Ashadha Gupt Navratri 2025: साल में 4 बार नवरात्रि मनाई जाती है, इसमें से 2 नवरात्रि प्रत्यक्ष और दो अप्रत्यक्ष यानी गुप्त नवरात्रि होती है। प्रत्यक्ष नवरात्रि यानी चैत्र और शारदीय नवरात्रि मुख्यतः गृहस्थ सेलिब्रेट करते हैं, जबकि अप्रत्यक्ष या गुप्त नवरात्रि यानी माघ और आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि में तंत्र साधक और विशेष उपासक शक्ति उपासना करते हैं। हालांकि दूसरे लोगों के पूजा-उपासना पर रोक नहीं है।
वैसे तो सभी नवरात्रि में पूजा विधान और अनुष्ठान समान ही है, बस प्रत्यक्ष नवरात्रि में मां पार्वती के 9 स्वरूप की आराधना की जाती है और गुप्त नवरात्रि में मां की दस महाविद्या की, जिसकी शुरुआत मां के आवाहन यानी शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना से होती है।
खास बात ये है कि इस साल 2025 की तीसरी नवरात्रि जून महीने के आखिर में शुभ योग में शुरू हो रही है। इसकी कलश स्थापना ब्रह्म मुहूर्त में करने का समय है, लेकिन किसी कारणवश भक्त मां की घट स्थापना से चूक जाएं तो निराश होने की जरूरत नहीं है। वे अभिजित मुहूर्त में कलश स्थापना कर सकते हैं। आइये जानते हैं आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2025 की डेट, शुभ योग और कलश स्थापना का मुहूर्त क्या है।
नाम के अनुसार ही आषाढ़ नवरात्रि की शुरुआत आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि (पहली तिथि) से होती है। आइये जानते हैं कब है आषाढ़ गुप्त नवरात्रि
आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा तिथि प्रारंभः बुधवार, 25 जून 2025 को शाम 04:00 बजे
प्रतिपदा तिथि समापनः गुरुवार 26 जून 2025 को दोपहर 01:24 बजे
उदया तिथि में आषाढ़ गुप्त नवरात्रिः गुरुवार, 26 जून 2025 को
प्रतिपदा तिथि में घट स्थापना यानी मां के आवाहन से ही नवरात्रि का अनुष्ठान शुरू होता है। इस साल घट स्थापना का शुभ मुहूर्त द्वि स्वभाव वाले मिथुन लग्न के दौरान है। आइये जानते हैं कब होगी आषाढ़ नवरात्रि की घट स्थापना और चूक जाने पर किस समय कर सकते हैं माता का आवाहन
मिथुन लग्न प्रारंभः 26 जून 2025 को सुबह 04:33 बजे
मिथुन लग्न समापनः 26 जून 2025 को सुबह 06:05 बजे तक
कलश स्थापना मुहूर्तः सुबह 4.33 बजे से 6.05 बजे तक (कुल 1 घंटा 32 मिनट की अवधि)
ब्रह्म मुहूर्तः 26 जून को सुबह 04:14 बजे से 04:54 बजे तक
प्रातः संध्या का समयः सुबह 04:34 बजे से 05:35 बजे तक
घटस्थापना अभिजित मुहूर्तः सुबह 10:58 बजे से 11:53 बजे तक
अवधिः 00 घण्टे 55 मिनट
ध्रुव योगः रात 11:40 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योगः सुबह 08:46 बजे से 27 जून को सुबह 05:35 बजे तक
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार गुप्त नवरात्रि में भी वही अनुष्ठान किए जाते हैं, जो दूसरी नवरात्रि के समय। लेकिन किसी भी स्थिति में कलश स्थापना शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए।
मान्यता है कि अशुभ समय में घटस्थापना करने से देवी शक्ति का प्रकोप हो सकता है। इसके लिए अमावस्या और रात्रिकाल में घटस्थापना करना निषिद्ध है। वहीं प्रतिपदा तिथि के दिन का पहला एक तिहायी भाग घटस्थापना के लिए सर्वाधिक शुभ समय माना जाता है। यदि किसी कारणवश यह समय उपलब्ध न हो तो अभिजित मुहूर्त में भी घटस्थापना की जा सकती है।
घटस्थापना के समय चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग को टालना चाहिए, लेकिन यह निषिद्ध नहीं है। लेकिन किसी भी स्थिति में सूर्योदय के बाद 16 घटी और मध्याह्न से पूर्व प्रतिपदा के समय घटस्थापना पूरी कर लेनी चाहिए।
Updated on:
25 Jun 2025 05:36 pm
Published on:
08 Jun 2025 12:21 pm