मगहर पूर्वी उत्तर प्रदेश के संतकबीरनगर जिले के खलीलाबाद में स्थित है। ज़िला मुख्यालय के दक्षिण-पश्चिम से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह वह स्थान है, जहां संत कवि कबीर की मृत्यु हुई थी। इस जगह पर संत कवि कबीर की एक मस्जिद स्थित है। इस मस्जिद में हिन्दू और मुसलमान दोनों ही पूरी श्रद्धा के साथ यहां आते हैं। 1567 में नवाब फिदाय खान ने इस मस्जिद का पुनर्निर्माण करवाया था । यहां पर कबीर की मज़ार और समाधि अगल-बगल मौजूद है । समाधि पर हिंदू पूजा करते हैं और मज़ार पर मुसलमान ज़ियारत करते हैं । कबीर की समाधि और मज़ार की दीवार आपस में जुड़ी है. मंदिर में फूल चढ़ता है, घंटे बजते हैं, तो मज़ार में चादर चढ़ती है। मज़ार और मंदिर के पीछे की तरफ़ एक बगीचा है, वहीं दूसरी तरफ कबीर की साधना गुफा है। गुफा में कबीर दास बैठकर ध्यान लगाते थे। पहले यह गुफा कच्ची थी और काफी गहरी थी, लेकिन बाद में उसमें पक्की सीढ़ियां बनवा दी गईं. मजार और मंदिर दोनों के बनने की कहानी काफी दिलचस्प है. कबीर की मौत के बारे में एक कहानी प्रचलित है कि जब कबीर की मौत तो उनके हिंदू और मुस्लिम शिष्यों में इस बात पर झगड़ा होने लगा कि उनकी अंतिम क्रिया वह करेंगे। हिंदू कबीर के शरीर को जलाना चाहते थे, जबकि मुस्लिम उन्हें दफ़नाना चाहते थे। झगड़े के बीच जब शव पर से चादर हटाया गया तो शरीर की जगह कुछ फूल मिले। आधे फूल लेकर हिंदुओं ने एक समाधि बना ली और आधे फूल लेकर मुसलमानों ने मज़ार बना ली।
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