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वहीं, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने यहां तक कह दिया है कि वे हार मानने वाले नहीं हैं। उन्होंने समर्थकों से स्पष्ट शब्दों में कहा, मैं फौजी हूं और मैं कभी युद्ध का मैदान नहीं छोड़ता। इससे कैप्टन ने यह संकेत दे दिया है कि वह लड़ाई अभी खत्म नहीं करेंगे। शनिवार को ही कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने विरोधी और पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा और विधानसभा अध्यक्ष राणा केपी सिंह भी मुलाकात कर यह जता दिया था कि वे इस लड़ाई को किसी भी हद तक ले जाने के लिए तैयार हैं। कांग्रेस से जुड़े सूत्रों की मानें तो जिस वक्त मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को पता चला कि नवजोत सिंह सिद्धू उनसे मिलेंगे, उन्होंने चंडीगढ़ का दौरा कर रहे प्रदेश प्रभारी हरीश रावत से बात की। कैप्टन ने कहा कि वह बयान देने के लिए तैयार हैं कि प्रदेश अध्यक्ष पद पर सोनिया गांधी के फैसले को स्वीकार किया जाएगा। सूत्रों की मानें तो कैप्टन ने कहा कि वह सिद्धू से तब तक नहीं मिलेंगे, जब तक पूर्व वह उनके खिलाफ दिए गए बयानों को लेकर सार्वजनिक तौर पर माफी नहीं मांगते। उन्होंने आगे कहा, मेरे ऊपर किए गए खुलासे और सार्वजनिक बयानों ने पंजाब में कांग्रेस पार्टी को अपूरणीय क्षति पहुंचाई थी और यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण था, जिस तरह से दिल्ली से पंजाब को नियंत्रित किया जा रहा था।
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