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<strong>कौन थी आरुषि तलवार?</strong> आरुषि तलवार का जन्म 24 मई 1994 को दिल्ली नोएडा में हुआ। आरुषि तलवार के पिता का नाम डॉ. राजेश तलवार और माता का नाम डॉ. नुपूर तलवार है। आरुषि तलवार के माता-पिता दोनों पेशे से डेंटिस्&zwj;ट थे। आरुषि तलवार अपने मां-बाप की इकलौती बेटी थी। आरुषि तलवार दिल्ली पब्लिक स्कूल की नौवीं की छात्रा थी। आरुषि को पढ़ाई के अलावा संगीत, नृत्य और ट्रैवलिंग का भी काफी शौख था। जिसका 16 मई 2008 की रात उनके नोएडा के सेक्&zwj;टर-25 स्थित जलवायु विहार घर में हत्या कर दी गई थी। 9 साल के बाद भी इस इस मिस्ट्री मर्डर के का खुलासा नहीं हो पाया है। <strong>कौन था हेमराज</strong> हेमराज का पूरा नाम याम प्रसाद बंजजादे था। ये तलवार फैमली का केयर-टेकर और कुक भी था। ये नेपाल के एक छोटे से गांव का रहने वाला था। <strong>आरुषि और हेमराज की हत्या कब हुई?</strong> बहुचर्चित आरुषि और हेमराज हत्या कांड में मर्डर केस जो देश की सबसे बड़ी मिस्ट्री केस में से एक है। नोएडा के सेक्&zwj;टर-25 स्थित जलवायु विहार में डेंटिस्&zwj;ट डॉ. राजेश तलवार और डॉ. नुपूर तलवार अपनी 14 साल की बेटी आरुषि तलवार के साथ रहते थे। आरुषि नौवीं की छात्रा थी। 16 मई 2008 की रात को उनके घर में आरुषि का मर्डर हो गया। पहले तो शक उनके नौकर हेमराज पर गया, पर बाद में उसका शव भी छत से मिला। इस मर्डर केस पर किताब लिखी गई, फिल्म बनाई गई लेकिन हत्या की गुत्थी नहीं सुलझ पाई। <strong>क्या था आरुषि और हेमराज के बीच रिश्ता..&nbsp; </strong> खबरों की मानें तो आरुषि तलवार और नौकर हेमराज के बीच गलत संबंध थे। हालांकि, इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं है। <strong>मामले में सीबीआई ने दी थी ये थ्योरी... </strong> परिस्थितिजन्य साक्ष्य और फॉरेंसिक जांच के आधार पर सीबीआई आरुषि के मां-बाप तलवार दंपति को ही अपनी बेटी का कातिल मानती है। सीबीआई ने हाईकोर्ट को बताया कि ऐसा नहीं है कि उसके पास आरुषि के पिता राजेश तलवार और नूपुर तलवार के खिलाफ सबूत नहीं हैं लेकिन जितने सबूत हैं वो उन्हें कातिल साबित करने के लिए काफी नहीं हैं। सीबीआई ने कोर्ट के सामने परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार कत्ल की रात की परिकल्पना पेश की थी । इस परिकल्पना में सीबीआई ने बताया है कि आरुषि और हेमराज के नजदीकी रिश्ते को देखकर गुस्से में तलवार दंपति ने इस हत्याकांड को अंजाम दिया होगा। हाईकोर्ट में दाखिल सीबीआई की रिपोर्ट की मानें तो कत्ल की सबसे खास वजह हो सकती है आरुषि और घर के नौकर हेमराज के बीच करीबी रिश्ता। सीबीआई के मुताबिक उस रात शायद दोनों के नजदीकी रिश्ते को राजेश तलवार ने देख लिया होगा और गुस्से में उन्होंने हेमराज और आरुषि की हत्या कर दी। सीबीआई रिपोर्ट के मुताबिक उसने केस की गहन जांच की और कत्ल किसने किया इसमें तीन संभावनाएं तलाशी और तब जाकल तलवार दंपति को दोषी करार दिया। &nbsp;<strong>इस हत्याकांड की जानें पूरी टाइम लाइन, कब क्या-क्या हुआ।</strong> <strong>साल 2008</strong>मई 16 : आरुषि तलवार का नोएडा के घर के बेडरूम में लाश मिली। शव का गला कटा हुआ था। हत्या का शक नौकर हेमराज पर गया।मई 17 : अगले दिन नौकर हेमराज की लाश तलवार के घर के छत से बरामद हुई।मई 23 : आरुषि के पिता डॉ राजेश तलवार को नोएडा पुलिस ने आरुषि और हेमराज की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया।जून 1 : सीबीआई को इस केस की जांच सौंपी गई।जून 13 : डॉ राजेश तलवार के कम्पाउंडर कृष्णा को इस मामले में सीबीआई ने गिरफ्तार किया। तलवार के दोस्त दुर्रानी के नौकर राजकुमार और तलवार के पड़ोसी के नौकर विजय मंडल को भी बाद में गिरफ्तार किया। सीबीआई ने तीनों को दोहरे हत्याकांड का आरोपी बनाया।जुलाई 12 : इधर राजेश तलवार को गाजियाबाद की डासना जेल से जमानत पर रिहा किया गया। सितंबर 12 : कुछ महीनों बाद कृष्णा, राजकुमार और विजय मंडल को लोअर कोर्ट से जमानत मिल गई. सीबीआई 90 दिनों तक चार्जशीट फाइल नहीं कर सकी थी। <strong>साल 2009</strong>, 10 सितंबर को इस हत्याकांड की जांच के लिए सीबीआई की दूसरी टीम बनाई गई। <strong>साल 2010,</strong> 29 दिसंबर को सीबीआई ने आरुषि हत्याकांड में अदालत में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी। <strong>साल 2011</strong> जनवरी 25 : राजेश तलवार ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ लोअर कोर्ट में पिटीशन दर्ज की।फरवरी 9 : लोअर कोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दी और आरुषि के मां-बाप, राजेश और नुपुर तलवार को हत्या का दोषी माना।फरवरी 21 : डॉ राजेश और नुपुर तलवार ट्राइल कोर्ट के समन को रद्द करवाने हाइकोर्ट गए।मार्च 18 : हाईकोर्ट ने समन रद्द करने की तलवार की अपील को खारिज की और उन पर कार्यवाही शुरू करने को कहा।मार्च 19 : तलवार दंपति सुप्रीम कोर्ट गए, जिसने उनके खिलाफ ट्राइल को स्टे कर दिया। <strong>साल 2012</strong>जनवरी 6 : सुप्रीम कोर्ट ने तलवार दंपति की अर्जी को खारिज करते हुए ट्राइल शुरू करने की परमिशन दी।जून 11 : गाजियाबाद में विशेष सीबीआई जज एस लाल के सामने ट्राइल शुरू हुआ। <strong>साल 2013</strong>अक्टूबर 10 : कोर्ट में फाइनल बहस हुआ। नवंबर 25 : फाइनल सुनवाई के बाद तलवार दंपति को गाजियाबाद की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने दोषी पाया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई। <strong>साल 2014</strong>जनवरी : तलवार दंपत्ति ने लोअर कोर्ट के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। <strong>साल 2017</strong>जनवरी 11 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलवार दंपति की अपील पर फैसला सुरक्षित किया।अगस्त 01 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि तलवार की अपील दुबारा सुनेंगे क्योंकि सीबीआई के दावों में विरोधाभास हैं।सितंबर 08 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरुषि हत्याकांड में फैसला सुरक्षित किया।अक्टूबर 12 : इलाहाबाद हाईकोर्ट में आरुषि हत्याकांड पर सजा काट रहे राजेश और नूपुर तलवार को सबूतों के अभाव में रिहा कर दिया। अक्टूबर13: गाजियाबाद के डासना जेल में सजा काट रहे राजेश और नूपुर तलवार को रिहा होना था लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट से स्टिफाइएड कॉपी नहीं मिली वजह से इनकी रिहाई टल गई है। खबरों की मानें तो अब इनको 16 अक्टूबर को बरी किया जाएगा। <strong>इस केस की जांच में क्या-क्या रह गई कमी या कहां अटका मामला</strong> - CBI की दूसरी टीम तलवार दंपति को बिल्कुल पसंद नहीं करती थी। एजीएल कौल नुपूर तलवार को पसंद नहीं करते थे। इसकी वजह नुपूर का निडर होना था। वो बिना किसी दबाव में आए अपनी बात रखती थी। इसी बात को लेकर नुपूर और उनके पिता की कौल के साथ कई बार बहस भी हो चुकी थी। - तलवार फैमली के इस रवैये की वजह से कौल ने सीबीआई की पहली टीम की सारी थ्योरी को गलत कह पलट कर रख दिया था। - सीबीआई की दूसरी टीम के जांच अधिकारी एजीएल कौल लगातार सीबीआई की ओडीआई लिस्ट में थे। इनकी ईमानदारी पर संस्था को संदेह रहता था। - हेमराज का फोन किसने उठाया। वह पंजाब कैसे पहुंचा। इस मामले की जांच तो की ही नहीं गई। - अगर किताब की मानें तो गांधीनगर एफएसएल लैब के उपनिदेशक एमएस दहिया ने ही साबरमति एक्सप्रेस में लगी या लगाई गई आग की जांच की थी। उन्होंने थ्योरी दी थी कि ट्रेन में आग बाहर से नहीं भीतर से किसी ने लगाई थी। यहांं उन्होंने पुरानी थ्योरी को पलट दिया था। ठीक इसी तरह दहिया ने आरुषि केस की पहली थ्योरी भी पलट कर रख दी। दहिया केस में दोबारा से सेक्स एंगल ले आए थे। - राजेश और नुपूर तलवार का ब्रेन मैपिंग और पॉलीग्राफिक टेस्ट करने वाले डॉ. वाया का कहना था कि इस टेस्ट कोई संकेत नहीं मिला जिससे लगता हो कि राजेश और नुपूर तलवार आरुषि या हेमराज के मर्डर में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संबंध रखते हो। वहीं दूसरी तरफ डॉ. वाया के मुताबिक नौकरों पर किए गए टेस्ट से साफ साबित होता है कि वो इस घटना में शामिल थे। लेकिन फिर भी सीबीआई की दूसरी टीम ने नौकरों से कोई खास पूछताछ नहीं की। - आरुषि की शव की जांच करने वाले दोनों डॉक्टर डॉ. दोहरे और डॉ. नरेश राज ने पहले कहा कि आरुषि के प्राइवेट पार्ट में कुछ भी असामान्य नहीं मिला था। लेकिन जैसे ही जांच कौल के हाथों में गई दोनों अपने बयान से पलटते दिखें। - डॉ. दोहरे और डॉ. नरेश ने यह भी कहा था कि हत्या खुखरी से की गई हो लेकिन खुखरी कृष्णा के कमरे से बरामद होने के बावजूद इसकी जांच को आने फॉलो नहीं किया गया। - सबसे हैरानी वाली जो बात तो ये पता चली कि आरुषि की लाश का पोस्टमॉर्टम करने से पहले डॉ. दोहरे ने कभी किसी महिला या युवती के शरीर का पोस्टमार्टम नहीं किया था। उन्हें किसी भी तरह की पोस्टमार्टम अनुभव नहीं किया था। - दहिया की मानें तो आरुषि और हेमराज की हत्या एक कमरे में हुई, लेकिन हत्यारा ने हेमराज का खून साफ किया और आरुषि का नहीं। ये एक बड़ा सवाल है। - इस केस के लिए सीबीआई ने एक अवैध तरीके से जीमेल पर एक आईडी बनाई थी। जो ये है hemraj.jalvayuvihar@gmail.com. &nbsp;



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