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लौटाई जाएगी जमा की गई रकम
बता दें कि, इस बार मुकद्दस हज की शुरुआत मंगलवार, 28 जुलाई की शाम से होकर रविवार 2 अगस्त तक होगी। इस बार हज करने की अनुमति होती तो, प्रदेश से इस मुकद्दस यात्रा पर जाने वालों का सिलसिला 25 जुलाई से शुरु होता। इसके बाद हज मुकम्मल करके प्रदेश के सभी हाजी 5 अगस्त तक अपने घरों को लौट आते। अनुमान है कि, पिछली बार की तरह करीब 8 हज़ार लोग मध्य प्रदेश से हज यात्रा के लिए रवाना होते। बता दें कि, जिन हाजियों का नाम हज पर जाने के लिए कुरे में सामने आया था, उन्होंने हज की रकम भी हज कमेटी को जमा कर दी थी। फिलहाल, उनकी जमा की गई रकम लौटा दी जाएगी।
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सऊदी अरब के लिए बड़े मेले जैसा होता हज
वैसे तो हज यात्रा एक धार्मिक कर्तव्य है, जो हर मालदार मुसलमान पर फर्ज (जरूरी) है। इसके साथ ही हर मुसलमान अपने जीवन में कम से कम एक बार तो जरूर इस मुकद्दस सफर पर जाने की चाहत रखता है। यही कारण है कि, यहां हर साल दुनियाभर से लाखों की संख्या में लोग हज करने पहुंचते हैं। इससे सऊदी हुकूमत को भी बड़ा मुताफा होता है।वहां लाखों की संख्या में लोगों के इकट्ठा होने के कारण अरब खास तौर से हज के दिनों में दुनिया का सबसे बड़ा व्यापारिक हंट बन जाता है। अरब सरकार को इससे बड़ा मुनाफा होता है। हलांकि, इस साल इन विदेशी नागरिकों के हज पर न जाने के चलते सऊदी अरब को इस बार ये मुनाफा नहीं हो सकेगा। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, हज और सालभर चलने वाले उमरा से अरब सरकार को सालाना 1200 करोड़ डॉलर की आमदनी होती है।
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लॉकडाउन ने डाला आर्थिक गतिविधियों पर असर
कोरोनावायरस पर नियंत्रण के लिए सऊदी सरकार की ओर से भी कई हिस्सों में लॉकडाउन किया गया था जिससे सरकार को आर्थिक नुकसान हुआ है। उम्मीद थी कि हजयात्रा से इसकी भरपाई हो जाएगी मगर अब उस पर भी ग्रहण लग गया है। वायरस के प्रसार को धीमा करने के लिए राज्य की ओर से फरवरी में मक्का और मदीना में पवित्र स्थलों को बंद कर दिया गया। अप्रैल में एक सऊदी अधिकारी ने संकेत दिये थे कि, इस साल हज के मन बनाने वाले लोग अपनी यात्रा रद्द कर दें। अब सऊदी सरकार की ओर से इसकी पुष्टि किये जाने के बाद लोगों को निराश हुई है। ऐसे में जिन मुसलमानों ने यात्रा के लिए वर्षों की बचत कर यात्रा के लिए राशि जमा की थी, उन्हें अब अगले साल तक इंतजार करना होगा।