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प्राचीन भारतीय साहित्य में शिल्प कला को एक स्वतंत्र विज्ञान मान कर वास्तुशास्त्र की रचना की गई। प्राचीन भारतीय शिल्प कला में न केवल भवन की मजबूती वरन उसकी सुंदरता, आध्यात्मिक महत्व तथा उसमें रहने वाले लोगों की प्रसन्नता का भी ध्यान रखने का विचार किया जाता है। आज भी शिल्प कला के कई नियम सिविल इंजीनियरिंग में लिए गए हैं जिनका निर्माण कार्यों में प्रयोग किया जाता है।