इस तरह से होता है हिड़ गाने का आयोजन
भटेवर में भील समाज के बड़े बुजुर्ग युवाओं के साथ एक टोली के रूप में दीपावली की रात्रि में हाथ में दिया लेकर हिड़ गाते हुए गांव के मुख्य मार्गों से गुजरते है। हिड़ एक प्रकार का ग्रामीण गीत होता है जिसमें भील समाज द्वारा एक साथ ऊंचे स्वर में गाया जाता है। इस गीत में समाज द्वारा देवी देवताओं की आराधना करते हुए गांव में सुख शांति व समृद्धि के लिए कामना की जाती है इसके अलावा गांव के प्रत्येक घर में जाकर उनके पूर्वजों का नाम भी इस गीत के माध्यम से लिया जाता है और परिवार के सदस्यों के स्वस्थ एवं दुर्घायु की कामना की जाती है। इसी बीच भील समाज के लोग गांव के प्रत्येक घर में दिया लेकर खुशहाली की कामना करते है।
भटेवर में भील समाज के बड़े बुजुर्ग युवाओं के साथ एक टोली के रूप में दीपावली की रात्रि में हाथ में दिया लेकर हिड़ गाते हुए गांव के मुख्य मार्गों से गुजरते है। हिड़ एक प्रकार का ग्रामीण गीत होता है जिसमें भील समाज द्वारा एक साथ ऊंचे स्वर में गाया जाता है। इस गीत में समाज द्वारा देवी देवताओं की आराधना करते हुए गांव में सुख शांति व समृद्धि के लिए कामना की जाती है इसके अलावा गांव के प्रत्येक घर में जाकर उनके पूर्वजों का नाम भी इस गीत के माध्यम से लिया जाता है और परिवार के सदस्यों के स्वस्थ एवं दुर्घायु की कामना की जाती है। इसी बीच भील समाज के लोग गांव के प्रत्येक घर में दिया लेकर खुशहाली की कामना करते है।
READ MORE : उदयपुर में पर्यटन का बूम : हर गली-चौराहा जाम, होटलें फुल, खुले-पार्किंग स्थल में सोए पर्यटक… नेग के रूप में दिया जाता है धान दीपोत्सव के बाद हिड़ गाने वाली टोली रात्री को गांव के प्रत्येक घर में जाती है यहां पर ग्रामवासियों द्वारा इनको मिठाई वितरित की जाती है। इस दौरान भील समाज द्वारा देवी देवताओं की आराधना कर घर में सुख शांति की पुनः मंगल कामना की जाती है। इसके बाद परम्परा के अनुसार ग्रामवासियो द्वारा भी हिड़ गाने वाली टोली को नेग के रूप में गेहूं, मक्का का धान व कपड़े दिए जाते है। इसी प्रकार यह सिलसिला छोटी दिवाली तक चलता है।