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पीडीपी नेता ने दी एक और बंटवारे की धमकी, बंद हो गोहत्या के नाम पर मुसलमानों का कत्ल

Published: Jul 28, 2018 04:18:58 pm

Submitted by:

Chandra Prakash

जम्मू कश्मीर के पीडीपी नेता मुजफ्फर हुसैन बेग ने भी विवादित बयान दिया है। बेग ने गौरक्षा पर बोलते बोलते देश को एक और बंटवारे की धमकी तक दे दी।

Muzaffar Hussain Baig

पीडीपी नेता ने दी एक और बंटवारे की धमकी, बंद हो गोहत्या के नाम पर मुसलमानों का कत्ल

नई दिल्ली। देश के कई हिस्सों में गौ रक्षा के नाम पर मॉब लिंचिंग जैसी घटनाएं लगातार हो रही हैं। खुद सुप्रीम कोर्ट इसे लेकर कई बार केंद्र और राज्य सरकारों को फटकार लगा चुकी है। केंद्र ने भी एक समिति गठित कर ऐसे मामलों की समीक्षा कर रहा है। इन्हीं सब के बीच राजनेताओं के भड़काऊ बयान भी जारी हैं। अब जम्मू कश्मीर के पीडीपी नेता मुजफ्फर हुसैन बेग ने भी विवादित बयान दिया है। बेग ने गौरक्षा पर बोलते बोलते देश को एक और बंटवारे की धमकी तक दे दी।

पहले हो चुका है एक बंटवारा: बेग

जम्मू कश्मीर के बारामूला सीट से जम्मू कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिव पार्टी से सांसद मुजफ्फर हुसैन बेग ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘ गाय और भैंस के नाम पर मुसलमानों को कत्ल बंद करें वरना नतीजे अच्छे नहीं होंगे। 1947 में एक बांटवारा पहले ही हो चुका है।’ जिस कार्यक्रम में बेग ने यह विवादित बयान दिया वहां पीडीपी चीफ और राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती भी शामिल हुई हैं।

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सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों को लगाई थी फटकार

बता दें कि 17 जुलाई को भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या (मॉब लिंचिंग) के मामलों पर रोक लगाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को राज्यों को स्थिति की गंभीरता समझाते हुए सलाह देने और इससे निपटने के लिए कदम उठाने के लिए कहने का निर्देश दिया। न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकारों को निरोधक, सुधारात्मक और दंडात्मक कदम उठाने के लिए गृह विभाग तथा पुलिस की आधिकारिक वेबसाइटों सहित रेडियो, टीवी, अन्य मीडिया प्लेटफॉर्मो पर पीट-पीटकर हत्या करने और सामूहिक हिंसा को बढ़ावा देने की घटनाओं के संबंध में निर्देश जारी करने को कहा कि ये गंभीर अपराध की श्रेणी में गिने जाएंगे।

केंद्र ने गठित की उच्चस्तरीय समिति
इसके बाद केंद्र ने मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए कदम उठाने के संबंध में केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया और चार हफ्ते के अंदर अनुशंसाओं को पेश करने का निर्देश दिया । इस समिति के सदस्य न्याय, कानूनी मामले, सामाजिक न्याय व आधिकारिता विभाग के सचिव होंगे। गृह मंत्रालय के बयान के अनुसार, ‘मॉब लिंचिंग की घटनाओं का सामना करने के लिए उचित कदम उठाने के परिप्रेक्ष्य में सरकार ने एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है और चार हफ्तों के अंदर अनुशंसाओं को पेश करने को कहा है।’ सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिह की अध्यक्षता में मंत्रियों के समूह (जीओएम) का भी गठन किया, जो समिति की अनुशंसाओं को देखेगा।

स्वयंभू रक्षकों पर भी हुई फजीहत

इससे पहले 3 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय ने ही कहा कि यह राज्य की जिम्मेदारी है कि वह स्वयंभू रक्षकों के अपराधों पर लगाम लगाए। शीर्ष अदालत ने कहा कि इन समूहों को कानून को अपने हाथ में नहीं लेने दिया जा सकता। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम.खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने केंद्र और राज्य सरकारों को ऐसे समूहों द्वारा की जा रही हिंसा को रोकने की उनकी जिम्मेदारी को याद दिलाया।

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