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Nepal Protest: बेरोजगारी, महंगाई के साथ ‘बीमार’ स्वास्थ्य व्यवस्था से नेपाल में फूटा Gen Z का गुस्सा, इन बीमारियों से बढ़ा दिमाग पर बोझ

Neapal Protest News: नेपाल में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया के प्रतिबंध के खिलाफ युवा पीढ़ी हिंसक आंदोलन कर रही है। विरोध की वजहों में वहां की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था भी है।

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Nepal Gen Z Protest

नेपाल में हिंसक प्रदर्शन की तस्वीर (Photo: IANS)

Nepal Protest News in Hindi: नेपाल में GenZ Protest के चलते दो दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो गई जबकि वहां करोड़ों की संपत्ति आग के हवाले कर दी गई। हालांकि अभी यह अनुमान नहीं लगाया जा सका है कि 8 और 9 सितंबर को कितना राष्ट्रीय संपत्ति का नुकसान उठाना पड़ा है। नेपाल में असंतोष की वजह केपी शर्मा ओली का कई मोर्चों पर असफल होना है, उनमें से एक मोर्चा जन स्वास्थ्य का भी है।

बेरोजगारी, महंगाई और स्वास्थ्य है विद्रोह की असली वजह

नेपाल में GenZ Protest की दो बड़ी वजहें सामने आई हैं। पहला सरकारी संस्थानों में भ्रष्टाचार और दूसरा सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाया जाना। नेपाल की बड़ी आबादी अभी भी बुनियादी दिक्कतों से जूझ रही है। नेपाल की सामाजिक कार्यकर्ता उषा का कहना है कि नेपाल में विद्रोही की वजहों में बेरोजगारी, महंगाई तो बड़े मुद्दे हैं ही लेकिन यहां की खराब स्वास्थ्य व्यवस्था है। उनका कहना है कि हमारे देश के लोगों को उन बीमारियों से छुटकारा नहीं मिल रहा है जिनसे कई देशों को बहुत पहले आजादी मिल पाई। पानी और प्रदूषित भोजन के चलते नेपाल में लोग मर रहे हैं और बड़ी संख्या में इलाज के चक्कर में लुट रहे हैं।

जापानी बुखार से हर साल होती है कई मौतें

नेपाल में इस साल अब तक जापानी इंसेफेलाइटिस से 23 लोगों की मौत हो चुकी है। यह बीमारी हर साल मानसून के सीजन में अपना पांव पसारती है और हर साल कई लोगों की जान लेकर ही थमती और अगले साल के मानसून में दोबारा प्रकट हो जाती है। इस बुखार से देश के 36 जिले प्रभावित हैं। यह बीमारी मच्छर जनित है। इस साल जापानी बुखार से ज़्यादातर मौतें 15 साल से ऊपर के लोगों की हुई हैं। इसका मतलब है कि मरने वालों में ज्यादातर लोगों को वायरल ब्रेन इंफेक्शन का टीका नहीं लगाया गया था। वर्ष 2005 तक नेपाल चेंगदू वैक्सीन की शुरुआत से पहले इंसेफेलाइटिस से हर साल पूरे देश में 2,000 तक लोग मारे जाते थे। जापानी बुखार से तराई के जिलों बांके, बर्दिया, डांग और कैलाली इलाके में सबसे ज्यादा मौतें होती थीं।

मानसून में हैजा बनता है बड़ी परेशानी

नेपाल में हैजा के मामले भी मानसून सीजन में बहुत बड़ी संख्या में सामने आते हैं। बीते हफ्ते बीरगंज में हैज़ा फैलने से कम से कम चार लोगों की मौत हो गई जबकि अकेले परसा ज़िले में 850 लोग अस्पताल में भर्ती हुए। हैजा विब्रियो कोलेरी नामक बैक्टीरिया के जरिए फैलता है। यह दूषित भोजन या पानी के सेवन से होता है। नेपाल के जाजकोट​ जिले में वर्ष 2009 में हैजा के चलते 500 से ज्यादा मौत हुई थी जबकि 30 हजार मामले सामने आए थे। दुनिया के सबसे गरीब मुल्कों में से एक हैती में 2010 में 10,000 लोग हैजा के चलते मारे गए थे। इस साल वहां हैजा के 8,20,000 मामले दर्ज किए गए थे।

रैबीज के हर साल हजारों मामले आते हैं सामने

नेपाल के महामारी विज्ञान एवं रोग नियंत्रण विभाग के अनुसार, नेपाल में हर साल रेबीज़ से 100 से ज़्यादा लोग मरते हैं। नेपाल में वर्ष 2024 में 1,32,000 से ज़्यादा लोगों को कुत्तों और जंगली जानवरों ने काटा था और इनमें 40 फीसदी बच्चे थे। नेपाल में एक अनुमान के अनुसार 30 लाख कुत्ते हैं। भारत में किए गए एक शोध अध्ययन के अनुसार 12,700 लोगों की मौत रैबीज से हो जाती है।

डेंगू से भी औसतन 100 लोगों की हो जाती है मौत

नेपाल में हर साल डेंगू से औसतन 100 लोगों की मौत हो जाती है। इस साल जनवरी से लेकर अभी तक डेंगू के लगभग 3000 मामले सामने आ चुके हैं। इस बीमारी से सबसे ज्यादा नुकसान गंडकी प्रांत और काठमांडू घाटी में है।

अस्पताल में होने वाली मौतों का बढ़ा प्रतिशत

कैंसर, हृदय और सांस संबंधी बीमारियों और इसके अलावा मधुमेह जैसी गैर संचारी बीमारियों से होने वाली मौतों की संख्या कुल मरीजों का 31.3% से बढ़कर 2019 में 71.1% हो गई थी।

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