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इकलौते न्यूरोलॉजिस्ट ने छोड़ी नौकरी, एक साल में 4 डॉक्टरों ने दिया इस्तीफा, अस्पताल में मचा हड़कंप

CG News: डीकेएस के न्यूरो सर्जरी व प्लास्टिक सर्जरी विभाग में डॉक्टरों की जंबो टीम है। दोनों ही विभागों में 6-6 कंसल्टेंट डॉक्टर हैं।

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इकलौते न्यूरोलॉजिस्ट ने छोड़ी नौकरी (Photo source- Patrika)

इकलौते न्यूरोलॉजिस्ट ने छोड़ी नौकरी (Photo source- Patrika)

CG News: डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में डॉक्टरों की नौकरी छोड़ने का सिलसिला जारी है। अब न्यूरोलॉजी विभाग के इकलौते एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अभिजीत कोहट ने नौकरी छोड़ दी है। बताया जा रहा है कि नियमितीकरण, समय पर प्रमोशन नहीं होने और कम वेतन के कारण डॉक्टरों का मोहभंग हो रहा है। पिछले एक साल में चार डॉक्टरों ने इस्तीफे दिए हैं। इससे आने वाले दिनों में मरीजों का इलाज ठप होने की आशंका है।

डॉ. कोहट करीब 5 साल से सेवाएं दे रहे थे। उनके इस्तीफे का नोटिस पीरियड 28 सितंबर को खत्म हो जाएगा। पत्रिका ने जब डॉ. कोहट से इस्तीफा देने का कारण पूछा तो उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। इतना जरूर कहा कि वे कुछ दिन और अस्पताल में रहेंगे। पिछले साल न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अर्पित अग्रवाल ने इस्तीफा दिया था। इसके बाद डॉ. कोहट अकेले सेवाएं दे रहे थे।

CG News: महत्वपूर्ण विभाग है न्यूरोलॉजी

न्यूरोलॉजी महत्वपूर्ण विभाग है। ब्रेन व नस से जुड़ी बीमारियों के अलावा सडक़ दुर्घटना में गंभीर या अचानक बीमार पड़े लोग जैसे ब्रेन स्ट्रोक, ब्रेन हेमरेज के मरीजों का इलाज होता है। इकलौते डॉक्टर के जाने के बाद मरीजों की समस्या बढ़ जाएगी। हालांकि अस्पताल प्रबंधन वॉक इन इंटरव्यू के माध्यम से न्यूरोलॉजिस्ट नियुक्त करने का प्रयास कर रहा है, लेकिन देखने वाली बात होगी कि कोई ज्वॉइन करता है या नहीं।

गेस्ट्रो सर्जरी विभाग में सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर ही नहीं

CG News: गेस्ट्रो सर्जरी विभाग में एक भी सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं है। पिछले साल एक डॉक्टर अपने मूल निजी अस्पताल में सेवाएं दे रहे हैं। एक डॉक्टर को बर्खास्त किया गया था, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी उनकी बहाली अभी नहीं हुई है। ऐसे में यहां वर्तमान में एमएस जनरल सर्जरी डिग्रीधारी मरीजों का इलाज कर रहे हैं। ये लिवर संबंधी बीमारी का इलाज नहीं कर सकते।

इसलिए कई बार सुपर स्पेशलिटी अस्पताल होते हुए भी हार्निया का ऑपरेशन किया जा रहा है। जबकि यह ऑपरेशन आंबेडकर अस्पताल के जनरल सर्जरी विभाग में होता है।ज्यादा शराब पीने के बाद लोग बीमार पड़ रहे हैं, लेकिन उनके इलाज के लिए एक भी गेस्ट्रोलॉजिस्ट नहीं हैं। पत्रिका ने यह मामला प्रमुखता से उठाया था। इसके बाद डीकेएस प्रबंधन ने सेटअप में इस पद को शामिल किया था। पिछले साल तक गेस्ट्रोलॉजी का एक भी पद नहीं था।

न्यूरो सर्जरी और प्लास्टिक सर्जरी विभाग में जंबो टीम

CG News: डीकेएस के न्यूरो सर्जरी व प्लास्टिक सर्जरी विभाग में डॉक्टरों की जंबो टीम है। दोनों ही विभागों में 6-6 कंसल्टेंट डॉक्टर हैं। पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग में 4 कंसल्टेंट डॉक्टर सेवाएं दे रहे हैं। तीनों ही विभागों में सुपर स्पेशलिटी डिग्री एमसीएच की सीटें हैं।

प्लास्टिक सर्जरी विभाग में सीट एक से बढक़र तीन हो गई है। इससे जूनियर डॉक्टर भी मरीजों के इलाज के लिए उपलब्ध हो जाते हैं। नेफ्रोलॉजी विभाग में केवल एक डॉक्टर है, जो संविदा में है। वे भी एक निजी अस्पताल का संचालन करते हैं। इसलिए कब छोडक़र चला जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता।

नौकरी छोडऩे की मुख्य वजह

नियमितीकरण नहीं
अलग कैडर नहीं
समय पर प्रमोशन नहीं
एनपीए मामले में शपथपत्र
निजी अस्पतालों से कम वेतन

एक साल में नौकरी छोडऩे वाले डॉक्टर

डॉ. अभिजीत कोहट, एसोसिएट प्रोफेसर न्यूरोलॉजी
डॉ. सुरेश ङ्क्षसह, एसोसिएट प्रोफेसर यूरो सर्जरी
डॉ. राजेश अग्रवाल, असिस्टेंट प्रोफेसर यूरो सर्जरी
डॉ. अर्पित अग्रवाल, असिस्टेंट प्रोफेसर न्यूरोलॉजी
डॉ. रोहित मिश्रा, एसोसिएट प्रोफेसर गेस्ट्रो सर्जरी

डॉ. हेमंत शर्मा, उप अधीक्षक, डीकेएस अस्पताल: न्यूरोलॉजिस्ट ने इस्तीफे का नोटिस दिया है। इसलिए खाली पदों को भरने के लिए वॉक इन इंटरव्यू किया जा रहा है।

प्रदेश में नियमित डॉक्टरों से ज्यादा वेतन संविदा का

प्रदेश में सुपर स्पेशलिटी के संविदा डॉक्टरों को नियमित डॉक्टरों से ज्यादा वेतन मिल रहा है। नियमित डॉक्टरों को जहां 1.15 से 1.75 लाख वेतन मिल रहा है। इसमें नॉन प्रेक्टिस अलाउंस शामिल नहीं है। वहीं संविदा डॉक्टरों को डेढ़ से तीन लाख वेतन हर माह दिया जा रहा है। वहीं अनुसूचित क्षेत्र में 1.80 से 3.30 लाख वेतन दिया जा रहा है। नियमित डॉक्टर पिछले तीन साल से वेतन बढ़ाने व अलग कैडर बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी कोई भी मांग पूरी नहीं हुई है।