटफ्लिक्स पर देख सकते हैं।
Updated on:
14 Sept 2025 12:43 pm
Published on:
14 Sept 2025 12:41 pm
बड़ी खबरें
View AllPatrika Special News
ट्रेंडिंग
