
CDS जनरल अनिल चौहान (ANI)
मध्य प्रदेश के महू में आयोजित 'रण संवाद' सेमिनार में भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान (Anil Chauhan) ने देश की सुरक्षा रणनीति और भविष्य की चुनौतियों पर महत्वपूर्ण बातें साझा कीं। उन्होंने भारत की नई रक्षा प्रणाली 'सुदर्शन चक्र' को 'कवच भी और तलवार भी' करार देते हुए कहा कि यह भारत के सामरिक, नागरिक और राष्ट्रीय महत्व के स्थानों की सुरक्षा के लिए ढाल और हथियार दोनों का काम करेगी।
जनरल चौहान ने बताया कि सुदर्शन चक्र, जिसे भारत का अपना 'गोल्डन डोम' कहा जा रहा है, 2035 तक पूरी तरह लागू होने की उम्मीद है। यह प्रणाली दुश्मन के हवाई हमलों का पता लगाने, ट्रैक करने और उन्हें निष्प्रभावी करने के लिए मजबूत बुनियादी ढांचे पर आधारित होगी। इसमें सॉफ्ट स्किल्स, काइनेटिक हथियार, और डायरेक्ट एनर्जी हथियारों का उपयोग शामिल होगा। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली भारत की रक्षा रणनीति में नई दिशा प्रदान करेगी, जो न केवल रक्षा करेगी बल्कि जवाबी हमले की क्षमता भी रखेगी।
CDS चौहान ने भारत की शांतिप्रिय छवि पर जोर देते हुए कहा, "भारत हमेशा शांति का पक्षधर रहा है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम शांतिवादी हैं। शांति बनाए रखने के लिए शक्ति जरूरी है।" उन्होंने लैटिन कहावत 'Si vis pacem, para bellum' (अगर शांति चाहते हो तो युद्ध के लिए तैयार रहो) का हवाला देते हुए कहा कि ताकत के बिना शांति केवल एक कल्पना है।
ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) का जिक्र करते हुए जनरल चौहान ने कहा कि यह एक आधुनिक संघर्ष था, जिससे कई महत्वपूर्ण सबक मिले हैं। कई सुधार लागू किए जा चुके हैं, और कुछ पर काम जारी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि रण संवाद का उद्देश्य ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करना नहीं, बल्कि भविष्य की रणनीतियों पर ध्यान देना है।
जनरल चौहान ने भविष्य के युद्धों की बदलती प्रकृति पर जोर देते हुए कहा कि अब युद्ध केवल जमीन, जल, और वायु तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि साइबर और अंतरिक्ष क्षेत्रों तक फैलेंगे। ऐसे में भारतीय थलसेना, नौसेना, और वायुसेना के बीच संयुक्त रणनीति और तालमेल जरूरी है। उन्होंने कहा, "जॉइंटमैनशिप अब विकल्प नहीं, बल्कि भारत की सैन्य ताकत का आधार है।"
CDS ने विकसित भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत को न केवल प्रौद्योगिकी में, बल्कि विचारों और व्यवहार में भी 'शस्त्र, सुरक्षित और आत्मनिर्भर' होना होगा। उन्होंने समाज में युद्ध की रणनीतियों और तकनीकों के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।
महू के आर्मी वॉर कॉलेज में आयोजित यह पहला त्रि-सेवा सेमिनार था, जिसमें तीनों सेनाओं के अधिकारियों ने अपने अनुभव साझा किए। जनरल चौहान ने DRDO के हालिया परीक्षणों का जिक्र किया, जिसमें QRSAM, VSHORADS, और 5-किलोवाट लेजर हथियारों को एकीकृत किया गया है। उन्होंने कहा कि भविष्य की चुनौतियों के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता, बिग डेटा, और क्वांटम तकनीकों का उपयोग जरूरी होगा।
Published on:
26 Aug 2025 12:03 pm
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