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भारत के तीसरे सबसे बड़े ऑयरन बिलट/इंगट (जिनका इस्तेमाल स्टील के पतरे और अन्य सामान बनाने में होता है) उत्पादक राज्य गुजरात में इंडक्शन फर्नेस एसोसिएशन के अध्यक्ष इनामुल हक इराकी ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि राज्य में तीन माह पहले तक कुल 150 इंडक्शन फर्नेस चालू थे, जिनमें 50 से 60 हजार वेतनभोगी कामगार थे और प्रति दिन का उत्पादन 60 से 70 हजार टन था। मंदी के चलते तीन माह में 50 इकाइयां बंद हो गई, सात हजार कामगार बेरोजगार हो गए और उत्पादन गिर कर 15 से 20 हजार टन ही रह गया है। 50 अन्य इकाइयां भी खस्ताहाल हैं और बंदी की कगार पर हैं।
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उन्होंने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार अगर जल्द ही मदद के लिए नहीं आई तो पूरा उद्योग ही संकट में पड़ जाएगा। इस उद्योग में बिजली की खपत अधिक होती है, इसलिए इसकी दरों में राहत की हमने सरकार से मांग की है। हमने बिजली यूनिट के रूप मेें एक पैकेज की मांग की है। मंदी के बीच महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में सस्ती बिजली पा रही इंडक्शन फर्नेस इकाइयां गुजरात में अपना माल बेच कर हमे नुकसान पहुंचा रही हैं। हमने सरकार से निर्यात प्रोत्साहन दर को मौजूदा साढ़े तीन फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी करने की और भारतीय कमोडिटी एक्सचेंज में स्टील तथा इंगट आदि के फ्यूचर ट्रेडिंग पर रोक लगाने की भी मांग की है।
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उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री तथा ऊर्जा मंत्री से उनके एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने कुछ समय पहले मुलाकात कर अपनी मांगे रखी थी पर अब तक कोई ठोस पहल नहीं हुई है। उन्होंने आज एक रैली निकाल कर प्रतीकात्मक विरोध स्वरूप उद्योग आयुक्त रोहित शर्मा को अपने उद्योगों की चाबियां और मांगों का ज्ञापन उन्हें सौंपा।