
CG Tourism : छत्तीसगढ़ की खूबसूरती में आतंक का खौफ ?.. सिकासेर डैम के जन्नत जैसे नजारे अब सुरक्षित, देखें मनोरम दृश्य
गरियाबंद। CG Tourism : सिकासेर डैम में सालभर पानी भरा रहता है। आसपास कई किलोमीटर तक घने जंगल हैं। ये वो तमाम वजहें हैं जिनकी वजह से पहले ये पूरा इलाका सैलानियों से गुलजार रहा करता था। दूर-दराज से लोग परिवार और दोस्तों के साथ यहां पिकनिक मनाने आया करते थे।
स्कूल-कॉलेज की ओर से भी बच्चों को टूर पर लाया जाता था। लेकिन, आज डैम और आसपास के इलाकों में सन्नाटा पसरा है। जिन खूबसूरज नजारों को देखकर पहले मन प्रफुल्लित हो उठता, अब वही लोगों को भयभीत कर रहा है। लोगों का मानना है कि घने जंगलों केे बीच से जाने कब, कौन सी आफत टूट पड़े! लोग यहां जाने से डर रहे हैं तो इसके पीछे प्रशासन की भी बड़ी कमजोरी है। प्रशासन आज तक लोगों को नहीं समझा पाया है कि जिले में अब नक्सलियों का कोई खतरा नहीं। जबकि, राजधानी में होने वाली मीडिया कॉन्फ्रेंस में आला-अफसर गरियाबंद से नक्सलियों का नामोनिशां मिटाने की बात बड़ी दमखम से रखते आए हैं।
सिकासेर की दुर्दशा के लिए प्रशासन इसलिए भी जिम्मेदार है क्योंकि शहर से 50 किलोमीटर दूर इस पर्यटन स्थल को बढ़ावा देने के लिए कभी कोई ठोस प्रयास नहीं किए। रोजमर्रा की जरूरतों का सामान खरीदने के लिए भी लोगों को सिकासेर से 10 किलोमीटर सफर कर दूसरे गांव जाना पड़ता है।
गरियाबंद प्रदेश के सबसे खूबसूरत जिलों में से एक है। यहां हरे-भरे पेड़ हैं। पहाड़ हैं। झरने हैं। नदियां हैं। हर कदम पर नैसर्गिक नजारों की बहार है। शहर से 50 किलोमीटर दूर सिकासेर डैम भी ऐसी जगह है जिसे प्रकृति ने खूबसूरती से नवाजा है। लाल आतंक का खौफ इलाके के लिए काला धब्बा साबित हो रहा है। वैसे तो नक्सलियों की इस इलाके में धमक सालों पहले खत्म हो चुकी। लेकिन, दहशत आज भी इतनी है कि लोग यहां से दूर रहना पसंद करते हैं।
लोगों की सुरक्षा के लिए पेट्रोलिंग बढ़ाई गई
पूरे जिले में नक्सलियों का दबदबा कम हुआ है। पुलिस का दबदबा बढ़ा है। बीते 3-4 महीने में ही हमने 2 नक्सलियों को मार गिराने में सफलता पाई है। लोगों को डरने की कोई जरूरत नहीं है। सतर्कता बरतते हुए जिम्मेदार बनने की जरूरत है। जनसुरक्षा के लिहाज से पेट्रोलिंग बढ़ाई गई है।
- डीसी पटेल, एडिशनल एसपी, गरियाबंद
हम जहां के तहां रह गए, इधर गंगरेल बन गया मिनी गोवा
धमतरी का गंगरेल बांध आज प्रदेश का मिनी गोवा कहलाता है। आए दिन यहां पर्यटकों की बहार रहती है। सिकासेर डैम मे भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने वाली सारी खूबियां हैं। बशर्ते प्रशासन को भी उतना गंभीर होने की जरूरत है। गंगरेल डैम की तरह यहां भी वाटर स्पोर्ट्स की शुरुआत की जा सकती है। मनोरंजन के दूसरे साधनों का इंतजाम भी किया जा सकता है। इन उपायों से सिकासेर को उसकी पुरानी रौनक वापस लौटाई जा सकती है।
संसाधनों की कमी से जूझ रहा, रेस्ट हाउस भी जर्जर
फिलहाल सिकासेर संसाधनों के अभाव से जूझ रहा है। जल संसाधन विभाग का यहां इकलौता रेस्ट हाउस है जिसमें सैलानी ठहर सकते हैं। काफी पुराना होने की वजह से यह भी काफी जर्जर हो चुका था। मरम्मत के लिए बीते दिनों काम शुरू किया गया। लेकिन, ये भी अब तक आधा-अधूरा है। ऐसे में इक्का-दुक्का जो पर्यटक यहां पहुंच भी रहे हैं, उन्हें शाम ढलने से पहले लौटना पड़ रहा है। जनप्रतिनिधियों से लेकर प्रशासन तक, किसी को इसकी सुध नहीं है।
सिकासेर जलाशय से जुड़ी वो बातें जो आपको जाननी चाहिए
- बिजली उत्पादन के लिए विशाल संयंत्र है जो एजुकेशनल टूर के काम आएगा।
- पैरी नदी पर सिकासेर डैम का निर्माण साल 1977 में बनाया गया था।
- डैम की साइज का अंदाजा इसी से लगा सकते हैँ कि इसमें 20 गेट हैं।
- इस आईलैंड पर रिसॉर्ट या रेस्टॉरेंट बना सकते हैं। यह लोगों के काम आएगा।
- गरियाबंद जिला मुख्यालय से 50 किमी, रायपुर से 140 किमी दूर है।
- डैम के बीच आईलैंड है जो लोगों को काफी अधिक आकर्षित करता है।
Published on:
02 Oct 2023 05:01 pm
बड़ी खबरें
View Allगरियाबंद
छत्तीसगढ़
ट्रेंडिंग
