11 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Father’s Day 2024: लावारिस शवों को मोक्ष दिला रहे भिलाई के प्रकाश, अब तक 1689 को दे चुके सद्गति…जानिए इनकी अनोखी कहानी

Father's Day 2024: पिता का अंतिम संस्कार नहीं कर पाने की पीड़ा ने बेटे को इस कदर झकझोरा कि उसने प्रायश्चित में लावारिस लाशों का वारिस बनकर अंतिम संस्कार का बीड़ा उठा लिया।

3 min read
Google source verification
Father's Day 2024

Father's Day 2024:पिता का अंतिम संस्कार नहीं कर पाने की पीड़ा ने बेटे को इस कदर झकझोरा कि उसने प्रायश्चित में लावारिस लाशों का वारिस बनकर अंतिम संस्कार का बीड़ा उठा लिया। भिलाई के प्रकाश गेड़ाम के परिवार की माली हालत ठीक नहीं है, छोटी दुकान से परिवार का गुजारा चलता है, फिर भी जुनून के ऐसे पक्के कि पिछले 20 सालों से इस संकल्प को पूरा करने में जुटे हैं। प्रकाश अब तक 1689 लावारिसों लाशों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। इतना ही नहीं अब बुजुर्गों की सेवा के साथ देहदान और दिव्यांगों के विवाह की भी मुहिम चला रहे है।

प्रकाश गेड़ाम बताते हैं कि रोजी-रोटी के संकट के कारण उनका परिवार वर्ष 1982 में महाराष्ट्र अकोला से भिलाई आ गया। यहां परिवार व्यवस्थित होने और थोड़ी स्थिति सुधरने पर पिता मानिकराव गेड़ाम पैत्रिक भूमि बेचने के नाम पर वापस गृहग्राम अकोला महाराष्ट्र लौट गए, लेकिन वे वापस नहीं लौटे। गेड़ाम ने बताया कि पहले से दमा से पीडि़त पिता अकोला में अचानक बीमार हो गए और उनकी मृत्यु हो गई।

Father's Day 2024: गांव वालों ने इसकी सूचना उन्हें तार के माध्यम से दी, लेकिन तार उन्हें व परिवार को मिला ही नहीं। करीब छह माह बाद चाचा गांव गए तब पिता की मुत्यु का पता चला। तब तक गांव वालों ने पिता का अंतिम संस्कार कर दिया था। इसके बाद वर्ष 1990 में गेड़ाम गांव गए तो वहां के लोगों ने पिता के अंतिम संस्कार के लिए नहीं आने को लेकर खूब खरी-खोटी सुनाई। तब उन्हें भूल का एहसास हुआ और उन्होंने इसके लिए प्रायश्चित करने का फैसला किया।

यह भी पढ़े: CG Gang Rape Case: ‘मैं रात भर चिल्लाती रही..6 युवकों ने मिलकर महिला से किया रेप, बारी-बारी बुझाई प्यास फिर…

Father's Day 2024: 2004 से अंतिम संस्कार की मुहिम

गेड़ाम ने बताया शुरू में आर्थिक तंगी के कारण कुछ नहीं कर पाए। वर्ष 2002 में काम शुरू किया और इसी के साथ प्रायश्चित स्वरूप समाज सेवा शुरू किया, लेकिन वर्ष 2004 की घटना ने इसे लावारिस लाशों के अंतिम संस्कार के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2004 में शिवनाथ तट पर एक लावारिस लाश को कुत्तों को नोचते देखा। इसके बाद उन्होंने हर लावारिस लाश का स्वयं के खर्च पर अंतिम संस्कार का फैसला किया। तब से यह मुहिम चल रहा है।

Father's Day 2024: 75 बुजुर्गों की बेटे की तरह सेवा

गेड़ाम लावारिस लाशों के अंतिम संस्कार तक ही नहीं रूके। उन्होंने बेसहारा बुजुर्गों की बेटे की तरह सेवा का भी बीड़ा उठाया है। उन्होंने बताया कि एक अंतिम संस्कार के दौरान किसी बुजुर्ग ने लावारिस लाशों की चिंता और जीवित बुजुर्गों की अनदेखी की बात कहते हुए ताना मारा। इसके बाद उन्होंने उक्त बुजुर्ग और एक अन्य को घर लाकर सेवा शुरू की। मां ने भी दो बेसहारा बुजुर्गों को घर में आश्रय दिया। इस तरह बुजुर्गों की सेवा शुरू हुई। अब उनके आश्रय में 75 बेसहारा बुजुर्ग हैं।

Father's Day 2024: 47 देहदान और 1778 विकलांगों का करा चुके विवाह

गेड़ाम मेडिकल सेवा के लिए देहदान की मुहिम में भी जुटे हैं। उन्होंने स्वयं देहदान किया है। परिवार के लोग भी देहदान कर चुकें हैं। आस्था नामक संस्था बनाकर आगे बढ़ा रहे प्रकाश अब तक 1200 देहदान करा चुके हैं। इनमें से 47 देह समर्पित भी हो चुका है। वहीं 19 सालों से दिव्यांगों की विवाह के अभियान में भी जुटे हैं। वे अब तक 1778 दिव्यांगों की विवाह भी करा चुके हैं। फिलहाल वे 301 दिव्यांगों के सामूहिक विवाह की तैयारी में जुटे हैं।

यह भी पढ़े: Ban On Fishing In CG: मछली पकड़ने पर अब होगी जेल, सरकार ने 15 अगस्त तक लगाया प्रतिबंध…जानिए क्यों?