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सोना 5000 डॉलर तक चमकेगा: एलबीएमए का अनुमान, भारत-पाकिस्तान में कीमतें आसमान छू रहीं!

Gold Price Surge: एलबीएमए के अनुसार अगले 12 महीनों में सोने की कीमत 4,980 डॉलर (करीब 4 लाख 26 हजार रुपये) प्रति औंस तक पहुंच सकती है।

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भारत

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MI Zahir

Oct 29, 2025

Gold Price Surge: जापान के क्योटो में लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (LBMA) की सालाना मीटिंग में एक्सपर्ट्स ने बड़ा अनुमान लगाया है। आने वाले 12 महीनों में सोने की कीमत 4,980 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस तक पहुंच सकती है। ये मौजूदा 3,950 डॉलर के स्तर से करीब 27% ज्यादा है। 2025 में अब तक सोने ने 52% की शानदार बढ़त दिखाई है, जो 1979 के बाद की सबसे तेज रफ्तार है। वहीं मार्च में 3,000 डॉलर और अक्टूबर में 4,000 डॉलर के मनोवैज्ञानिक स्तर तोड़ने के बाद 20 अक्टूबर को रिकॉर्ड 4,381 डॉलर तक (Gold Price Surge) पहुंचा। वजह? राजनीतिक तनाव, अमेरिकी टैरिफ की अनिश्चितता और FOMO (बढ़त से चूकने का डर)। एलबीएमए (LBMA) के सर्वे में दुनिया भर के प्रतिनिधियों ने ये भविष्यवाणी की। रॉयटर्स के हालिया सर्वे से तुलना करें तो 2026 के लिए औसत 4,275 डॉलर का अनुमान है। आर्थिक हलचल और भू-राजनीतिक जोखिम सोने को चमका रहे हैं।

एशिया में सोने की कीमतें: भारत सबसे सस्ता, पाकिस्तान महंगा

बांग्लादेश में अगले साल सोना 2,20,706 टका प्रति तोला तक पहुंच सकता है। पाकिस्तान में अभी 3.7 लाख PKR प्रति तोला है, जो सबसे ऊंचा। भारत में 1.2 लाख INR प्रति तोला (10 ग्राम के हिसाब से करीब 1,18,000) – ये यहां निवेशकों के लिए अच्छी खबर। चीन में फिलहाल 1,25,400 INR (करीब 922 CNY प्रति ग्राम) के बराबर। ये आंकड़े मौजूदा बाजार दरों पर आधारित हैं, जहां वैश्विक उथल-पुथल ने सभी देशों में कीमतें बढ़ाई हैं।

चांदी-प्लेटिनम भी चमकेंगे, आपूर्ति की कमी बनी वजह

एलबीएमए सर्वे में चांदी की कीमत 46 डॉलर से बढ़कर 59 डॉलर प्रति औंस हो सकती है। 2025 में चांदी ने 62% की उछाल मारी, जो 2010 के बाद सबसे ज्यादा। 17 अक्टूबर को 54.5 डॉलर का रिकॉर्ड। मजबूत निवेश, लंदन में कम सप्लाई और भारत की बढ़ी मांग ने ये संभव किया। प्लेटिनम 1,544 से 1,816 डॉलर और पैलेडियम 1,364 से 1,709 डॉलर तक जा सकता है। खदानों में कमी और US टैरिफ चिंता से इनकी कीमतें 76% और 54% बढ़ीं, जिससे स्टॉक से निकासी बढ़ी।

बांग्लादेश में स्टील का नया दौर: अबुल खैर ग्रुप ने रिकॉर्ड मिल खोली

इस बीच बांग्लादेश में अबुल खैर स्टील (AKS) ने नई रिबार रोलिंग मिल शुरू की। चटगांव के सीताकुंडा में बनी ये मिल सालाना 16 लाख टन इस्पात पैदा करेगी, कुल क्षमता 30 लाख टन हो गई। अब AKS देश का सबसे बड़ा स्टील प्रोड्यूसर बन गया, BSRM (24 लाख टन) को पीछे छोड़ते हुए। जर्मन कंपनी SMS ग्रुप ने बनाई ये मिल, जो 'विश्व रिकॉर्ड रोलिंग स्पीड' हासिल कर चुकी है।

नई मिल से रोजगार और अर्थव्यवस्था को बूस्ट

नई सुविधा से 3,000 नई नौकरियां पैदा हुईं। बांग्लादेश की कुल स्टील क्षमता अब 1.36 करोड़ टन पहुंची। ग्रुप के कॉर्पोरेट हेड शेख शबाब अहमद ने कहा, "ये बुनियादी ढांचे के विकास में हमारा योगदान है।" आयात कम होगा, चटगांव की सप्लाई चेन मजबूत बनेगी। हालांकि सरकार का इंफ्रा निवेश कम है और कंस्ट्रक्शन मंदी में है, लेकिन ये मिल सस्टेनेबल ग्रोथ लाएगी।

भारत के लिए क्या मतलब ?

बहरहाल भारत में सोने की बढ़ती कीमतें ज्वैलरी सेक्टर को फायदा देंगी, लेकिन स्टील जैसे इंडस्ट्री में भी वैश्विक प्रभाव। AKS जैसी पहल भारत के टाटा स्टील को प्रेरणा दे सकती है। निवेशक सतर्क रहें – सोना सुरक्षित, लेकिन उतार-चढ़ाव संभव है।

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