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Maha Election: ईवीएम में कैद हुआ उत्तर मध्य मुंबई के प्रत्याशियों का भविष्य

ईवीएम ( EVM ) में कैद हुआ प्रत्याशियों का भविष्य ( Future ), नेताओं ( Leaders ) से नाराज दिखे मतदाता ( Voters ), 'पत्रिका' ( PATRIKA ) कैमरे ( Camera ) के सामने लोगों ने निकाली अपनी भड़ास ( Outburst ), उत्तर मध्य ( North Central ) की 6 विधानसभा ( 6 Assembly ) सीटों पर काम रहा मतदान प्रतिशत

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Maha Election: ईवीएम में कैद हुआ उत्तर मध्य मुंबई के प्रत्याशियों का भविष्य

Maha Election: ईवीएम में कैद हुआ उत्तर मध्य मुंबई के प्रत्याशियों का भविष्य

रोहित के. तिवारी

मुंबई. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के 288 सीटों पर सभी प्रत्याशियों के किस्मत अब ईवीएम मशीनमें कैद हो चुकी है। बात करें उत्तर मध्य मुंबई की तो यहां के 6 विधानसभा सीटों पर लगभग 50 प्रतिशत वोटिंग रहा। इन सभी सीटों पर कुल 58 प्रत्याशी खड़े हुए थे। वहीं बात करें वोटिंग प्रतिशत की तो सुबह में जिस तरह से बारिश हो रही थी। कहीं न कहीं लोग अपने घरों से कम ही निकले थे, लेकिन जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया और शाम ढलती गई। लोगों की पोलिंग बूथ पर भीड़ बढ़ती गई, लेकिन इसके बावजूद भी जिस तरह से पूर्व में चुनाव अधिकारी आंकलन कर रहे थे। उस तरह से मतदान नहीं हो सका।

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नोटा का बढ़-चढ़ कर प्रयोग...
विदित हो कि हमने उत्तर माध्य मुंबई के चांदीवली कालीना, कुर्ला, विले पार्ले, बांद्रा पश्चिम समेत बांद्रा पूर्व के सभी विधानसभाओं की ग्राउंड रिपोर्ट पर नजर डालें तो 'पत्रिका' ने पाया कि कहीं मतदाता पूरी तरह से नाराज हैं तो कहीं कट्टर मतदाता ही बड़ी संख्या में मतदान करते नजर आए। इन सभी विधानसभाओं पर लोगों की नाराजगी बड़े स्तर पर देखी जा रही थी, लोगों का कहना है कि नेता आते हैं, जुमला छोड़ते हैं और फिर 5 साल तक जमीनी स्तर पर कहीं नहीं दिखाई देते। इस चुनाव में युवाओं की तुलना में बुजुर्ग एवं महिलाओं की भागीदारी अधिक देखी गई। कुछ मतदाता तो इस तरह से हताश दिखाई दे रहे थे की मानो वे बगैर मन के ही वोट डालने पहुंचे। उनका यह कहना था कि सरकारें कोई भी आएं, लेकिन हमारी परिस्थिति पर कोई ध्यान नहीं देता। वहीं कइयों ने इस मतदान के दौरान नोटा का भी बढ़-चढ़ कर प्रयोग किया है।

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क्षेत्र का होना चाहिए विकास...
चांदीवली के सुनील मोदी ने कहा कि यहां पिछले 20 साल से क्षेत्र का विकास बिल्कुल भी नहीं हुआ है। जहां बरसात में कमर तक पानी भर जाता है तो वहीं ड्रेनेज सिस्टम में मल-मूत्र फंस जाता है। इसके लिए यहां जीना दूभर हो जाता है। इलेक्शन आता है तो नेता वोट मांगने तो चले आते हैं, लेकिन अपने पुराने कार्य को बिल्कुल नहीं देखते हैं। साथ ही अपने मताधिकार का प्रयोग करके निकले कई लोगों का कहना है कि क्षेत्र में अब विकास होना ही चाहिए, अन्यथा यहां के निवासियों को नर्क जैसी जिंदगी जीने को मजबूर होना पड़ेगा।

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चुनाव बाद सब अपने में हो जाते हैं मस्त...
इसके अलावा बांद्रा पश्चिम के मतदान केंद्रों की ओर जब रुख किया गया तो पता चला कि वहां भी उम्मीद की अपेक्षा मतदान केंद्रों पर भीड़ कम हो देखी गई। नाम न छापने को लेकर चुनाव ड्यूटी में तैनात एक अधिकारी ने बताया कि लोकसभा चुनाव की तुलना में विधानसभा चुनाव में मतदाताओं की न तो भीड़ ही ज्यादा नजर आई, जबकि फर्स्ट टाइम विटर्स में भी रोहगार को लेकर उनके चेहरों पर चिंता की छटा सी छाई हुई नजर आई। जबकि यहां के गोरख प्रसाद ने बताया कि हमने लोकतंत्र के विकास के लिए वोट किया है और उम्मीद है कि आने वाले दिनों में योवाओं के लिए रोजगार के अवसर जरूर उपलब्ध होंगे। वहीं विले पार्ले की बात करें तो रवि डांडे कहते हैं कि नेता बस इलेक्शन के दौरान ही नजर आते हैं, जबकि चुनाव जीतने के बाद सब लोगों का विकास भूल अपने में ही मस्त हो जाते हैं।

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निर्मूलन के लिए मत का प्रयोग...
कुर्ला की 75 वर्षीय वर्षा ताई ने कहा की हमारे बेटे की नौकरी चली गई है और हमारा नाती भी बेरोजगार हो गया है और बेरोजगारी के चलते घर का चूल्हा जलना भी अब मुश्किल होता जा रहा है। हमने ऐसा प्रयास किया है कि जिस से आने वाली सरकार हमारे दुखों को समझ सके और कुछ बेहतर प्रयास कर सकें। इसके विपरीत कालीना के एडम जॉय ने बताया कि युवाओं को बढ़-चढ़कर चुनाव करना चाहिए, जिससे हम बेकार सरकार को बदल कर जनता के हित में कार्य करने वाली सरकार को ला सकें तो वहीं बांद्रा पूर्व के रमेश दुबे ने बताया कि जिस तरह से लगातार रोजगार पर प्रश्न खड़ा हो रहा है और भ्रष्टाचार लगातार बढ़ रहा है। हमने इसके निर्मूलन के लिए अपने मत का प्रयोग किया है।

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