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<strong>निपाह वायरस</strong> (NiV) तेजी से उभरता हुआ वायरस है। इसकी वजह से इंसानों और जानवरों में गंभीर बीमारी हो जाती है।1998 में सबसे पहले मलेशिया के कंपंग सुंगाई निपाह से इसकी जानकारी मिली। इसी के चलते वायरस को निपाह नाम भी मिला। पहले इस वायरस को फैलाने का जरिया सुअर बनते थे। लेकिन 2004 में बांग्लादेश में फ्रूट बैट (फल खाने वाले चमगादड़) के जरिये यह वायरस फैल गया। भारत के अस्पतालों में यह एक इंसान से दूसरे इंसान तक भी पहुंच गया। अभी तक इस वायरस से बचाव के लिए कोई दवा-इंजेक्शन नहीं बना है। यह वायरस दिमाग को नुकसान पहुंचाता है और इसका संक्रमण इंसेफलाइटिस से जुड़ा है। भारत में कब फैला इसका आतंक&mdash; <strong>जनवरी-फरवरी 2001, सिलीगुड़ी (पश्चिम बंगाल)</strong>मामलेः 66मौतः 45 68 फीसदी मामले मौत में तब्दील। <strong>अप्रैल 2007, नाडिया (पश्चिम बंगाल)</strong>मामलेः 5मौतः 5मौत की दरः 100 <strong>कैसे फैलता है यह वायरस</strong> प्राकृतिक संवाहकफ्रूट बैट इंसानों में NiV से पीड़ित होने की वजह संक्रमित सुअर और चमगादड़ के सीधे संपर्क में आना होता है। अक्सर फलों की बहार रहती है- खजूर, केला, आम आदि। केरल में निपाह वायरस ने तबाही मचा रखा है। केरल से आने वाले हर ट्रेन के यात्रियों का मेडिकल चेकअप हो रहा है। केरल से आने वाले फल खजूर और नारियल बचने की सलाह दी जा रही है। इसके अलावा आम और केला खाने से बचने के लिए डॉक्टर कह रहे हैं। हमें भी इन चीज़ों को खाने से कुछ वक्त तक परहेज़ करना चाहिए।





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