
फोटो सोर्स : Google : लखनऊ राजस्व विभाग
UP Revenue Court Lucknow Tops Disposal: उत्तर प्रदेश में राजस्व मामलों के निस्तारण को लेकर इस बार उल्लेखनीय प्रगति देखने को मिली है। प्रदेशभर में चल रही राजस्व न्यायालय कंप्यूटरीकृत प्रबंधन प्रणाली (RCCMS) की रिपोर्ट के अनुसार मई माह में राजस्व विवादों के त्वरित और प्रभावी निस्तारण के मामले में लखनऊ ने प्रदेश में पहला स्थान हासिल किया है। वहीं जिला स्तरीय न्यायालयों में लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए जौनपुर ने एक बार फिर बाजी मार ली है। इस उपलब्धि ने न सिर्फ प्रदेश की प्रशासनिक दक्षता को रेखांकित किया है, बल्कि यह भी साबित किया है कि यदि सही निगरानी, लक्ष्य निर्धारण और तकनीकी व्यवस्था लागू की जाए तो लंबित राजस्व मामलों का त्वरित निस्तारण संभव है।
राजस्व न्यायालय कंप्यूटरीकृत प्रबंधन प्रणाली (RCCMS) की रिपोर्ट के अनुसार मई 2025 में उत्तर प्रदेश में कुल 3,20,719 राजस्व मामलों का निस्तारण किया गया, जो कि एक सराहनीय आंकड़ा है। इसमें से:
जौनपुर प्रशासन ने न्यायालयीय मानकों को पीछे छोड़ते हुए शानदार प्रदर्शन किया है। डीएम डॉ. दिनेश चंद्र सिंह के अनुसार, जिले की पांच राजस्व न्यायालयों ने निर्धारित 250 मामलों के मासिक मानक के मुकाबले 563 मामलों का निस्तारण किया, यानी 225.20% की उपलब्धि। यह सिर्फ आँकड़े नहीं, बल्कि जमीनी प्रशासनिक संकल्प का प्रमाण हैं।
इस सफलता के पीछे RCCMS (राजस्व न्यायालय कंप्यूटरीकृत प्रबंधन प्रणाली) की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण रही। अब राजस्व वादों की फाइलों को डिजिटल रूप में दर्ज किया जा रहा है, जिससे न केवल ट्रैकिंग आसान हुई है, बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही भी बढ़ी है। साथ ही, जिलाधिकारियों और अपर जिलाधिकारियों को स्पष्ट लक्ष्य दिए गए हैं, और उनकी नियमित मॉनिटरिंग की जा रही है।
इन आंकड़ों और उपलब्धियों से साफ है कि प्रदेश सरकार राजस्व से जुड़ी समस्याओं को गंभीरता से ले रही है। यह आम नागरिकों के लिए राहत की बात है क्योंकि भूमि विवाद, दाखिल-खारिज, म्यूटेशन जैसी समस्याएं आमतौर पर वर्षों तक लंबित रहती थीं। अब इनका समयबद्ध निस्तारण हो रहा है।
मई माह की यह रिपोर्ट केवल आंकड़ों का लेखा-जोखा नहीं, बल्कि "बदलते उत्तर प्रदेश" की प्रशासनिक तस्वीर है। अब लखनऊ से लेकर जौनपुर तक और अयोध्या से मऊ तक प्रशासनिक अमला सक्रिय है और आम नागरिकों को त्वरित न्याय उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। यदि यही रफ्तार और पारदर्शिता बनी रही, तो आने वाले समय में राजस्व न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या में भारी गिरावट देखी जा सकती है।
Published on:
03 Jun 2025 07:58 am
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