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रामराज्य को छलनी करती फर्जी कंपनियां: पूर्व कंप्यूटर ऑपरेटर ने 3.17 करोड़ का किया घोटाला, पुलिस ने किया गिरफ्तार

Raebareli Crime: रायबरेली नगर पालिका परिषद में पूर्व कंप्यूटर ऑपरेटर विक्रम शर्मा और उसके भाई जसवंत शर्मा ने स्वच्छ भारत मिशन की ₹3.17 करोड़ की राशि में धोखाधड़ी की। फर्जी कंपनियों के नाम पर धन निजी खातों में ट्रांसफर किया गया। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर पूरी राशि बरामद कर ली है।

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नगर पालिका के खाते से रकम निजी खातों में भेजी गई, पुलिस ने पूरी राशि वापस कराई फोटो सोर्स : Social media

नगर पालिका के खाते से रकम निजी खातों में भेजी गई, पुलिस ने पूरी राशि वापस कराई फोटो सोर्स : Social media

Raebareli UP Crime: रायबरेली नगर पालिका परिषद में सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा भेजी गई ₹3.17 करोड़ की धनराशि के गबन के मामले में पुलिस ने नगर पालिका परिषद के पूर्व कंप्यूटर ऑपरेटर विक्रम शर्मा और उसके भाई जसवंत शर्मा को गिरफ्तार कर लिया है। यह धोखाधड़ी फर्जी कंपनियों के नाम पर फर्जी खातों में धनराशि स्थानांतरित कर की गई थी।

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धोखाधड़ी का खुलासा ऐसे हुआ

शुरुआत में नगर पालिका प्रशासन को कुछ लेनदेन संदिग्ध लगे। इसके बाद आंतरिक जांच शुरू की गई जिसमें यह स्पष्ट हुआ कि नगर पालिका के कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में कार्यरत विक्रम शर्मा ने वरिष्ठ अधिकारियों के डिजिटल हस्ताक्षर चोरी कर नगर पालिका के खाते से ₹3.17 करोड़ की राशि तीन अलग-अलग खातों में ट्रांसफर की है।

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तीन अलग-अलग ट्रांजेक्शन

  • ₹98.65 लाख और ₹99.56 लाख -“अनएकता में एकता क्रांति मंच” के नाम से सिटापुर स्थित बैंक खाते में भेजे गए।
  • ₹1.2 करोड़ -“न्यू रॉयल एंटरप्राइजेज” के नाम से लखनऊ स्थित बैंक खाते में ट्रांसफर किया गया।

इन दोनों संस्थाओं का न तो नगर पालिका से कोई ठेका था और न ही कोई वैधानिक अनुबंध। जांच में सामने आया कि सभी दस्तावेज फर्जी थे और सारा लेनदेन अवैध तरीके से किया गया था।

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शिकायत, एफआईआर और पुलिसिया कार्रवाई

नगर पालिका अधिशासी अधिकारी स्वर्ण सिंह ने 25 अक्टूबर 2023 को कोतवाली पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराई। प्राथमिकी के आधार पर पुलिस ने विक्रम और उसके भाई जसवंत के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया। रायबरेली के अपर पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार सिन्हा ने बताया कि डिजिटल ट्रांजेक्शन और बैंकिंग रिकॉर्ड के आधार पर तेजी से जांच की गई और दोनों अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया गया।

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पुलिस ने पूरी राशि वापस कराई

धोखाधड़ी के इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि यह रही कि पुलिस ने बैंक अधिकारियों के सहयोग से ₹3.17 करोड़ की पूरी धनराशि को ट्रैक कर वापस नगर पालिका के खातों में जमा करा दिया। इससे पहले कि धन की हेरा-फेरी करके यह राशि आगे ट्रांसफर की जाती, पुलिस ने तकनीकी टीम के माध्यम से त्वरित कार्रवाई करते हुए इसे रोक दिया।

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पूर्व में भी रहा है आरोपी का आपराधिक इतिहास

जांच के दौरान यह तथ्य भी सामने आया कि विक्रम शर्मा पूर्व में डेटा चोरी और साइबर अपराधों में लिप्त रहा है। पहले भी वह एक मामले में जेल जा चुका है और जमानत पर छूटने के बाद उसने फिर से इस तरह की साजिश रची। इस बार उसने अपने भाई को भी इसमें शामिल कर लिया।

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नगर प्रशासन में मचा हड़कंप, कड़ी कार्रवाई के निर्देश

इस मामले के सामने आने के बाद नगर प्रशासन में हड़कंप मच गया है। राज्य सरकार ने नगर विकास विभाग से पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट तलब की है और दोषी कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।

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प्रशासन की तत्परता बनी सराहना का विषय

जहां इस तरह की धोखाधड़ी सरकारी योजनाओं की छवि को धूमिल करती हैं, वहीं रायबरेली प्रशासन की तत्परता और पुलिस विभाग की दक्षता की सराहना की जा रही है। कुछ ही दिनों में न केवल अपराधी गिरफ्तार किए गए, बल्कि पूरी धनराशि भी सुरक्षित वापस लाई गई।

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यह घटना क्यों महत्वपूर्ण है

  • जनधन की सुरक्षा: यह केस सरकारी फंड्स की सुरक्षा की चुनौती को उजागर करता है।
  • डिजिटल दस्तावेजों की सुरक्षा: वरिष्ठ अधिकारियों के डिजिटल सिग्नेचर की चोरी एक बड़ा साइबर सुरक्षा मुद्दा है।
  • प्रशासनिक पारदर्शिता की आवश्यकता: इस घटना ने दिखाया कि सतर्कता और पारदर्शिता के बिना सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग आसानी से हो सकता है।
  • पुलिस और बैंकिंग प्रणाली की समन्वय क्षमता: इस केस में बैंक और पुलिस के संयुक्त प्रयास से धनराशि की वापसी संभव हो सकी।

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