‘चुप कराकर देश को नफरत के आग में झोंक रही सरकार’
थरूर ने ‘शहरी नक्सली’ शब्द गढ़े जाने पर कहा कि यह केंद्र सरकार की साजिश है कि जो लोग आपसे सहमत नहीं हैं, उन्हें अलग-अलग तरह के लेबल दे दो, कभी उन्हें देशद्रोही करार दे दो, कभी हिंदू विरोधी कह दो। इस तरह किसी का अपमान कर, उन पर हमला कर घटिया लेबल लगाना लोकतंत्र नहीं है। न्यूज एजेंसी को दिए इटंरव्यू में उन्होंने कहा कि मैं वामपंथी विचारधारा में यकीन नहीं करता हूं, लेकिन संविधान कहता है कि हमें हर विचारधारा का सम्मान करना चाहिए और अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो देश को नफरत की आग में झोंक रहे हैं। तथ्य यह है कि लोकतंत्र का मतलब सिर्फ बहुमत नहीं है। लेकिन लोकतंत्र में बहुमत मायने रखता है और अब बहुमत का यह दायित्व है कि वह अल्पसंख्यकों की जरूरतों का ध्यान रखे।
चार साल में लोग समझ गए कि मोदी सरकार ने ठगा: थरूर
मोदी सरकार के हर साल दो करोड़ युवाओं को रोजगार देने के वादे का जिक्र करने पर तिरुवनंतपुरम से सांसद थरूर ने का कि यह सरकार युवाओं को सपने दिखाकर सत्ता में आई थी। हर साल दो करोड़ नौकरियों का वादा किया गया था, लेकिन अब आप देखें तो इन बीते चार वर्षो में सरकार को आठ करोड़ नौकरियां उपलब्ध करानी चाहिए थी। लेकिन सिर्फ 18 लाख नौकरियां ही सरकार दे पाई है। युवा खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं, वे सरकार से फ्रस्टेट हो चुके हैं। जब सच्चाई धीरे-धीरे सामने आ रही है, तब लोग समझ रह हैं कि सरकार ने किस तरह की ठगी की है।