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LU Teachers to Protest: डिग्री कॉलेज शिक्षक करेंगे आंदोलन – शोध से वंचित करने के फैसले के खिलाफ लुआक्टा का मोर्चा

Lucknow University: लखनऊ विश्वविद्यालय के शोध अध्यादेश 2025 से स्नातक कॉलेज शिक्षकों को पीएचडी निर्देशन से वंचित करने के फैसले के खिलाफ लुआक्टा ने आंदोलन का ऐलान किया है। 26 अगस्त को सामूहिक अवकाश, राजभवन मार्च, गिरफ्तारी, 5 सितंबर को काला दिवस और 10 सितंबर को दीक्षांत समारोह विरोध सहित चरणबद्ध आंदोलन की योजना बनाई गई है।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Aug 15, 2025

आज से छत्तीसगढ़ में कलम बंद आंदोलन शुरू,(photo-patrika)

आज से छत्तीसगढ़ में कलम बंद आंदोलन शुरू,(photo-patrika)

LU Teachers to Protest: लखनऊ विश्वविद्यालय (लविवि) की अकादमिक काउंसिल द्वारा यूजीसी की गाइडलाइन को अक्षरशः मंजूरी देने के बाद संबद्ध स्नातक डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों से पीएचडी का अधिकार छिन गया है। अब ऐसे कॉलेजों के मास्टर शोध निर्देशन नहीं कर सकेंगे। इस निर्णय के खिलाफ लखनऊ विश्वविद्यालय एसोसिएटेड कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन (लुआक्टा) ने आंदोलन का ऐलान किया है।

निर्णय से शिक्षकों में नाराजगी

  • लविवि की कुलपति प्रोफेसर मनुका खन्ना पर शिक्षकों ने आरोप लगाया है कि उन्होंने शोध अध्यादेश, 2025 को लागू करके यूजी शिक्षकों के हितों को नजरअंदाज किया है। नई व्यवस्था के तहत:
  • केवल वही शिक्षक शोध निर्देशन कर सकेंगे जिनके कॉलेज में परास्नातक (PG) पाठ्यक्रम रेगुलर मोड में चलते हों।
  • ऐसे कॉलेज जहाँ पर पीजी कोर्स नहीं हैं या शिक्षक रेगुलर नहीं हैं, वहाँ के शिक्षकों को पीएचडी कराने का अधिकार नहीं मिलेगा।
  • लुआक्टा के अध्यक्ष मनोज पांडेय का कहना है कि “शोध का अधिकार छीनने से स्नातक कॉलेजों के शिक्षकों का शैक्षणिक विकास रुक जाएगा। यह फैसला सीधे तौर पर शिक्षा की गुणवत्ता को भी प्रभावित करेगा।”

कुलपति के खिलाफ मोर्चा

लविवि से संबद्ध डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों का कहना है कि अकादमिक काउंसिल ने बिना विरोध यूजीसी की गाइडलाइन को पास कर दिया, जिससे स्नातक शिक्षकों को शोध कार्य से बाहर कर दिया गया है। कुलपति मनुका खन्ना पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने शिक्षक संगठनों की आपत्तियों को अनदेखा कर निर्णय को लागू किया। लुआक्टा ने घोषणा की है कि कुलपति के खिलाफ मोर्चा खोला जाएगा और कार्य परिषद की बैठक के दिन धरना-प्रदर्शन किया जाएगा।

आंदोलन की रूपरेखा

  • लुआक्टा ने चरणबद्ध आंदोलन की विस्तृत योजना बनाई है:
  • 26 अगस्त को सामूहिक अवकाश-  सभी शिक्षक अवकाश लेकर लखनऊ विश्वविद्यालय सरस्वती वाटिका पर एकत्र होंगे।
  • राजभवन मार्च और गिरफ्तारी- इसी दिन शिक्षक राजभवन की ओर मार्च करेंगे और गिरफ्तारी देंगे।

जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन –

  • लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह
  • उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक
  • राज्यसभा सदस्य एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा
  • उच्च शिक्षा मंत्री रजनी तिवारी
  • रायबरेली के सांसद राहुल गांधी
  • इसके अतिरिक्त ज्ञापन मुख्यमंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री को भी भेजा जाएगा।
  • लविवि को ज्ञापन – विश्वविद्यालय से पुनर्विचार की माँग।
  • 5 सितम्बर को काला दिवस – शिक्षक अपने-अपने कॉलेजों में काली पट्टी बांधकर विरोध जताएँगे।
  • 10 सितम्बर को दीक्षांत समारोह का विरोध – उसी दिन शिक्षक धरना देंगे और काला दिवस मनाएँगे।

फैसले का असर – शोध का अवसर लगभग खत्म

लुआक्टा का कहना है कि नए अध्यादेश के लागू होने के बाद पूरे प्रदेश के सिर्फ गिने-चुने डिग्री कॉलेज ऐसे होंगे जहाँ के शिक्षकों को शोध का अवसर मिलेगा।

  • यदि 5 जिलों को देखें तो उंगलियों पर गिने जा सकने वाले 1-2 कॉलेज ही पात्र रहेंगे।
  • इससे न केवल शिक्षकों का अकादमिक करियर प्रभावित होगा, बल्कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शोध का दायरा भी सिमट जाएगा।

लविवि की सफाई – यूजीसी नियमों के अनुरूप कदम

  • विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि यह फैसला पूरी तरह यूजीसी की गाइडलाइन के अनुरूप है।
  • स्नातक स्तर तक पढ़ाने वाले कॉलेजों में शोध कार्य की अनुमति गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सीमित की गई है।
  • केवल उन संस्थानों को यह अनुमति होगी जहां पर पर्याप्त संसाधन और पीजी कोर्स रेगुलर मोड में उपलब्ध हों।
  • लुआक्टा का तर्क – अवसर छीनने की साजिश
  • शिक्षक संगठनों का कहना है कि यह निर्णय यूजी शिक्षकों को हाशिए पर धकेलने का प्रयास है।
  • पहले जहां डिग्री कॉलेज के शिक्षक पीएचडी शोध निर्देशन का अवसर पाते थे, अब यह केवल चुनिंदा कॉलेजों तक सीमित हो जाएगा।
  • इससे हजारों शिक्षकों के कैरियर प्रभावित होंगे और छात्र भी अच्छे मार्गदर्शक से वंचित हो जाएंगे।

क्यों बढ़ रहा विरोध

  • अकादमिक ग्रोथ पर रोक – शोध निर्देशन का अवसर न मिलने से शिक्षकों के प्रोन्नति और कैरियर विकास के मौके कम होंगे।
  • संसाधनों की असमानता – अधिकांश डिग्री कॉलेजों में पीजी कोर्स नहीं हैं, ऐसे में वे स्वाभाविक रूप से वंचित रहेंगे।
  • नियंत्रण की नीति का आरोप – लुआक्टा का आरोप है कि यह नीति कॉलेज शिक्षकों पर नियंत्रण बढ़ाने के उद्देश्य से बनाई गई है।

आंदोलन का राजनीतिक असर

इस विवाद में अब राजनीतिक स्वर भी जुड़ गया है। शिक्षक संगठनों के प्रदर्शन को देखते हुए कई बड़े नेताओं को ज्ञापन दिया जाएगा। राजनाथ सिंह, बृजेश पाठक, डॉ. दिनेश शर्मा, रजनी तिवारी और राहुल गांधी जैसे नेताओं के समक्ष यह मामला पहुंचाने की तैयारी है। लुआक्टा का दावा है कि यदि विश्वविद्यालय ने निर्णय वापस नहीं लिया तो आंदोलन और तेज होगा।

 शिक्षा और शोध पर टकराव

  • लखनऊ विश्वविद्यालय और संबद्ध कॉलेजों के शिक्षकों के बीच यह विवाद तेजी से बढ़ता जा रहा है।
  • विश्वविद्यालय का तर्क – गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए यह कदम जरूरी।
  • शिक्षक संगठनों का आरोप – शोध का अधिकार छीनकर शिक्षकों का शैक्षणिक भविष्य खतरे में डाला जा रहा है।
  • आंदोलन का प्रभाव – धरना, ज्ञापन, गिरफ्तारी और काला दिवस के जरिए दबाव बढ़ाने की कोशिश।

आने वाले दिनों में यह मुद्दा उच्च शिक्षा क्षेत्र की सबसे बड़ी बहस बन सकता है। यदि विश्वविद्यालय ने अपने निर्णय पर पुनर्विचार नहीं किया तो 5 सितंबर (काला दिवस) और 10 सितम्बर (दीक्षांत समारोह विरोध) जैसे चरण इस आंदोलन को और उग्र बना सकते हैं।