पढ़ें ये खास खबर- खुलासा : इन लोगों पर है कोरोना वायरस से मौत का सबसे ज्यादा खतरा, जानें बचाव
व्यवस्थाएं सुचारू रखने में मिली मदद
ये बात तो सभी जानते हैं कि, मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित शहर इंदौर ही है। ऐसी स्थिति में शहर के अस्पतालों में पर्याप्त इलाज दे पाना बड़ी चुनौती बना हुआ था। इससे निपटने के लिए जिले के संक्रमित मरीजों को घर में रखकर इलाज की जो व्यवस्था की गई है, उससे काफी सहयोगात्मक है। इसके बेहतर परिणाम भी सामने आने लगे हैं। साथ ही, अत्याधुनिक सुविधा से युक्त कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है। कंट्रोल रूम में एप के माध्यम से सतत निगरानी की जा रही है और मरीजों को परामर्श तथा आवश्यकता के अनुसार उपचार और अन्य मदद मुहैया कराई जा रही है।
पढ़ें ये खास खबर- अस्पताल प्रबंधन ने मनाया कोरोना पॉजिटिव बच्ची का पहला जन्मदिन, कलेक्टर ने कही ये बात
होम आइसोलेशन एप करता है मरीजों की मदद
इंदौर नगर निगम की 311 एप में होम आइसोलेशन का फीचर जोड़ा गया है। इसकी मदद से कोविड-19 संक्रमण के प्रीसिम्पटोमैटिक (जिनमें लक्षण सामने नहीं आए हैं) मामलों को निर्धारित मापदंडो के अनुसार होम आइसोलेशन में भेजकर उनपर निगरानी रखी जाती है। होम आइसोलेट किए गए मरीज को रैपिड रिस्पांस टीम द्वारा मेडिसिन किट और एक पल्स ऑक्सीमीटर दिया जाता है। मेडिसिन किट में एलोपैथी, होम्योपैथी और आयुर्वेदिक दवाइयां होती हैं। पल्स ऑक्सीमीटर द्वारा ऑक्सीजन सैचुरेशन और पल्स रेट को मापा जाता है।
पढ़ें ये खास खबर- रिसर्च: नाक के जरिए दिमाग में पहुंचकर ऐसे नुकसान करता है कोरोना वायरस
पहले एप में पंजीकरण करना होता है
दरअसल, प्रशासन ने एक होम आइसोलेशन के लिए एक पूरी व्यवस्था का इजाद किया है। किसी भी मरीज को होम आइसोलेशन की शुरुआत करने से पहले इंदौर की एक लोकल एप में पंजीकरण करना होता है। इसमें मरीज को एक स्व घोषणा पत्र भरना होता है, जिसके माध्यम से मरीज की फोटो और मेडिकल जानकारी एप पर अपलोड की जाती है।
पढ़ें ये खास खबर- रिसर्च: नाक के जरिए दिमाग में पहुंचकर ऐसे नुकसान करता है कोरोना वायरस
वीडियो कॉल के जरिये मरीज एप पर देता है डॉक्टर को जानकारी
आइसोलेट किए गए व्यक्ति द्वारा एप के माध्यम से ऑक्सीजन सैचुरेशन और पल्स रेट को हर चार घंटे के भीतर मापा जाता है। जैसे ही कोई मरीज आंकड़े फीड करता है, वो एसजीआईटीएस कॉलेज स्थित कंट्रोल रूम में लगे मॉनिटर पर प्रदर्शित हो जाते हैं। अगर मरीज द्वारा डाटा फीड नहीं किया जाता तो कंट्रोल रूम से फोन कर मरीज से मौजूदा जानकारी मांगी जाती है। अगर किसी मरीज के आंकड़े गड़बड़ लगते हैं तो कंट्रोल रूम के डॉक्टर उससे वीडियो कॉल पर जानकारी लेते हैं। कंट्रोल रूम में चार डॉक्टर उपस्थित है, जिनका काम आइसोलेट मरीजों पर 24 घंटे निगरानी रखना है।
पढ़ें ये खास खबर- 4 साल की मासूम बच्ची समेत 150 लोगों ने घर में रहकर ही कर ली कोरोना पर फतह
रोजाना दो बार मरीजे से जाना जाता है हाल-चाल
कंट्रोल रूम में कार्यरत डॉक्टर हर मरीज को रोज़ाना कम से कम दो बार कॉल कर उसकी मौजूदा स्थिति की भी जानकारी लेते हैं। मरीज की आवाज के जरिये उसके स्वास्थ को परखा जाता है। अगर किसी मरीज की ऑक्सीजन सैचुरेशन 90 फीसदी से कम हो जाए, पल्स रेट 60 से कम आए और उसे सांस लेने में परेशानी हो तो आरआरटी द्वारा ऐसे मरीज के घर जाकर उसकी जांच की जाती है। इसके बाद जरूरत पड़ने पर उसे अस्पताल भी रेफर किया जाता है।