अन्य राष्ट्र नहीं है यूएई:पिनराई
सीएम विजयन ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘मेरा मानना है कि यूएई ने खुद सहायता का प्रस्ताव दिया है। यूएई को किसी अन्य राष्ट्र के रूप में नहीं समझा जा सकता है, जैसाकि उनके शासकों ने रेखांकित किया है। भारतीय, खासतौर से केरल के लोगों का उनके राष्ट्र निर्माण में काफी योगदान है।’
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सीएम बोले- हम राजनीति नहीं चाहते
अखबार ने विजयन के उस बयान का जिक्र किया है, जिसमें उन्होंने कहा कि मैं इसपर कोई राजनीति नहीं करना चाहता हूं। हम इसका अध्ययन कर इसकी बारीकियों को समझें। उनसे जब पूछा गया कि क्या वह इस मसले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उठाएंगे तो उन्होंने कहा कि देखते हैं।
केंद्र ने विदेशी मददगारों को कहा ना
दुनिया भर के देश केरल बाढ़ पीड़ितों की मदद को आगे आ रहे हैं। इस बीच भारत सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए विदेशी मदद को ना कह दिया है। यही नहीं भारत सरकार ने अपने सभी दूतावासों से दो टूक कह दिया है कि वो केरल के लिए विदेशी सरकारों से मिलने वाली मदद न लें। मीडिया रिपोर्ट के मुताबित केन्द्र सरकार ने सभी दूतावासों को एक मेल जारी किया है। इस मेल में कहा गया है कि भारत में लागू 2004 की नीति के अनुसार घरेलू आपदाओं से निपटने के लिए सरकार स्व-संसाधनों से ही निपटती है और विदेशी मदद को तब तक स्वीकार नहीं किया जा सकता जब तक उसकी जरूरत न हो।
यूएई ने की थी 700 करोड़ की पेशकश
केन्द्र सरकार की ओर से यह फैसला ऐसे समय लिया गया, जब संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने केरल बाढ़ राहत अभियान के 700 करोड़ रुपए की मदद देने की पेशकश की थी। अबू धावी के क्राउन प्रिंस द्वारा की गई 10 करोड़ डॉलर (करीब 700 करोए रुपये) की सहायता राशि देने की पेशकश को केंद्र सरकार ने स्वीकार नहीं किया है। हालांकि इसके साथ ही भारत सरकार ने ऐसे देशों का शुक्रिया अदा करने को कहा है, जो केरल बाढ़ पीड़ितों के लिए सहानुभति रखते हैं। मुख्यमंत्री ने इससे पहले कहा कि शेख मोहम्मद बिन जायेद अल नाहयान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टेलीफोन करके मदद की पेशकश की थी।
केरल के मंत्री बोले- केंद्र के फैसले से अंचभित
वहीं केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने कहा कि वह केंद्र सरकार द्वारा बाढ़ पीड़ितों के लिए संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की वित्तीय सहायता पर रोक लगाने को लेकर अचंभे में हैं जबकि सरकार ने खुद अभी तक केवल 600 करोड़ रुपए की ही सहायता दी है। इसाक ने मीडिया से कहा कि हमने दो हजार करोड़ रुपए मांगे थे। उन्होंने (केंद्र) हमें केवल 600 करोड़ रुपए ही दिए। मुझे नहीं पता कि वे क्यों अन्य सरकारों की मदद को नकार रहे हैं।”