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भारत और पाकिस्तान की डिफेंस स्ट्रैंथ, विदेशों से कौन कितना खरीदता है हथियार

भारत का रक्षा उद्योग में तेजी से विकास हो रहा है। इसका श्रेय मोदी सरकार की मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहल को जाता है। वहीं पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का रक्षा उद्योग भारत की तुलना में काफी कम है।

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Defence strength of India and Pakistan: भारत और पाकिस्तान, दोनों देशों की रक्षा रणनीति लगातार विकासशील है, लेकिन जहां भारत आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से अग्रसर है, वहीं पाकिस्तान अब भी विदेशी सहयोग और आयात पर भारी निर्भर है। हालिया आंकड़े और घटनाक्रम इस अंतर को और स्पष्ट करते हैं।

भारत का रक्षा उद्योग: आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर

भारत का रक्षा उद्योग हाल के वर्षों में 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' जैसी सरकारी पहलों के कारण तीव्र गति से विकसित हुआ है। सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं जैसे DRDO, HAL, BEL के साथ-साथ टाटा, महिंद्रा और अडानी डिफेंस जैसी निजी कंपनियों ने भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता को मजबूत किया है।

भारत ने ब्रह्मोस, अग्नि और आकाश जैसी मिसाइलों, तेजस लड़ाकू विमान, अर्जुन टैंक, INS विक्रांत और उन्नत ड्रोनों का स्वदेशी विकास किया है। वर्ष 2024-25 में भारत ने 80 से अधिक देशों को रक्षा उपकरण निर्यात किए हैं, जिसमें मिसाइलें, निगरानी प्रणालियां और गोला-बारूद शामिल हैं। पिछले दशक में भारत के रक्षा निर्यात में 30 गुना वृद्धि दर्ज की गई है और वर्तमान में यह प्रति वर्ष 12% की दर से बढ़ रहा है।

भारत की आयात निर्भरता और बजटीय प्राथमिकताएं

हालांकि भारत अब भी कुछ प्रमुख उन्नत हथियार प्रणालियों के लिए आयात पर निर्भर है। SIPRI की 2025 रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2020-24 के दौरान वैश्विक हथियार आयातकों में शीर्ष पर रहा। भारत के आयात का 62% रूस, 11% फ्रांस और 10% अमेरिका से होता है। प्रमुख आयातों में S-400 मिसाइल प्रणाली (रूस), राफेल विमान (फ्रांस) और प्रीडेटर ड्रोन (अमेरिका) शामिल हैं।

भारत का रक्षा बजट 2024-25 में ₹6.2 लाख करोड़ रहा, जिसमें से 68% स्वदेशी खरीद के लिए निर्धारित किया गया है। तेजस और INS अरिहंत जैसे स्वदेशी विकल्पों से भारत की आयात पर निर्भरता कम हो रही है।

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पाकिस्तान का रक्षा उद्योग: सीमित क्षमताएं और विदेशी निर्भरता

पाकिस्तान का रक्षा उद्योग तुलनात्मक रूप से सीमित और विदेशी सहयोग पर आधारित है। POF, HIT और कराची शिपयार्ड जैसे संस्थान घरेलू आवश्यकताओं की आपूर्ति करते हैं, लेकिन तकनीकी रूप से इनकी निर्भरता मुख्यतः चीन पर है।

पाकिस्तान का रक्षा निर्यात बेहद कम

पाकिस्तान का प्रमुख स्वदेशी उत्पाद JF-17 थंडर फाइटर जेट है, जो पूरी तरह से चीन के सहयोग से तैयार हुआ है। अल-खालिद टैंक और बुनियादी छोटे हथियारों का भी उत्पादन होता है, लेकिन पाकिस्तान लंबी दूरी की मिसाइलों, अत्याधुनिक ड्रोनों या उन्नत नौसेना प्रणालियों का निर्माण करने में सक्षम नहीं है। पाकिस्तान का रक्षा निर्यात बेहद कम है और रक्षा उद्योग का फोकस मुख्यतः घरेलू जरूरतों पर रहता है।

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पाकिस्तान का आयात: चीन पर अत्यधिक निर्भरता

SIPRI के अनुसार, 2020-24 के बीच पाकिस्तान के हथियार आयात में 43% की वृद्धि हुई। इसका 81% हथियार आयात चीन से, 8% तुर्की से और बाकी अन्य देशों से हुआ। J-10C फाइटर जेट, PL-15 मिसाइल और बायरक्तर ड्रोनों जैसे हथियार प्रमुख आयातों में शामिल हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने इनका प्रयोग किया, लेकिन भारतीय रक्षा प्रणालियों ने इन्हें नाकाम कर दिया। पाकिस्तानी सेना का लगभग 90% सैन्य उपकरण आयातित है, जो इसकी तकनीकी आत्मनिर्भरता की कमी को दर्शाता है।

आत्मनिर्भर भारत बनाम आयात-निर्भर पाकिस्तान

जहां भारत स्वदेशी तकनीक पर भरोसा करते हुए रक्षा निर्यातक बनने की दिशा में अग्रसर है, वहीं पाकिस्तान आज भी रक्षा जरूरतों के लिए चीन और अन्य देशों पर निर्भर है। भारत की रणनीति न केवल सैन्य सशक्तिकरण बल्कि वैश्विक रक्षा बाजार में प्रतिस्पर्धा की ओर है, जबकि पाकिस्तान की नीति मुख्यतः आयात पर आधारित और सीमित उत्पादन क्षमता वाली बनी हुई है। आने वाले वर्षों में यह अंतर भारत को सामरिक बढ़त देने में निर्णायक हो सकता है।

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