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कारगिल, उरी और पुलवामा हमलों के खिलाफ भारतीय सेना ने कौन से हथियार किए थे इस्तेमाल, अब कितनी बढ़ी आर्मी की ताकत

कारगिल से लेकर ऑपरेशन सिंदूर तक भारत की सैन्य रणनीति और हथियार प्रणाली में क्रांतिकारी परिवर्तन आया है। अब भारतीय सेना न केवल आत्मनिर्भर हो रही है बल्कि वैश्विक मानकों पर युद्धक तैयारी के मामले में एक मजबूत ताकत बनकर उभरी है।

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Operation Sindoor: भारत ने पिछले दो दशकों में अपनी सैन्य क्षमताओं को अभूतपूर्व रूप से सशक्त किया है। कारगिल, उरी और पुलवामा जैसे आतंकी हमलों के जवाब में भारतीय सेना ने जहां निर्णायक और साहसी कार्रवाई की। वहीं आधुनिक हथियार प्रणालियों के इस्तेमाल से अपनी रणनीतिक क्षमता का प्रदर्शन भी किया। हालिया ऑपरेशन ‘सिंदूर’ में भी भारतीय सेना ने अत्याधुनिक हथियारों का प्रयोग किया, जो दर्शाता है कि अब भारत किसी भी चुनौती का जवाब पहले से कहीं अधिक तीव्र और सटीक तरीके से देने में सक्षम है।

कारगिल युद्ध (1999) में प्रयोग हुए हथियार

कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने दुर्गम पर्वतीय क्षेत्र में लड़े गए संघर्ष में बोफोर्स 155 मिमी हॉवित्जर तोपों का निर्णायक उपयोग किया। इसके अलावा मिग-21 और मिग-27 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया गया। सेना ने टी-72 टैंकों के साथ-साथ बर्फीले इलाके में उच्च तकनीकी युद्धक उपकरणों का भी सहारा लिया। यह युद्ध भारतीय सेना की पराक्रम और रणनीतिक तैयारी का प्रतीक बन गया।

उरी हमला (2016) और सर्जिकल स्ट्राइक

उरी हमले के बाद भारत ने पहली बार पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की। इसमें पैरा स्पेशल फोर्सेज के कमांडो, नाइट विजन डिवाइसेज, साइलेंसर युक्त असॉल्ट राइफल्स (जैसे टैवोर और M4) और हल्के विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया। यह ऑपरेशन सेना की तेजी, गोपनीयता और मारक क्षमता का प्रमाण था।

पुलवामा हमला (2019) और बालाकोट एयरस्ट्राइक

पुलवामा हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की। इसमें फ्रांस से लिए गए मिराज-2000 विमानों से लेजर गाइडेड बम गिराए गए। इस कार्रवाई ने भारत की सटीक हमला करने की क्षमता को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित किया।

सेना की बढ़ती ताकत: 2020 से 2025 तक

बीते वर्षों में भारत ने फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमान खरीदे, जो स्कैल्प मिसाइल और AASM हैमर बम जैसे एडवांस्ड हथियारों से लैस हैं। रूस से एस-400 ट्रायम्फ वायु रक्षा प्रणाली खरीदी गई है, जो 400 किमी तक की मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम है। अमेरिका से भारत ने MQ-9B प्रेडेटर ड्रोन लिए हैं जो निगरानी और हमला दोनों कर सकते हैं। दक्षिण कोरिया से K9 वज्र-टी हॉवित्जर प्राप्त हुए हैं, वहीं स्वदेशी रूप से विकसित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना में शामिल की गई है।

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ऑपरेशन सिंदूर में इस्तेमाल हुए हथियार

2025 में लॉन्च हुए ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना ने अपनी वायु, जल और थल शक्ति का समन्वित उपयोग किया। इसमें राफेल विमानों से स्कैल्प मिसाइलों और AASM हैमर बम का प्रयोग हुआ। इसके अलावा इज़राइल से प्राप्त स्काईस्ट्राइकर ड्रोन और हेरॉन TP ड्रोन ने दुश्मन की पोजिशन पर सटीक निशाना साधा।

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सैन्य रणनीति और हथियार प्रणाली में क्रांतिकारी परिवर्तन

कारगिल से लेकर ऑपरेशन सिंदूर तक भारत की सैन्य रणनीति और हथियार प्रणाली में क्रांतिकारी परिवर्तन आया है। अब भारतीय सेना न केवल आत्मनिर्भर हो रही है बल्कि वैश्विक मानकों पर युद्धक तैयारी के मामले में एक मजबूत ताकत बनकर उभरी है। सेना की यह बढ़ती ताकत देश की सुरक्षा को अभेद्य बनाती है और दुश्मन के मंसूबों पर करारा जवाब देने में सक्षम है।

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