कपिल सिब्बल ने कहा कि मोदी सरकार ने ऐसा कर जजों को साफ संदेश दिया है। सरकार के रवैये से साफ है कि जो न्यायाधीश सरकार के खिलाफ निर्णय देंगे उन्हें इसी तरह से दंडित करने का काम किया जाएगा। यानी अपने तरीके से काम करने वाले जजों का सरकार इलाज कर सकती है। यह भारतीय न्यायिक व्यवस्था के लिए शुभ संकेत नहीं है। सरकार के इस रवैये से गलत परंपराओं को बल मिलेगा। साथ ही न्यायपालिका में सरकार की दखलंदाजी को बढ़ावा मिलेगा।
मोदी सरकार के इस रुख से नाराज सुप्रीम कोर्ट के जजों ने सोमवार को मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा से मुलाकात की थी। मुलाकात के दौरान जजों ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के समक्ष इन बातों को रखा था। जजों की बातों को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश ने सभी को भरोसा दिलाया कि वह दूसरे सबसे सीनियर जज जस्टिस रंजन गोगोई से बात करके इस मामले को केंद्र के सामने उठाएंगे। फिलहाल सीजेआई ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में होने वाले शपथ ग्रहण कार्यक्रम की अधिसूचना जारी कर दी है। इस अधिसूचना के हिसाब से जस्टिस केएम जोसेफ को जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस विनीत सरण के बाद शपथ लेंगे। जस्टिस जोसेफ तीसरे नंबर पर शपथ लेते हैं तो वह तीनों में सबसे जूनियर होंगे।
इससे पहले सोमवार को कांग्रेस ने लोकसभा में बिना नाम लिए सरकार पर मनमाने तरीके से काम करने का आरोप लगाया था। केरल से कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने शून्य काल में कहा था कि सरकार कॉलेजियम की सिफारिशों की अनेदखी कर अपने तरीके से काम करना चाहती है। चार महीने पहले कॉलेज ने एक जज के नाम की सिफारिश की थी, जो सरकार ने खारिज कर दी थी। दोबारा उनके नाम का प्रस्ताव आने पर उन्हें स्वीकृति दी गई। इससे साफ है कि मोदी सरकार बदले की भावना से काम करती है।