
डेंस ब्रेस्ट और कैंसर का खतरा: क्यों ज़रूरी है समय पर जांच (फोटो सोर्स: AI image@Gemini)
Dense Breast Cancer Risk : हर साल अक्टूबर का महीना दुनिया भर में स्तन कैंसर जागरूकता के लिए मनाया जाता है। यह कैंसर महिलाओं में सबसे ज्यादा पाया जाने वाला कैंसर है। सिर्फ साल 2022 में ही करीब 23 लाख महिलाओं को स्तन कैंसर हुआ और करीब 6.7 लाख महिलाओं की मौत हुई। सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार अगर हालात ऐसे ही चलते रहे, तो 2050 तक स्तन कैंसर के मामले और मौतें लगभग 40% बढ़ सकती हैं, खासकर उन जगहों पर जहां इलाज और जांच की सुविधाएं कम हैं।
Dense breast का मतलब है कि स्तन में फैट कम और दूध व सपोर्ट वाला टिशू ज्यादा है। इससे जांच (मैमोग्राफी) में गांठ या ट्यूमर पकड़ना थोड़ा मुश्किल हो सकता है।
हमारी छाती (Breast) में तीन तरह का ऊतक (Tissue) होता है –
अब किसी महिला के स्तन में अगर फैट कम हो और ग्लैंड व फाइब्रस टिशू ज्यादा हों, तो उसे Dense Breast कहा जाता है। ये कोई बीमारी नहीं है, बल्कि बहुत आम बात है। 40 साल से ऊपर की लगभग आधी महिलाओं के स्तन Dense होते हैं।
मैमोग्राफी (एक्स-रे जांच) में दिक्कत यह आती है कि Dense टिशू और ट्यूमर दोनों सफेद रंग के दिखते हैं। इसलिए कभी-कभी ट्यूमर Dense Breast में छुप जाता है। इसे ही “Masking Effect” कहा जाता है।
| प्रमुख तथ्य | विवरण |
|---|---|
| वैश्विक मृत्यु | वर्ष 2022 में स्तन कैंसर से अनुमानित 6,70,000 लोगों की मृत्यु हुई। |
| जोखिम कारक | लगभग आधे स्तन कैंसर उन महिलाओं में पाए जाते हैं जिनमें लिंग और उम्र के अलावा कोई विशेष जोखिम कारक नहीं होता। |
| विश्व स्तर पर प्रचलन | वर्ष 2022 में 185 देशों में से 157 देशों में स्तन कैंसर महिलाओं में सबसे आम कैंसर था। |
| सर्वव्यापकता | स्तन कैंसर दुनिया के हर देश में पाया जाता है। |
| पुरुषों में भी प्रचलन | लगभग 0.5%–1% स्तन कैंसर पुरुषों में भी होता है। |
| प्रभावी हस्तक्षेप | बोझ कम करने के लिए प्रारंभिक और समय पर निदान, समग्र उपचार, पुनर्वास और उपशामक देखभाल आवश्यक हैं, जिससे रोगियों की कार्यक्षमता और स्वास्थ्य बनाए रखा जा सके। |
वर्ष 2018 में भारत में अनुमानित 1,62,468 महिलाओं में स्तन कैंसर का पता चला। वर्ष 2018 में भारत में स्तन कैंसर से 87,090 महिलाओं की मृत्यु हुई, जो उस वर्ष दुनिया में दूसरी सबसे अधिक मृत्यु दर थी।
जिन महिलाओं के स्तन ऊतक ज्यादा घने (Dense) होते हैं उनमें स्तन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। अलग-अलग शोध बताते हैं कि ऐसे मामलों में कैंसर का खतरा 4 से 6 गुना तक ज्यादा हो सकता है, तुलना में उन महिलाओं से जिनके स्तन ज्यादा वसायुक्त (fatty) होते हैं।
कुछ अध्ययन ये भी बताते हैं कि कुछ स्तर पर ये खतरा 2 से 3 गुना तक बढ़ सकता है।
लेकिन ध्यान रहे -
आजकल कई जगहों पर जब मैमोग्राम की रिपोर्ट आती है, तो उसमें साफ लिखा जाता है कि आपके स्तन घने हैं या नहीं। इसके लिए मानक श्रेणियां (BI-RADS) का इस्तेमाल होता है, जैसे:
अगर आपकी मैमोग्राम रिपोर्ट में लिखा हो "विषम रूप से सघन" या "अत्यधिक सघन" (यानी BI-RADS कैटेगरी C या D), तो इसका मतलब है कि आपके स्तन घने माने जाते हैं।
क्या आप जानती हैं कि आपके ब्रेस्ट का 'घनत्व' (Density) आपकी मैमोग्राफी रिपोर्ट को प्रभावित कर सकता है?
स्तन कैंसर का पता लगाने के लिए मैमोग्राम (Mammogram) सबसे जरूरी और विश्वसनीय टूल है, लेकिन एक खास स्थिति में यह पूरी तरह सटीक नहीं हो पाता – और वह है 'घना ब्रेस्ट' (Dense Breast)। यह स्थिति लाखों महिलाओं को प्रभावित करती है, पर अक्सर इसकी जानकारी उन्हें नहीं होती। यदि आपकी भी यही स्थिति है, तो चिंता न करें, मैमोग्राम अभी भी जरूरी है पर आपको कुछ और कदम उठाने होंगे।
सामान्य ब्रेस्ट टिश्यूज़ और ट्यूमर (गांठ) मैमोग्राम में अलग-अलग दिखते हैं, जिससे कैंसर को पहचानना आसान हो जाता है। पर घने ब्रेस्ट में दोहरी परेशानी आती है:
घने ब्रेस्ट में ग्लैंडुलर (ग्रंथिल) और फाइब्रस टिश्यूज (रेशेदार ऊतक) की मात्रा अधिक होती है, जो मैमोग्राम पर सफेद रंग के दिखते हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि कैंसर ट्यूमर भी इसी रंग का दिखता है। कल्पना कीजिए कि आप बर्फ से भरी सड़क पर सफ़ेद रंग की कार ढूंढ रहे हैं – कैंसर ट्यूमर घने टिश्यू में छिप जाता है जिसे डॉक्टर की नज़र भी आसानी से नहीं पकड़ पाती।
इस 'मास्किंग' के कारण, घने ब्रेस्ट वाली महिलाओं में मैमोग्राम की कैंसर पकड़ने की क्षमता (सेंसिटिविटी) कम हो जाती है, यानी कैंसर के छूट जाने की संभावना बढ़ जाती है।
यही नहीं, कभी-कभी दो स्क्रीनिंग के बीच ही कैंसर उभर आता है, जिसे 'इंटरवल कैंसर' कहते हैं, क्योंकि पहले की स्क्रीनिंग में वह छिप गया था।
सबसे पहले, घबराएं नहीं मैमोग्राम कराना बंद करना सबसे बड़ी गलती होगी। मैमोग्राम आज भी स्क्रीनिंग का आधार है। आपको बस अपनी डॉक्टर से बात करके 'सप्लीमेंटल स्क्रीनिंग' (अतिरिक्त जांच) पर विचार करना है:
डॉक्टर से बात: अपने ब्रेस्ट के घनत्व की जानकारी लें और पूछें कि आपकी उम्र, पारिवारिक इतिहास और अन्य जोखिम कारकों को देखते हुए आपके लिए क्या सही है।
अतिरिक्त स्क्रीनिंग के विकल्प: डॉक्टर निम्नलिखित जांचों की सलाह दे सकते हैं, जो घने टिश्यूज के अंदर छिपी हुई गांठों को पहचानने में मदद करते हैं:
ब्रेस्ट अल्ट्रासाउंड (Breast Ultrasound): यह ध्वनि तरंगों का उपयोग करके घने टिश्यूज की परतें साफ दिखाता है।
एमआरआई (MRI): यह उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीर देता है, खासकर उच्च जोखिम वाली महिलाओं के लिए।
3D मैमोग्राफी (Tomosynthesis): यह मैमोग्राम की तुलना में ब्रेस्ट की कई परतों की तस्वीरें लेता है, जिससे छिपने की संभावना कम हो जाती है।
सावधान रहें: इन अतिरिक्त जांचों से 'फॉल्स पॉजिटिव' (False Positives) के नतीजे आ सकते हैं, यानी जांच में कुछ असामान्य दिखेगा, पर बाद में वह कैंसर नहीं निकलेगा। इससे थोड़ी चिंता और अनावश्यक प्रक्रियाएं हो सकती हैं, पर कैंसर छूट जाने के जोखिम से यह बेहतर है।
स्क्रीनिंग का समय न चूकें: 40 साल की उम्र से हर साल मैमोग्राम जरूर कराएं। अगर आप उच्च जोखिम वाली श्रेणी में हैं, तो डॉक्टर से पूछकर जल्दी शुरू करें।
स्तन स्वास्थ्य के लिए लाइफ स्टाइल : घनत्व को बदला नहीं जा सकता, पर आप कैंसर के अन्य जोखिमों को नियंत्रित कर सकती हैं:
किसी भी बदलाव पर नजर रखें: ब्रेस्ट में कोई गांठ, निप्पल से डिस्चार्ज (स्राव), या त्वचा में बदलाव दिखने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें।
डिसक्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल जागरूकता के लिए है और यह किसी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी दवा या उपचार को अपनाने से पहले विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह लें।
Published on:
03 Oct 2025 11:53 am
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