
साइबर ठगों का नया तरीका (Photo source- Patrika)
E-Challan Scam: साइबर ठग इन दिनों फिशिंग के लिए एपीके फाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं। एपीके फार्मेट की किसी भी फाइल को वाट्सऐप, टेलीग्राम और अन्य लिंक के जरिए मोबाइल में भेजते हैं। जैसे ही एपीके फाइल को डाउनलोड करते हैं, वैसे ही मोबाइल हैक हो जाता है। इससे मोबाइल में मौजूद फोनपे, क्रेडिट कार्ड, बैंक खाते आदि की जानकारी हैकर को मिल जाती है।
इनका इस्तेमाल करके बैंक खाते से पूरी रकम निकाल लेते हैं। इस तरह का ताजा मामला मोवा इलाके में सामने आया है। वाट्सऐप में मैसेज के रूप में एपीके फाइल भेजा गया, जिसे मोबाइलधारक ने डाउनलोड कर लिया। ऐसा करते ही उसका मोबाइल हैक हो गया और फिर उनके तीन क्रेडिट कार्डों का इस्तेमाल करके साइबर ठगों ने डेढ़ लाख से अधिक की ऑनलाइन शॉपिंग कर लिया। इसकी शिकायत पर मोवा पुलिस ने अज्ञात साइबर ठगों के खिलाफ केस दर्ज किया है।
मोवा इलाके में रहने वाले कारोबारी विजय मंधान वाट्सऐप में हिंदू पंचायत मोवा नाम के ग्रुप से जुड़े हैं। 30 अगस्त को इस ग्रुप में ई-चालान के नाम से एक मैसेज पोस्ट किया। विजय ने मैसेज के साथ आए फाइल को ओपन किया। इसके बाद उनका मोबाइल हैक हो गया। इस दौरान अलग-अलग ई-कॉमर्स कंपनियों से ऑनलाइन सामान आर्डर करने के ओटीपी नंबर भेजा गया था।
इसमें तीन मोबाइल व गिफ्ट का आर्डर दिया गया था। इसके एवज में कुल 1 लाख 68 हजार 265 रुपए का भुगतान उनके क्रेडिट कार्ड से कर दिया गया था। अज्ञात साइबर ठगों ने ई-चालान के रूप में एपीके फाइल भेजा था। इसे पीड़ित ने ओपन किया, जिससे उनका मोबाइल हैक हो गया। इसके बाद ठगों ने उनके क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करके ऑनलाइन शॉपिंग कर ली। इसकी शिकायत पर पंडरी पुलिस ने अज्ञात साइबर ठगों के खिलाफ केस दर्ज कर विवेचना में लिया है।
E-Challan Scam: इससे पहले भी ई-चालान के रूप में एपीके फाइल भेजकर रायपुर में कई लोगों से ऑनलाइन ठगी कर चुके हैं। दरअसल एपीके फाइल मोबाइल हैक करने का आसान तरीका है। यह फिशिंग के तहत लिंक रहता है। मोबाइल हैक होने से उसमें जो भी चीजें हों, जैसे फोटो, वीडियो, ऐप आदि सभी को हैकर अपने कंट्रोल में ले लेते हैं।
मोबाइल में अगर ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम जैसे फोनपे, क्रेडिट कार्ड, बैंक संबंधित आदि की जानकारी हो, तो उन्हें पता चल जाता है। इसके जरिए ऑनलाइन खरीदी करते हैं। ऑनलाइन भुगतान के लिए ओटीपी नंबर आता है। चूंकि मोबाइल हैक रहता है, इसलिए ओटीपी नंबर भी उन्हें दिख जाता है। इसी के जरिए पीड़ित के बैंक खातों से रकम पार कर लेते हैं।
Published on:
22 Sept 2025 11:29 am
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